ब्रायलर मुर्गीपालन: एक लाभदायक व्यवसाय

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ब्रायलर मांस के लिए 6 से 7 सप्ताह के उस युवा नर अथवा मादा कुक्कुट पक्षी  को कहते हैं। जिसकी त्वचा कोमल तथा छाती की अस्थि या कार्टिलेज लचीली विशेषताओं से भरपूर हो। पशु प्रजनन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि ब्रायलर की तेजी से बढ़ती हुई उत्पादन क्षमता तथा उत्पादन खर्च में भारी कमी  को कहा जा सकता है। आज केवल  6 सप्ताह में 2किलोग्राम वजन देने वाले ब्रायलर उपलब्ध है 2 किलोग्राम वजन के ब्रायलर  के लिए, लगभग 3.20 किलोग्राम दाने की आवश्यकता होती है। ब्रायलर का उत्पादन भारत में निरंतर तेजी से बढ़ रहा है। इस बढ़ते हुए उत्पादन के पीछे कई कारणों का सामूहिक योगदान रहा है परंतु सबसे अधिक महत्वपूर्ण कारण कम समय में ब्रायलर की फसल प्राप्त होना व अन्य पशुओं के मांस की अपेक्षा ब्रायलर मांस अधिक पसंद किया जाना है। सफल ब्रायलर उत्पादन के लिए निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:

  • तेजी से बढ़ने की क्षमता वाले ब्रायलर चूजे प्राइवेट अथवा सरकारी संस्थाओं से प्राप्त किए जा सकते हैं। अच्छी चूजों की प्राप्त के लिए रेंडम ब्रायलर टेस्ट के परिणामों को देखने के बाद ही बाजार से विशेष संकर नस्ल के चूजे प्राप्त करें।
  • ब्रूडर घर: 1 दिन से 6 सप्ताह तक के चूजे पालने के स्थान को ब्रूडर घर कहते हैं। संक्रामक रोगों से बचाव के लिए चूजों को, बड़ी मुर्गियों से दूर पालना चाहिए। ब्रूडर घर में वायु का आवागमन अच्छा तथा तापक्रम भी उचित रहना चाहिए।
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  • ब्रायलरों के लिए, प्रति वर्ग मीटर केवल 10 से 12 चूजे ब्रूडर घर में पालें। चूजों के लिए संतुलित आहार, तथा स्वच्छ पानी की व्यवस्था ब्रूडर में होनी चाहिए। समय-समय पर ब्रूडर की सफाई होती रहनी चाहिए। ब्रूडर में चूजों का वातावरण परिवर्तित नहीं होना चाहिए।
  • ब्रूडिंग उपकरणों के लिए बाजार से बिजली के बल्बों अथवा इंफ्रारेड होवर आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं। इनके नीचे 250 से 300 चूजे प्रति होवर के हिसाब से रखे जा सकते हैं। कार्ड बोर्ड अथवा टीन से बना चिक गार्ड लगभग 30 सेंटीमीटर ऊंचाई का लगा सकते हैं।
  • दानों के बर्तन या फीडर: चूजों, तथा बड़े ब्रायलरों, को अलग-अलग आकार के फीडरों की आवश्यकता होती है। 4 सप्ताह तक 4 से 5 सेंटीमीटर तथा 5 से 6 सप्ताह तक आठ लीनियर सेंटीमीटर आहार के स्थान की आवश्यकता पड़ती है। फीडर की लंबाई 5 फुट होनी चाहिए।
  • स्वच्छ पानी की व्यवस्था के लिए एल्यूमीनियम अथवा प्लास्टिक के बर्तन 2 लीटर क्षमता के दो बर्तन 2 सप्ताह की आयु तक तथा 4 से 5 लीटर क्षमता के दो बर्तन 6 सप्ताह तक 100 ब्रायलर चूजों के लिए पर्याप्त होते हैं। टिन के डिब्बे विशेष प्लेट के साथ प्रयोग किए जा सकते हैं।
  • ब्रायलर उत्पादन व्यवस्था: चूजो के उचित पालन पोषण हेतु निम्नलिखित विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए: ब्रूडर घर को चूजों के आने से 15 दिन पूर्व 5% फिनायल के घोल से अच्छी तरह साफ करें। बिछावन या लिटर के लिए सूखा साफ चावल का छिलका अथवा लकड़ी का बुरादा 6 से 8 सेंटीमीटर की तह के रूप में प्रयोग करना चाहिए। लिटर के ऊपर तीन तहो वाला अखबार बिछाना चाहिए जिससे कि चूजे लीटर न खाएं। अखबार को 1 सप्ताह के बाद हटा दें। ब्रायलर चूजों के आने से 45 घंटे पूर्व तापक्रम बनाए रखने के लिए होवर चालू कर देना चाहिए। चूजों को होवर के नीचे रखने के लिए चिक गार्ड होवर के किनारे से 50 से 60 सेंटीमीटर की दूरी पर गोलाई में लगा दें तथा इसके बाद चिक गार्ड चूजों के बढ़ने के साथ-साथ दूर हटाते रहना चाहिए। 10 दिन बाद चिक गार्ड को बिल्कुल हटा दें। चूजों को हैचरी से होवर के नीचे जल्दी से जल्दी ले आना चाहिए। चूजों के ब्रूडर में आने पर प्रथम 12 घंटों में केवल ताजा तथा स्वच्छ पानी दें।दाना 12 घंटे बाद देना चाहिए। प्रथम 12 से 24 घंटों में पानी के साथ 10% सुक्रोज या गन्ने का रस दिया जा सकता है।
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  • तापक्रम व्यवस्था के लिए ब्रूडर तापक्रम करीब 35 डिग्री सेंटीग्रेड होवर के किनारे तथा 15 सेंटीमीटर लिटर की सतह से ऊंचाई पर होना चाहिए। इस तापक्रम को दूसरे सप्ताह से प्रति सप्ताह करीब 2.5 डिग्री सेंटीग्रेड की दर से कम करें जब तक तापमान 22 डिग्री सेंटीग्रेड ना हो जाए। होवर के नीचे यदि चूजे आराम से बिखरे हुए घूमते हैं तो होवर का तापक्रम ठीक समझना चाहिए। एक स्थान पर एकत्रित चूजे कम तापमान बताते हैं। यदि चूजे होवर के किनारे  तथा बाहर हांफते पाए जाएं, तो बहुत अधिक तापक्रम की सूचना देते हैं। सर्दियों में ब्रूडर के कमरे का तापमान 23 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए।
  • प्रकाश व्यवस्था के लिए प्रथम 2 दिन तेज प्रकाश रखना चाहिए। आदर्श प्रकाश व्यवस्था के लिए 24 घंटे प्रकाश दिया जा सकता है। तथा बाद में धीमें प्रकाश की व्यवस्था करें।
  • ब्रूडर घर में, स्वच्छ हवा का आवागमन होना चाहिए। जाड़ों में तेज ठंडी हवा से बचाव के लिए खिड़कियों पर पर्दों का प्रयोग करें।
  • एक सप्ताह के बाद लिटर को रेकर की सहायता से प्रतिदिन उलट-पुलट करते रहे। पानी के बर्तनों के चारों तरफ गीला लिटर हटाकर सूखा लिटर बिछाए। अमोनिया गैस की रोकथाम के लिए 1 किलो चूना अथवा सुपर फास्फेट 10 वर्ग मीटर स्थान के लिटर में मिला दे।
  • चूजों को प्रथम दिन मक्का के टूटे दाने दिए जाते हैं। इसके बाद 35 वें दिन तक स्टार्टर दाना तथा 36 से 42 दिनों मैं फिनिशर आहार दिया जाना चाहिए। दिन में कम से कम 3 बार दाना दें आहार के बर्तन केवल १/२ से३/४ तक ही भरे होने चाहिए।
  • चूजों को 1 दिन का होने पर रानीखेत का एफ  वन  वैक्सीन का टीका तथा 4 दिन का होने पर पिजन पॉक्स का टीका लगवाएं। कॉक्सीडिओसिस की बीमारी से बचाव के लिए दाने में, कॉक्सीडियोस्टेट का प्रयोग करें। इस प्रकार इन बातों पर ध्यान देकर सफल ब्रायलर उत्पादन कर सकते हैं।
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