खरगोश पालन:आवास,पोषण एवं प्रजनन प्रबंधन
भारत सहित कई अन्य देशों में खरगोश पालन को व्यापारिक तौर पर उपयोग में लाया जा रहा है। खरगोश पालन मॅास, फर और ऊन के लिए किया जाता है। खरगोश पालन को लाभप्रद बनाने हेतु निम्न प्रबंधन अति आवश्यक है। >>>
भारत सहित कई अन्य देशों में खरगोश पालन को व्यापारिक तौर पर उपयोग में लाया जा रहा है। खरगोश पालन मॅास, फर और ऊन के लिए किया जाता है। खरगोश पालन को लाभप्रद बनाने हेतु निम्न प्रबंधन अति आवश्यक है। >>>
मधुमेह सामान्य रूप से कुत्तों में अधिक पाया जाता है, लेकिन आजकल बिल्लियों में भी यह बीमारी पाई जाने लगी है। पैकेट पशु आहार इसके लिए अधिक जिम्मेवार है। पालतू पशुओं में मधुमेह का प्रमुख लक्षण यह है कि >>>
बकरीपालन के बारे में बहुत से लोगों में अनेक भ्रांतियां एवं पूर्वाग्रह रहे हैं कि बकरियां फसलों एवं पौधों को नष्ट करती है और उनके कारण वनस्पतियों का ह्रास होता है किन्तु यह तथ्यों से सर्वथा विपरीत है >>>
पशुओं के प्रजनन को प्रभावित करने वाले मुख्य संक्रामक कारण जीवाणु विषाणु प्रोटोजोआ एवं कवक जनित हो सकते हैं। जीवाणु जनित कारण निम्नांकित हो सकते हैं: ब्रूसेलोसिस अर्थात संक्रामक गर्भपात कैंपाइल >>>
अपने भारतीय परिवेश में सामान्यत: पशुओं को दिए जाने वाले आहार में एक या एक से अधिक स्थानीय रूप से उपलब्ध सांद्र मिश्रण या कंसंट्रेट, पशु खाद्य पदार्थ, घास एवं सूखा चारा होता है। इस कारण आहार में >>>
पशुजन्य रोग अथवा Zoonosis ऐसे संक्रामक रोग हैं जो विभिन्न प्रजातियों जैसे : पशुओं से मनुष्यों में अथवा मनुष्यों से पशुओं तक संचारित होते हैं I अन्य शब्दों में कहें तो रोगों के विभिन्न कारक जो >>>
मुर्गियों में कई विषाणु जनित रोग पाए जाते हैं , जिनसे मुर्गी पालक भाइयों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। इन्हीं रोगों में से एक रोग है- ‘चिकिन इनफेक्शियस एनीमिया रोग’। मुर्गी पालक भाइयों को >>>
सर्रा रोग (Surra) मेरुडण्ड वाले प्राणियों को लगने वाला रोग है। यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो पशु मर सकता है। यह रोग ट्रिपनोसोमा-इवेनसाई (Trypanosoma evansi) नामक परजीवी के कारण होता है। >>>
श्वेत क्रांति के जनक स्वर्गीय वर्गीज कुरियन के अथक प्रयास के परिणाम स्वरूप आज के परिवेश में गांव -गांव में शंकर गाय आम तौर पर देखी जा सकती हैं। इससे दुग्ध उत्पादन में भारत पूरे विश्व में प्रथम स्थान >>>
दुधारू पशुओं में अनेक कारणों से बहुत सी बीमारियाँ होती है। सूक्ष्म विषाणु, जीवाणु, फफूंदी, अंत: व ब्रह्मा परजीवी, प्रोटोजोआ, कुपोषण तथा शरीर के अंदर की चयापचय (मेटाबोलिज्म) क्रिया में विकार आदि प्रमुख कारणों में है >>>
अक्टूबर/ कवार: माह में पशुपालन कार्यों का विवरण मुंह पका खुर पका रोग का टीका अवश्य लगवाएं। बरसीम एवं रिजका के खेत की तैयारी एवं बुवाई करें। निम्न गुणवत्ता के अवर्णित पशुओं का बंध्याकरण >>>