उद्देश्य
- गाय एवं भैंस की प्रजनन स्थिति का मूल्यांकन।
- परीक्षणोंपरांत विभिन्न खराबियों को दूर करने एवं पशुपालक को उत्तम प्रजनन प्रबंधन हेतु प्रोत्साहित करना।
- उपचार के उपरांत उत्तम उत्पादकता के पशुओं को रखने में सहायता करना।
- उपरोक्त उर्वरता शिविरों को कई बार उसी गांव में अथवा उसके आसपास के गांव में आयोजित करें जिससे कि पशुपालकों को ऐसे शिविरों में प्रतिभाग करने हेतु प्रोत्साहित किया जा सके।
- स्थाई रूप से अनु -उत्पादक पशुओं को कलिंग हेतु सलाह देनी चाहिए।
- इस प्रकार अंतिम रूप से पशुओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाते हुए दुग्ध उत्पादन को बढ़ाना।
उपरोक्त शिविरों में करने वाले कार्य
- सभी पशुओं का भौतिक मूल्यांकन एवं प्रजनन स्थिति का आकलन शिविर के समय ही कर दिया जाए ।
- सभी पशुओं के गोबर का परीक्षण करके समूह में ब्रॉड स्पेक्ट्रम कृमिनाशक औषधियां दी जानी चाहिए।
- जिन पशुओं में अंत:- गर्भाशय के उपचार की आवश्यकता होती है उसे शिविर में ही कर दिया जाए और बहुतायत में पशुओं को औषधि के प्रयोग की जानकारी देते हुए केस रिकॉर्ड पर अंकित करते हुए औषधि उपलब्ध करा दी जाए।
- विशेषज्ञों द्वारा उचित प्रबंधन ,खानपान एवं रोग नियंत्रण हेतु समूह में जानकारी दी जाए।
- कभी-कभी प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम आयोजित किए जाएं जिससे पशुपालक अपनी डेयरी पशुओं के समुचित प्रबंधन के साथ-साथ व्यक्तिगत समस्याओं एवं अनुभव का निराकरण विशेषज्ञों द्वारा किया जा सके।
- कभी-कभी इन उर्वरता शिविरों मैं समय अनुकूल समग्र टीकाकरण किया जाए और पशुओं की सामान्य स्वास्थ्य जांच के उपरांत उपचार किया जाए। इन शिविरों में निम्न गुणवत्ता के नर पशु का बंध्याकरण भी किया जाए।
अनु उर्वरता शिविर का आयोजन कैसे किया जाए
मुख्य रूप से पशुपालन विभाग के पशु चिकित्साविद एवं दुग्ध यूनियन अकेले अथवा संयुक्त रूप से शिविरों का आयोजन करें। कभी-कभी स्वैच्छिक रूप से समाज सेवा संगठन एवं बैंक कंपनियों द्वारा शिविर आयोजित करने हेतु पशु चिकित्सा अधिकारी से सहयोग लिया जाता है। कुछ शिविरों में नजदीकी पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय, वेटरनरी पॉलीक्लिनिक एवं पशु शोध संस्थानों के विशेषज्ञों की सेवाएं उपयोग में लेनी चाहिए।
उर्वरता शिविर के प्रचार प्रसार हेतु कम से कम 15 दिन पूर्व पंपलेट वितरित किए जाने चाहिए जिसमें शिविर का स्थान दिनांक समय एवं शिविर में भाग लेने वाले विशेषज्ञों का नाम अंकित रहना चाहिए। यदि नजदीक में ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन उपलब्ध है तो सूचना हेतु 7 दिन पहले एवं शिविर के दिनांक से 2 दिन पहले कम से कम 2 बार सूचना प्रसारित की जानी चाहिए।
पशुपालकों के नाम एवं जिन पशुओं का परीक्षण कराया जाना है उनका पंजीकरण करा लेना चाहिए।
शिविर के दिन पशुपालक को व्यक्तिगत केस स्लिप अथवा केस सीट पर पशुपालक का नाम एवं पशुओं की संख्या जिनका परीक्षण कराना है अंकित कर दिया जाना चाहिए।
पंजीकरण के क्रमांक के अनुसार पशुओं का परीक्षण करना चाहिए। कभी कभी एक पशुपालक के दूसरे पशु के परीक्षण से पूर्व दूसरा पशुपालक अपने पशु का परीक्षण करवा लेता है। दूरस्थ ग्राम के पशुपालकों का परीक्षण नजदीक के गांव या उसी गांव के पशु से पहले करना उचित होगा।
एक पशु चिकित्सक द्वारा इतिहास की जानकारी प्राप्त करना एवं उसका परीक्षण करने के उपरांत निष्कर्ष पर पहुंच कर पशुपालक को सलाह एवं उचित उपचार को अच्छी तरह समझा देना चाहिए। उपरोक्त तथ्य दूसरे पशुचिकित्सक द्वारा व्यक्तिगत केस स्लिप अथवा केस सीट पर अंकित कर दिया जाना चाहिए। बेहतर यह होगा कि केस सीट के साथ-साथ दूसरी कार्बन कॉपी भी तैयार कर देनी चाहिए। कार्बन कॉपी को पशु चिकित्सक अपने पास रख कर मूल प्रति पशुपालक को दे देनी चाहिए। मामलों में कुछ पशुपालक एक कॉपी अथवा डायरी लेकर आते हैं उस डायरी में सभी परीक्षण एवं उपचार और सलाह लिख देनी चाहिए और कार्बन कॉपी पशु के पुन: मूल्यांकन हेतु पशु चिकित्सक को अपने पास रखनी चाहिए।
पशुपालक को शिविर में औषधि उपलब्ध कराने के साथ-साथ उस औषध का उपयोग कब और कैसे करना है एवं पशु को दोबारा परीक्षण हेतु कब लाना है आदि केस सीट पर लिख भी देना चाहिए और पशुपालन को समझा भी देना चाहिए।
इस प्रकार के शिविरों के द्वारा पशुपालकों के मस्तिष्क में अच्छी जागरूकता विकसित की जा सकती है और इस प्रकार पशुपालकों को प्रजनन एवं उत्पादन बढ़ाने हेतु काफी हद तक सहायता मिलती है।
यदि उपरोक्त तथ्यों का पालन करते हुए बहुउद्देशीय चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाते हैं तो इससे पशुपालकों का अत्याधिक लाभ होता है जो कि हम पशुचिकित्सकों का एक महत्वपूर्ण दायित्व है।
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