पशुओं की बीमारियाँ

लम्पी स्किन डिजीज (LSD)- गांठदार त्वचा रोग

लम्पी स्किन डिजीज Lumpy Skin Disease (LSD) या गांठदार त्वचा रोग (एलएसडी) एक संक्रामक रोग है जो पॉक्सविरिडी के कारण होता है, जिसे नीथलिंग वायरस के रूप में भी जाना जाता है। यह जानवरों के बीच सीधे संपर्क द्वारा, आर्थ्रोपोड वैक्टर (मक्खियों, मच्छरों, जूं) के माध्यम से फैलता है। इस बीमारी के कारण पशुपालन उद्योग को दूध की पैदावार में कमी, गायों और सांडों के बीच प्रजनन क्षमता में कमी, गर्भपात, क्षतिग्रस्त त्वचा और खाल, वजन में कमी या वृद्धि और असामयिक मृत्यु होती है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

असामान्य या कठिन प्रसव (डिस्टोकिया) के कारण एवं उसका उपचार

ब्याने के समय मां स्वयं बच्चे को बाहर नहीं निकाल पाए और बच्चा बीच में ही फंस जाए तो इसे कठिन प्रसव (Dystocia) कहते हैं। ब्याने की तीन अवस्थाएं होती हैं >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में होने वाले दुग्ध ज्वर के कारण, लक्षण, उपचार एवं बचाव

दुग्ध ज्वर एक चपापचई रोग है जो गाय भैंस में ब्याने के 2 से 3 दिनों के अंदर ही होता है परंतु ब्याने के पूर्व या अधिकतम उत्पादन के समय भी हो सकता है। पशु के रक्त में और मांसपेशियों में कैल्शियम की भारी कमी इसका मुख्य कारण होता है। शरीर में रक्त का प्रवाह काफी कम व धीमा हो जाता है अंत में पशु काफी सुस्त होकर लगभग बेहोशी की अवस्था में चला जाता है। >>>

डेरी पालन

गाय की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हेतु प्रतिवर्ष एक बच्चा प्राप्त करने हेतु सलाह

अपनी  गाय से प्रतिवर्ष एक बच्चा एवं भैंस से हर 13 महीने पर एक बच्चा प्राप्त करने के लिए और अत्यधिक दुग्ध उत्पादन हेतु पशुपालक बंधु निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें >>>

पशुपालन

गाय/भैंस की खरीदारी में समझदारी

गाय एवं भैंस पालन वर्तमान परिदृश्य में रोजगार का अच्छा साधन है। दूध तथा दूध से बनने वाले सामानों की मांग कभी घटती नहीं है। हमेशा बाजार में इन सभी चीजों की मांग बनी रहती है। गो /भैंस पालन में रोजगार करने से पहले दुधारू गाय भैंस का चयन की जानकारी आवश्यक है। चयन करने के पहले इन बिंदुओं पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। >>>

पशुपालन

पशु के ब्यांत के पश्चात होने वाली मुख्य बिमारी मिल्क फीवर (दुग्ध ज्वर): जानकारी बचाव एवं उपचार

जैसे की मिल्क फीवर-पशुओं का मिल्क फीवर एक उपापचय सम्बन्धित विकार है। यह रोग सामान्यतः गाय एवं भैसों मे व्याने के दो दिन पहले से लेकर तीन दिन बाद तक होता है। >>>

पशुपालन समाचार

उत्तराखंड में डेयरी सेक्टर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए डेयरी विकास विभाग ने केपीएमजी के साथ हाथ मिलाया

उत्तराखंड में डेयरी सेक्टर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए डेयरी विकास विभाग >>>

डेरी पालन

गाय व भैंसों के लिए सन्तुलित आहार

शरीर को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए पोषण की आवश्यकता होती है, जो उसे आहार से प्राप्त होता है। अन्य जीवधारियों की तरह गाय व भैंसों को भी जीवन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। गाय व भैंस शाकाहारी होते हैं एवं चारा ही इनका मुख्य भोजन होता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओं में ऋतुचक्र की समस्या: निदान एवं उपचार

हमारे देश की 60 से 70% आबादी कृषि एवं इनके सहायक उद्योगों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुडी हुई हैं। पशु पालन कृषि का एक अभिन्न अंग है एवं यह किसानों की रीढ़ की हड्डी  है। अगर किसान पशु पालन को कृषि के साथ -साथ एक इकाई के रूप में रखता है तो वह अति विषम परिस्थितियो का भी सामना कर सकता है। पशु पालक अपने पशुओं की प्रजनन क्षमता पर पूरी तरह से निर्भर रहता है। >>>

पशुपालन समाचार

दुग्ध विकास मंत्री श्री धन सिंह रावत ने की सहकारिता एवं दुग्ध विकास विभाग की समीक्षा बैठक

उत्तराखण्ड सचिवालय के सभाकक्ष में सहकारिता एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री धन सिंह रावत जी >>>

पशुपोषण

नवजात शिशु (बछड़े) का संतुलित आहार

पशु पालकों को चाहिए कि गाय व भैंस द्वारा जन्म देने के 1-2 घण्टे के भीतर फेनुस को या तो निकाले अथवा बछड़े को थन (छीमी) के पास ले जाकर थन (छीमी) को धीरे-धीरे उसमें >>>

पशुपालन

पशुधन आधारित उद्यमों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण

भारत एक कृषि आधारित देश है और 70% से अधिक किसान भूमिहीन और सीमांत हैं, जहां प्रति व्यक्ति भूमि-धारण मुश्किल से 0.2 हेक्टेयर है। हलाकि हमारे देश की कृषि प्रणाली मुख्य रूप से मिश्रित फसल-पशुधन कृषि प्रणाली है, जिसमें फसल उत्पादन के साथ पशुधन उत्पादन भी एक अभिन्न अंग है। >>>

डेरी पालन

नवजात दुधारू पशुओं का स्वास्थ्य प्रबंधन

नवजात दुधारू पशुओं के जीवित रहने और आगे के समय में विकसित होने के लिए यह अति आवश्यक है कि वह इन सभी चुनौतियों का सफलता पूर्वक सामना करे। हालाँकि अक्सर यह देखा >>>