मुर्गी पालन: युवा किसानों का आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

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भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां पर लोग खेती एवं पशुपालन करके अपना जीवन यापन करते हैं। आजकल लोग पशुपालन की तरफ ज्यादा अग्रसर हो रहे हैं, जिसमें मुर्गी पालन को भी एक बहुत अच्छा व्यवसाय माना जाता है। पहले के समय मे लोग गाय, भैंस, भेड़ आदि जानवरों को पालते थे तथा इनसे लाभ कमाते थे परंतु आजकल के समय मे मुर्गी पालन भी एक ऐसा व्यवसाय बन गया है जो व्यक्ति को एक अतिरिक्त आय का साधन प्रदान करता है। इसमें कम लागत पर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है परंतु इसमें आपकी मेहनत और लगन पर सब कुछ निर्भर है क्योंकि इनमे संक्रमण का खतरा बहुत अधिक होता है इसीलिये आप जितनी मेहनत से और अच्छे से इनकी देखभाल करेंगे इनसे उतना ही अधिक लाभ होगा। भारत में दिन-प्रतिदिन मुर्गी पालन के व्यवसाय का प्रचलन बढ़ता जा रहा है भारत अंडो के उत्पाद में तीसरे नंबर पर और मांस के उत्पाद में पांचवें नंबर पर है। भारत में मुर्गी पालन का उद्योग आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व ही शुरू हो चुका था। अंडा और चिकेन इस समय लोगों का महत्वपूर्ण आहार बन चुका है कोई ऐसा गांव या शहर ऐसा नहीं है जहां लोग अंडे और चिकेन का सेवन नहीं करते हो अंडे और चिकेन के बढ़ती मांग की पूर्ति के लिए इन दिनों लोग पोल्ट्री फार्म के बिजनेस में काफी रुचि दिखा रहे हैं ये बहुत ही अच्छा और मुनाफा देने वाला व्यापार है,मुर्गी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो आपकी आय का अतिरिक्त साधन बन सकता है, यह व्यवसाय बहुत कम लागत में शुरू किया जा सकता है और इसमें मुनाफा (लाखों-करोड़ो) भी काफी ज्यादा है, देश में रोजगार तलाश रहे युवा इसे रोज़गार के तौर पर अपना सकते हैं।

मुर्गी पालन

वर्तमान बाजार परिदृश्य में कुक्कुट उत्पाद उच्च जैविकीय मूल्य के प्राणी प्रोटीन का सबसे सस्ता उत्पाद है, मुर्गी पालन व्यवसाय से भारत में बेरोजगारी भी काफी हद तक कम हुई है, आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर बैंक से लोन लेकर मुर्गीपालन ब्यवसाय की शुरुआत की जा सकती है और कई योजनाओं में तो बैंक से लिए गए लोन पर सरकार सबसिडी भी देती है। कुल मिलाकर इस व्यवसाय के जरिए मेहनत और लगन से सिफर से शिखर तक पहुंचा जा सकता है। इसके साथ ही साथ मुर्गियों के कूड़े लिटर से खेतों को उपजाऊ भी बनाया जा सकता है क्योकि जितना एक गाय के गोबर से एक खेत को उपजाऊ बनाया जा सकता है उतना ही 40 मुर्गियों के बिष्ठों से एक खेत को उपजाऊ बनाया जा सकता है। अगर मुर्गी पालन में सही प्रजाति के चूजे, देखभाल, पौष्टिक आहार, बिमारियों से बचने का टीका एवं साफ़ सफाई सही ढंग से किया जाए तो एक बेहतर आय बनाई जा सकती है।

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पोल्ट्री फार्म मुख्यतः दो प्रकार होते हैं

बॉयलर फार्म

अगर आप मांस के लिए मुर्गी पालन करना चाहते है तो ब्रायलर मुर्गी काफी अच्छा विचार होगा। इस मुर्गी का मांस काफी स्वादिष्ट और मुलायम होता है जिस वजह से इसे काफी पसंद किया जाता है। यह 1 से 1।5 महीने में ही 2 से 2।5 किलो वजन के हो जाते है इसी कारण से  इसे मांस के लिए अधिक पसंद किया जाता है।

लेयर/ अंडा फार्म

अगर कोई अंडे के व्यवसाय के लिए मुर्गी पालन करना चाहता है तो लेयर नस्ल की मुर्गियों को पाल सकते है। यह मुर्गी 5-6 महीने पुरे होने के बाद अंडे देना शुरू कर देती है और एक साल में 300 अंडे तक दे सकती है। इस मुर्गी को मांस के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है। इस फार्म के अंतर्गत आप अच्छी नस्ल की मुर्गियों का पालन पोषण कर उनके अंडों को बेच सकते है। हमारी सलाह है कि आप शुरुआत बॉयलर फार्म से ही करें जैसे जैसे आपको मुनाफा मिलने लगें, आप अंडा फार्म का बिजनेस भी शुरु कर सकते हैं दोनों फार्म का बिजनेस आपको बेहतरीन मुनाफा दे सकता है।

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पोल्ट्री फार्म के व्यापार के लिए जगह का सर्वाधिक महत्व है, पोल्ट्री फार्म के लिए बड़े और साफ सुथरे स्थान की जरुरत होती है, पोल्ट्री फार्म की स्थापना के लिए जमीन की लंबाई चौड़ाई पालने वाली मुर्गियों की संख्या पर भी निर्भर करता है उदाहरण के लिए एक मुर्गी के पालन पोषण के लिए न्यूनतम 01 वर्ग फुट जमीन की आवश्यक्ता होती है अगर एक मुर्गी को 1।5 फुट जगह मिल जाए तो उसके अंडों या चूजों को नुकसान नहीं होगा यानी वो पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे। मुर्गियों को अंधेरा पसंद नहीं होता काफी रिसर्च के बाद पता चला है कि मुर्गियां अधेरे में भोजन पंसद नहीं करती जिस फार्म में ज्यादा रोशनी की व्यवस्था होती है, वहां की मुर्गियां जल्दी तैयार होती हैं और जहां प्रकाश कम होता है, वहां की मुर्गियां अपेक्षाकृत कमजोर होती हैं इसका एक कारण यह भी है कि लाइट की वजह से फार्म का तापमान मेंटेन रहता है लाइट होने की वजह से रात के समय में मुर्गियां अपना ज्यादा समय खाने में व्यतीत करती हैं रात के वक्त सन्नाटे का माहौल रहता है, इस वजह से मुर्गियां एकाग्र होकर भोजन ग्रहण करती हैं।

मुर्गी पालन

मुर्गीपालकों को चूजे से लेकर अंडा उत्पादन तक की अवस्था में विशेष ध्यान देना चाहिए यदि लापरवाही की गयी तो अंडा उत्पादकता प्रभावित होती है। मुर्गीपालन में 70 प्रतिशत खर्चा आहार प्रबंधन पर आता है मुर्गियों को बेहतर और समुचित पालन पोषण उनके भोजन की क्वालिटी पर ही निर्भर होता है मुर्गियों के लिए हमेशा ही अच्छी क्वालिटी के फूड प्रोडक्ट का चयन करें मुर्गियों के लिए कैल्सियम और प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा की जरुरत होती है, इसलिए ऐसे ही चारे का चुनाव करें जिसमें ये तत्व भरपूर मात्रा में हो। अच्छे ग्रोथ और प्रोडक्शन के लिए मुर्गियों का ध्यान रखना काफी जरुरी है। पोल्ट्री फार्म में साफ़ हवा का आना जाना होना चाहिए ताकि घुटन की समस्या न हो। इसी तरह से इस बात का भी ध्यान रखे की बारिश का पानी फार्म में जमा न हो, बीमारियों से दूर रखने के लिए जरुरी टीकाकरण अवश्य करवाए। अगर किसी मुर्गी में इन्फेक्शन पाया गया हो तो उसे बाकि मुर्गियों से अलग कर देना चाहिए। बाजार का विशेष ध्यान रखना चाहिए की कब अंडे एवं मांस का रेट बढ़ता है प्रयास करे की मुर्गियां  उसी समय तैयार हो और आप अच्छा लाभ कमा सकें।

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