पशुपालन

गाभिन पशु का ग्रीष्म एवं वर्षा ऋतु में पोषण एवं प्रबन्धन

भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि एवं पशु पालन भारतीय अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व रखते हैं, सकल धरेलु कृषि उत्पाद में पशुपालन का 30 प्रतिशत योगदान सराहनीय है, जिसमें दुग्ध एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान सर्वाधिक है। >>>

पशुपालन

पशुओं में जनन क्षमता को लम्बे समय तक बनाये रखना

जनन क्षमता गौ पशुओं में जनन क्षमता (यौवनारम्भ) जन्म से लेकर 24-30 माह गौ पशु में, व भैंस में 30-36 माह मे आ जाती है। जिससे दुधारु पशु के जीवन में ब्यॉत की संख्याओं का मूल्यांकन किया जाता है। जिसे >>>

पशुपालन

विभिन्न ऋतु में पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन

पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से आवास प्रबंधन: पशुओं को रखने के लिए पशु घर का निर्माण इसलिए आवश्यक है जिससे उन्हें गर्मी, सर्दी तथा बरसात से बचाया जा सके। पशुशाला निर्माण के समय पशुओं के आराम तथा >>>

पशुपालन

शुष्क काल में गौ पशुओं की देखभाल

पशुपालन व्यवसाय में कम लागत और अधिक फायदा प्राप्त करने के लिए शुष्क काल में पशुओं की देखभाल अत्यावश्यक है। गौ पशुओं में लगभग 2 माह का शुष्क काल आवश्यक है। इस समय में पशु अगले ब्यात के लिए तैयार होता >>>

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शीत ऋतु/ सर्दियों में गर्भित पशुओं का प्रबंधन

गर्भित पशुओं को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है: निषेचन से 3 माह तक के गर्भित पशु 3 माह से लेकर 6 माह तक के गर्भित पशु 6 माह से ऊपर के गर्भित पशु उपरोक्त तीनों श्रेणियों के गर्भित >>>