कोरोना काल ने सभी लोगों को मानसिक, आर्थिक एवं हर प्रकार से प्रभावित किया है। ऐसे ही एक युवा हैं जिन्हें कोविड-19 के चलते अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा और ये अपने गाँव लोदन वापस लौटे एवं इन्होने अपने गाँव में रहकर की स्वरोजगार के विकल्प ढूढने की ठानी एवं मुर्गीपालन को स्वरोजगार का जरिया बनाया। अपनी मेहनत और कर्मठता की वजह से आज वह कई युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत हैं।
श्री रोबिन वर्मा ग्राम लोदन तहसील बडकोट जिला उत्तरकाशी के निवासी हैं। ये एक पढ़े लिखे युवा हैं जिन्हें कई जगह काम करने का तजुर्बा है एवं ये आज कई गाँव के युवाओं के लिए प्रेरणा के श्रोत हैं जो बेरोजगार हैं एवं नौकरी की तलाश में हैं।
रोबिन जी ने उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय से 2015 में बीसीए किया साथ ही डिस्टेंस एजुकेशन से श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी से बीए और एमए किया। इसके बाद इनके द्वारा रिलायंस रिफाइनरी जामनगर में एक कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर कार्य किया गया। इसके बाद इनके द्वारा ळटज्ञ म्डत्प् के कण्ट्रोल रूम में डिस्पैच ऑफिसर के पद पर कार्य किया गया। 2019 में न्यू लाइफ नर्सिंग होम और जोशी मल्टी हॉस्पिटल सेलाकुई में जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्य किया। मार्च 2020 में कोविड-19 की वजह से इन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। अप्रैल 2020 में इन्होने 200 मुर्गियों से कुक्कुट पालन शुरू किया। 2020 में पशुपालन विभाग उत्तरकाशी सघन कुक्कुट विकास प्रायोजना द्वारा रोबिन जी को विकासखंड नौगाँव के अंतर्गत एससीपी बैकयार्ड योजना से जोड़ा गया जिसमे इनको 50 मुर्गियां, दाना,जाली एवं दवाईयां मुफ्त में दी गयी तब से ये सघन कुक्कुट विकास प्रायोजना,पशुपालन विभाग उत्तरकाशी के संपर्क में हैं।
कुक्कुट पालन में इनकी दिलचस्पी के कारण इन्हें मई 2020 से आमदनी होनी शुरू हुई। हर महीने सारा खर्चा काट कर इन्हें रू 10000 तक का मुनाफा होना शुरू हुआ। आमदनी होने पर रोबिन जी को प्रोत्साहन मिला और इन्होने कुक्कुट पालन व्यवसाय को और बढाने की सोची। जुलाई 2020 से इन्होने अपने कुक्कुट फार्म में 1000 मुर्गियां पालनी शुरू की जिसमे 600 कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गियां और 400 वनराजा प्रजाति की मुर्गियां थी।
इन मुर्गियों से रोबिन जी को 5 महीने के भीतर समस्त होने वाले खर्चे हटाके नेट आमदनी एक लाख रूपए की हुई। वर्तमान में इनके पोल्ट्री फार्म की क्षमता 1500 मुर्गियों की हैं जिसमे इनके पास 800 कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गियां हैं जिनसे इन्हें प्रतिदिन 150 अंडे प्राप्त हो रहे हैं एवं मात्र अंडों से प्रतिदिन रू 2000 की आमदनी हो रही है। अंडों का होलसेल रेट रू 10 एवं रिटेल रेट रू 15 है। इनके पास जो कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गियां हैं उनका औसत वजन 5 महीने में लगभग 1100 ग्राम प्रति मुर्गी एवं 1500 ग्राम प्रति मुर्गा रहता है।
रोबिन जी का कहना है की वे एक दिन का चूजा करनाल, हरियाणा और मध्य प्रदेश से मंगवाते हैं जिसकी कीमत प्रति चूजा 50 रुपए होती है। पांचवे महीने से ये अपने मुर्गियों की बिक्री शुरू कर देते हैं। पांच महीने मुर्गियों को पालने में लगभग प्रति मुर्गी लगभग रू. 250 का खर्चा आता है। यदि अन्य सभी प्रकार के खर्चे जोड़े जाएँ तो प्रति मुर्गी रू 310 का खर्चा होता है। 5 महीने की मुर्गियों का होलसेल दाम रू 500 एवं रिटेलर दाम रू 600 है।
6 महीने बाद मुर्गियां अंडे देना शुरू कर देती हैं। मुर्गियों की होलसेल कीमत रू 550 और मुर्गों की कीमत रू 600 होती है वहीँ रिटेल दाम रू 600 प्रति मुर्गी एवं रू 650 प्रति मुर्गा है। ये अपनी मुर्गियों को आसपास के क्षेत्र से लेकर विकासनगर एवं देहरादून तक बेचते हैं।
श्री रोबिन वर्मा एक सफल मुर्गीपालक के साथ साथ एक सफल पशुपालक भी हैं। इसके अतिरिक्त वे एक समाज सेवी भी हैं एवं अपने क्षेत्र की समस्याओं को उजागर करते है एवं उनके समाधान के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं। इनके द्वारा कोरोनाकाल में भी अपनी सेवाएँ दी गयी।
रोबिन जी का कहना है कि घर के पास मुर्गीपालन करना उन्हें एक अच्छा स्वरोजगार का विकल्प लगता है और पशुपालन विभाग उत्तरकाशी द्वारा उन्हें समय समय पर सभी प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध करवा दी जाती है एवं आवश्यकता पड़ने पर फार्म विजिट भी की जाती है। वे कहते हैं की पशुपालन विभाग एवं सघन कुक्कुट प्रायोजना उत्तरकाशी की देखरेख में वे आज एक सफल फार्मर के रूप में उभर रहे हैं। श्री रोबिन उन सभी पहाड़ों के लोगों के लिए एक प्रेरणा के श्रोत हैं जो अपने पहाड़ों में ही रहकर अपनी आजीविका कमाना चाहते हैं एवं अपने क्षेत्र के उत्थान के लिए हमेशा प्रयासरत हैं।
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