घेंघा या गलगण्ड आयोडीन खनिज की कमी से होने वाला एक ऐसा रोग है जिसमें मूलग्रन्थि (थाइरोइड ग्रन्धि) का आकार बड़ा हो जाता है। नवजात बच्चों में जन्म के समय इस रोग के लक्षण देखे जा सकते हैं। इसका कारण गर्भकाल के समय माँ के आहार में आयोडीन की कमी है। इस प्रकार कम आयोडीन पर रखी गयी माँ अपने भ्रूण को पर्याप्त आयोडीन उपलब्ध नहीं करा पाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ खाद्य पदार्थ के सेवन से भी घेंघा होता है। उदाहरणार्थ चुकन्दर, बन्दगोभी, गाजर, पालक, आलू, शलजम आदि। इन पदार्थो के खाने से थाइरोइड ग्रन्थि के कार्य में बाधा उत्पन्न होती है।
लक्षण
आयोडीन अल्पतता से बच्चे या तो मरे हुए पैदा होते हैं या फिर अत्यधिक कमजोर पैदा होते हैं। बच्चों के षरीर पर बाल नहीं होते तथा गर्दन के निचले भाग में सुपारी के आकार की बृद्धि देखी जा सकती है। इस प्रकार के जन्म लेने वाले बच्चे आगे चलकर या तो मर जाते हैं अथवा सदैव ही कमजोर रहते हैं। इसकी कमी से पशुओं में बांझपन भी होता है। आयोडीन की कमी से मादा पशुओं में अनियमित मदचक्र, मदचक्र का बन्द होना तथा अस्थाई बांझपन हो जाता है।
उपचार व बचाव
आयोडीन की कमी वाले क्षेत्रों में गर्भवती गायों को उनकी गर्भवस्था की कम से कम बाद की आधी अवधि में आयोडीनयुक्त नमक अवश्य खिलाना चाहिए। इसके लिए पोटैसियम आयोडाइड को 1:3500 मात्रा में नमक में मिलाकर पशुओं को दिया जाना चाहिए।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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Authors
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पशु चिकित्साधिकारी, राजकीय पशु चिकित्सालय, देवरनियाँ बरेली, उत्तर प्रदेश
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सहायक प्राध्यापक, पशुधन उत्पाद, प्रौद्योगिकी विभाग, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, गोविंद बल्लभ पन्तनगर कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पन्तनगर, ऊधम सिंह नगर, उत्तराखण्ड
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