केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला की अध्यक्षता में आज वर्चुअल मोड के माध्यम से सभी राज्यों के पशुपालन/पशु चिकित्सा मंत्रियों के साथ राष्ट्रीय स्तर की एक बैठक आयोजित की गई। सभी राज्यों के पशुपालन/पशु चिकित्सा मंत्रियों के साथ राष्ट्रीय स्तर की यह बैठक पांच साल से अधिक के अंतराल के बाद बुलाई गई थी। केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने सभी राज्यों के पशुपालन/पशु चिकित्सा मंत्रियों को विशेष पशुधन क्षेत्र पैकेज, जिसे हाल ही में भारत सरकार द्वारा अगले पांच वर्षों के लिए 9800 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ कुल 54,618 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने के उद्देश से घोषित किया गया है,के बारे में बताया।
इस बैठक में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान तथा मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने सभी राज्यों के पशुपालन/पशु चिकित्सा मंत्रियों को मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी के संबंध में भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत लाए गए विभिन्न बदलावों, उनके निहितार्थों और विभाग की संशोधित एवं पुनर्गठित योजनाओं के कार्यान्वयन में राज्यों की भूमिका के बारे में अवगत कराया। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में सभी राज्य/ केन्द्र–शासित प्रदेश प्रमुख हितधारक हैं। केन्द्र और विभिन्न राज्यों के बीच एक स्वस्थ संवाद से सहयोग बढ़ेगा और योजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से सहकारी संघवाद को मजबूती मिलेगी।
केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने बताया कि मंत्रिमंडल के हाल के फैसले के अनुसार, राष्ट्रीय पशुधन मिशन और राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) नाम की योजनाओं में अब ब्रीडर फार्म उद्यमियों और चारा उद्यमियों से संबंधित एक घटक है। आरजीएम के तहत उच्च आनुवांशिक योग्यता वाली बछिया के उत्पादन और आपूर्ति के लिए नस्ल गुणन फार्मों के लिए उद्यमियों को सीधे 50 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) ग्रामीण उद्यमिता के निर्माण में मदद करेगा और साथ हीहब स्पोक मॉडल के माध्यम से 50 प्रतिशत सब्सिडी देकर बेरोजगार आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त करते हुए युवाओं और पशुपालकों के लिए मवेशी, डेयरी, मुर्गी पालन, भेड़ पालन, बकरी पालन, सुअर पालन, पशुओं के भोजन और चारा के क्षेत्र में आजीविका के बेहतर अवसर पैदा करने में मदद करेगा।
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियानने पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण पर जोर दिया। उन्होंने पशु चिकित्सा से संबंधित ढांचे को मजबूत करने पर भी जोर देने की बात की।
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री डॉ. एल मुरुगन ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में, 2014-15 से 2019-20 तक के दौरान हमारे देश का पशुधन क्षेत्र 8.15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है। यह चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर अर्थव्यवस्था के कई अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। यह इस क्षेत्र की अपार क्षमता को दर्शाता है।”
इस बैठक में दोबारा से संगठित किए गए राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) से जुड़ी प्रस्तुतियां भी दी गईं। इन प्रस्तुतियों में पशुधन और मुर्गी पालन से जुड़े रोगों के खिलाफ रोगनिरोधी टीकाकरण के जरिए पशुओं के स्वास्थ्य संबंधी जोखिम को कम करने,पशु चिकित्सा सेवाओं की क्षमता का निर्माण करने, रोगों की निगरानी करने और पशु चिकित्सा से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य सेदूध की खरीद और दूध एवं दूध से बने उत्पादों के प्रसंस्करण, विपणन और उनकी गुणवत्ता के साथ-साथ पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण पर जोर दिया गया। सभी राज्यों के पशुपालन/पशु चिकित्सा मंत्रियों को पशुपालन में संलग्न 10 करोड़ किसानों के घर तक पशु स्वास्थ्य सेवाएं देने के उद्देश्य से देशभर में स्थापित किए गए चलंत पशु चिकित्सालयों की सेवाओं का लाभ उठाने की भी सलाह दी गई।
इस बैठक के दौरान, केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) से संबद्ध एक पोर्टल का भी शुभारंभ किया। इस पोर्टल को भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सीडबी) द्वारा पशुपालन और डेयरी विभाग के सहयोग से इस योजना के कार्यान्वयन के क्रम में इसके प्रभाव और इसकी पारदर्शिता को बढ़ाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। यह ऑनलाइन पोर्टल इस योजना के तहत जरूरतों के अनुरूप राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (एसआईए), ऋणदाताओं और मंत्रालय के बीच एक अनुकूलित कार्यप्रवाह को संभव बनाएगा।
केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने “बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी- 2020” रिपोर्ट भी जारी की। इस रिपोर्ट में दूध, अंडे, मांस और ऊन जैसे पशुधन से जुड़े प्रमुख उत्पादों के उत्पादन का अनुमान देने वाले सारणीबद्ध आंकड़े शामिल हैं। इस बैठक के दौरान सभी राज्यों के पशुपालन/पशु चिकित्सा मंत्रियों को पशुधन से जुड़े किसानों की सफलता की कहानियां भी दिखाई गईं।
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