विभिन्न ऋतु में पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन
पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से आवास प्रबंधन: पशुओं को रखने के लिए पशु घर का निर्माण इसलिए आवश्यक है जिससे उन्हें गर्मी, सर्दी तथा बरसात से बचाया जा सके। पशुशाला निर्माण के समय पशुओं के आराम तथा >>>
पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से आवास प्रबंधन: पशुओं को रखने के लिए पशु घर का निर्माण इसलिए आवश्यक है जिससे उन्हें गर्मी, सर्दी तथा बरसात से बचाया जा सके। पशुशाला निर्माण के समय पशुओं के आराम तथा >>>
पशुपालन व्यवसाय में कम लागत और अधिक फायदा प्राप्त करने के लिए शुष्क काल में पशुओं की देखभाल अत्यावश्यक है। गौ पशुओं में लगभग 2 माह का शुष्क काल आवश्यक है। इस समय में पशु अगले ब्यात के लिए तैयार होता >>>
लंपी स्किन डिजीज एक विषाणु जनित बीमारी है, जो पॉक्सवायरस से होती है। सितंबर 2020 में भारत में पहली बार इसका प्रसार हुआ था।इसमे मृत्यु दर लगभग 5% है परंतु इसका प्रसार काफी अधिक है। यह एक नई उभरती हुई >>>
उत्तर भारत में इन दिनों ठंड और कोहरे का प्रकोप अपनी चरम सीमा पर होता है इसलिए पशुओं को ठंड से बचाना बहुत आवश्यक है यदि पशु को ठंडी हवा या धुंध आदि से बचाव का प्रबंध ना हो तो पशु बीमार हो जाते हैं >>>
समय बद्ध कृत्रिम गर्भाधान हेतु जीपीजी विधि का प्रयोग पशु चिकित्सा अधिकारी या तो स्वयं करें अथवा अपनी निगरानी में करवाएं। इस विधि का प्रयोग पशु के गर्मी पर आने के पश्चात 7 से 11 दिन के बीच प्रारंभ कर >>>
दुग्ध ज्वर इन्ही बिमारियों में से एक है जो दुधारू पशुओं को मुख्यतः प्रभावित करती है, यह रोग अन्य कई बिमारियों का ‘प्रवेश द्वार’ भी है। यह रोग पशुओं की दुग्ध उत्पादकता को कम करने के अलावा प्रजनन में भी बाधक बनता है। दुग्ध ज्वर एक मेटाबोलिक या उपापचयी रोग है जिसे अंग्रेजी भाषा में ‘Milk Fever’ और आम बोल चाल की भाषा में ‘सुन्नपात’ भी कहा जाता है। >>>
पशु को अंतिम बार कृत्रिम गर्भाधान के 10 या 11 दिन पश्चात यदि पशु दोबारा गर्मी में आता है। तो गुदा परीक्षण करने पर गर्भाशय की टोन मध्यम श्रेणी की रहती है और अंडाशय के परीक्षण पर एक या एक से अधिक >>>
कृत्रिम गर्भाधान प्रजनन विधि , एक बेहद सरल , कामयाब , त्वरित परिणामदायी प्रक्रिया है। इस विधि द्वारा कम समय में ही तेजी से नस्ल सुधार कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है। इस पद्धति को अपनाने को एक >>>
सही अर्थों में नवजात शिशु की देखरेख उसके जन्म से पूर्व ही मादा के गर्भ से शुरू हो जाती है। अतः पशु के ब्याने के 3 महीने पहले से ही उसको समुचित चारा दाना आवश्यकतानुसार देना चाहिए। नवजात पशु के नाक >>>
गर्भित पशुओं को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है: निषेचन से 3 माह तक के गर्भित पशु 3 माह से लेकर 6 माह तक के गर्भित पशु 6 माह से ऊपर के गर्भित पशु उपरोक्त तीनों श्रेणियों के गर्भित >>>
दूध में विभिन्न प्रकार की मिलावट की जाती है। दूध के घटकों में वसा सबसे अधिक मूल्यवान होती है। अधिकांशत दूध में से वसा को आंशिक अथवा पूर्ण रूप से निकाल लिया जाता है तथा उसमें पानी वसा रहित दूध तथा >>>
प्रजनन संबंधी रोग सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है जो डेयरी गायों के उत्पादन और उत्पादकता को प्रभावित करती है। इनमें से अधिकांश समस्याएं प्रसव के समय और उसके तुरंत बाद उत्पन्न होती हैं। जिसके >>>
सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाना अत्यावश्यक है। यदि पशु को ठंडी हवा व धुंध/ कोहरा से बचाव का समुचित प्रबंध ना हो तो पशु बीमार पड़ जाते हैं जिससे उनके उत्पादन में तो गिरावट आती ही है साथ ही साथ पशु >>>
श्वेत क्रांति के जनक स्वर्गीय वर्गीज कुरियन के अथक प्रयास के परिणाम स्वरूप आज के परिवेश में गांव -गांव में शंकर गाय आम तौर पर देखी जा सकती हैं। इससे दुग्ध उत्पादन में भारत पूरे विश्व में प्रथम स्थान >>>