पशुओं की बीमारियाँ

डेयरी पशुओ में बांझपन की समस्या एवं उसका समाधान

हमारे देश की अर्थव्यवस्था में पशु पालन व्यवस्था का एक अलग ही महत्व है। लेकिन पशुओं में बांझपन की समस्या पशुपालन व्यवस्था में बडे़ नुकसान के लिए जिम्मेदार है। बांझ पशुओ को पालना मतलब आर्थिक बोझ को बढ़ >>>

पशुओं में विटामिन A का महत्त्व
पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में विटामिन A का महत्त्व

विटामिन एक प्रकार के कार्बनिक तत्व होते हैं जो शरीर की सभी क्रियाओं को सुचारु रूप से चलाने में मदद करते हैं। यह रसायन स्वस्थ्य जीवन यापन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते है। >>>

हरे चारे का विकल्प-हाइड्रोपोनिक्स
पशुपोषण

हरे चारे का विकल्प- हाइड्रोपोनिक्स

हाइड्रोपोनिक्स शब्द मुख्यतः लैटिन भाषा के शब्दों का युग्म है जिसमें हाइड्रो का तात्पर्य पानी एवं पोनोस का तात्पर्य श्रम होता है। मिट्टी के बिना पौधों को एक चयनित >>>

बदलते मौसम में सोयाबीन की खेती
पशुपोषण

बदलते मौसम में सोयाबीन की खेती

सोयाबीन दलहन वर्ग की एक फसल है जिसका वर्गीकरण पाश्चात्य देशों में तिलहनों के अन्तर्गत किया जाता है। यह अमेरिका तथा अन्य कई देशों में वनस्पति तेल उत्पादन का एक प्रमुख स्त्रोत है। भारत में पहले इसे एक >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं के पाचन संबंधी विकार: कारण एवं निवारण

पशुओं में रहन सहन खानपान एवं रखरखाव में अचानक परिवर्तन या लापरवाही से उत्पन्न विकारों को प्राथमिक रोग या सामान्य रोगों की श्रेणी में रखा जाता है। पशुओं के पाचन संबंधी प्रमुख विकार निम्न है: अपच >>>

By-pass protein and its application in dairy animals
पशुपोषण

बायपास प्रोटीन और डेयरी पशुओं में इसका अनुप्रयोग

बायपास प्रोटीन उच्च उपज देने वाले पशुओं की आवश्यकताओं को पूरा करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, लेकिन बेहतर परिणाम तब प्राप्त किए जा सकते हैं जब आहार प्रोटीन में डिग्रेडेबल प्रोटीन और बाईपास प्रोटीन >>>

पशुपोषण

पशुपोषण संबंधी समस्याएँ एवं समाधान

पशुपोषण खाद्य पदार्थों की उपलब्धता व उनकी कीमत, पशु प्रजाति, उनकी आयु, भार, उत्पादन स्थिति (जैसे गर्भावस्था, दुग्ध उत्पादन अवस्था, वृद्धि अवस्था) आदि पर निर्भर >>>

पशुधन से समृद्धि की ओर
पशुपालन

पशुधन से समृद्धि की ओर

पशुधन व्यवसाय को अपनाकर हम स्वयं तथा अपने देश को निरन्तर समृद्धि के पथ पर अग्रसारित कर सकते हैं साथ ही पशुपालकों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ कर >>>

अप्रैल/ चैत्र माह में पशुपालन कार्यों का विवरण
पशुपालन

अप्रैल/ चैत्र माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

जायद के हरे चारे की बुवाई करें एवं बरसीम चारा बीज उत्पाद हेतु कटाई करें। अधिक आय हेतु स्वच्छ दुग्ध उत्पादन करें। 3 माह पूर्व कृत्रिम गर्भाधान कराए गए पशुओं का गर्भ परीक्षण कराएं। जो पशु गर्भित >>>

पशुपोषण

पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों में गौवंशीय पशुओं में पोषण प्रबन्धन

भारत एक कृषि प्रधान देश है। पूर्व काल से ही भारत में कृषि एवं पशुपालन एक दूसरे के अभिन्न अंग हैं। उत्तराखण्ड राज्य कृषि एवं बागवानी पर आधारित पर्वतीय राज्य है। कृषि एवं पशुपालन व्यवसाय लघु एवं सीमान >>>

डेरी पालन

भैंसों का पोषण प्रबन्धन

भारत एक कृषि आधारित देश है। पूर्व काल से ही भारत में कृषि एवं पशुपालन एक दूसरें के अभिन्न अंग हैं। हमारे देश में कुल उत्पादन 54 प्रतिशत 65 मिलियन भारतीय भैंसें योगदान करती हैं। भारत के उत्तराखण्ड >>>

हरा अजोला दुधारू पशुओं के लिए एक वरदान
पशुपोषण

हरा अजोला दुधारू पशुओं के लिए एक वरदान

परिचय भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ अधिकतर जनसंख्या खेती आधारित व्यवसाय करती है। मिश्रित खेती के रूप में खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते है। परन्तु पशुओं को साल भर हरा चारा नहीं मिल पाता है। इस >>>

पशुपालन

पशुओं में जल का महत्व

कहते है जल है तो कल है, हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कवि रहीम ने कहा था रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून, यह कहावत एवं दोहा जल की अनिवार्यता बताने के लिए काफी है। पौधों में लगभग 10 से 90 प्रतिशत तक >>>

पशुपोषण

अधिक उत्पादन हेतु पशुओं को आहार एवं जल/ पानी देने के नियम

सामान्यता एक वयस्क पशु को प्रतिदिन 6 किलो सूखा चारा और 15 से 20 किलो तक हरा चारा खिलाना चाहिए। फलीदार और बिना फलीदार हरे चारे को समान अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए। >>>