पांच दिवसीय आल-इंडिया फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारम्भ

5
(110)

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अटल अकादमी द्वारा वित्त प्रदत पांच दिवसीय आल-इंडिया फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का वर्चुअल मोड में शुभारंभ किया गया। यह प्रोग्राम जीन और जीनोम टेक्नोलॉजी फॉर बायोलॉजिस्ट विषय पर आधारित है एवं इसमें देश के लगभग सभी राज्यों से कुल 106 प्राध्यापक व वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं।

और देखें :  कुक्कुट पालन में छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ

प्रोग्राम में यू.एस.ए, जापान, स्वीडेन, नॉर्वे के साथ भारत के प्रमुख संस्थानों जैसे आई.आई.टी, आई.सी.ए.आर इत्यादि के कई वैज्ञानिक विशेषज्ञ के रूप में जीन और जीनोम टेक्नोलॉजी पर प्रकाश डालेंगे। प्रोग्राम की अध्यक्षता डॉ रविंद्र कुमार, निदेशक शोध के द्वारा की गयी एवं डॉ अनिल गट्टानी के द्वारा इस प्रोग्राम का संचालन आयोजन सचिव के रूप में किया जा रहा है।

और देखें :  डेयरी पशु प्रबंधन पर प्रशिक्षण का समापन

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि अनुसंधान प्रबंध अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ एस. एल. गोस्वामी  ने दुनिया में जीन और जीनोम के क्षेत्र में हुए हुए शोध एवं वर्तमान में उसकी उपयोगिता से अवगत कराया। साथ ही आने वाले दिनों में इस तकनीक के महत्त्व पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा की जीनोम टेक्नोलॉजी में नवीनतम खोज और तकनीकी वृद्धि ने कई जटिल बीमारियों के शोध को सरल बनाया है, जिसका हालिया उदाहरण कोरोना काल में देखने को मिला, जीनोम सिक्वेंसिंग से हमने नए स्ट्रेन की खोज और शोध कर विश्व भर में इससे लड़ने और वायरस के बदलाव पर अध्ययन किया, जिससे बहुत हद तक हमने कोरोना जैसी महामारी को काबू में करना सिखा।

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने अपने अभिभाषण में सभी पार्टिसिपेंट्स एवं विशेषज्ञों का स्वागत किया। उन्होंने यह बताया कि देश के समस्त पशु विज्ञान विश्वविद्यालयों में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय प्रथम विश्वविद्यालय है जिसे इस तरह के प्रोग्राम हेतु अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गयी है। उन्होंने आज के परिप्रेक्ष्य  में इस प्रोग्राम कि अनेकों क्षेत्रों में उपयोगिता जैसे जेनेटिकली मॉडिफाइड फ़ूड/ क्रॉप, इन्सेक्ट टॉलरेंस, डायग्नोस्टिक टेक्निक्स, रेकॉम्बिनैंट वैक्सीन, जीन थेरेपी, माइक्रोबॉलोम, प्रोटिओमिक्स इत्यादि पर प्रकाश डाला और कहा की यह महामारी ने हमें जीनोम तकनीक के महत्व को भली-भांति समझाया, हमने इसके जरिये म्युटेंट और वायरस में हो रहे  बदलाव को जाना। यह क्षेत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है, और ऐसे आयोजनों से देश-विदेश में हो रहे नए तकनीकी शोध और एडवांसमेंट को समझने का अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी कहा की हमें तकनीक और प्रशिक्षण का भरपूर लाभ उठाना चाहिए, और इसके उपयोग और अमल में लाने से पीछे नहीं हटना चाहिए। इस प्रोग्राम में विश्वविद्यालय के समस्त वरीय पदाधिकारी एवं शिक्षकगण उपस्थित थे।

और देखें :  ई-समाधान द्वारा होगा मत्स्य किसानों की समस्याओं का समाधान- श्री मुकेश सहनी

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 5 ⭐ (110 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*