जैविक मुर्गी पालन व प्रबंधन

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आज पोल्ट्री उद्योग विशेष रूप से देश में ग्रामीण जनता के लिये पिछलें एक दशक से स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में वृद्धि और उपभोक्ता वरीयता जैविक खेती दुनिया भर में दिन प्रतिदिन बढ़ गई है। मुर्गे-मुर्गियों को प्राकृतिक अवस्था में रखकर और उन्हें वही दाना चारा खिलाया जाता है जो बिना किसी पेस्टीसाइड या केमिकल्स के प्राकृतिक तरीके से उगाया गया हो। क्योंकि आजकल मुर्गियों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए कई तरह के केमिकल्स या एंटीबॉयोटिक्स वगैरह खिलाया जाता है, ये सब बिल्कुल भी नहीं देना चाहिए। मुर्गे-मुर्गियों को बरसीम, मोरिंगा (सहजन) गेंदा जैसे पौधे खिलाएं, इसी तरह जो अनाज खिलाते हैं वो भी प्राकृतिक तरीके से हो।अन्य पशुधन मांस कि तुलना में चिकन मांस अपनी कम उत्पादन च्रक और कम लागत के कारण सबसे महत्वपूर्ण जैविक मांस है। इसी तरह किसान दूसरे पशुओं के साथ भी मुर्गियों को पाल सकते हैं, इससे पशुओं में लगने वाले किलनी जैसे कीट को मुर्गियां खा लेती हैं।

भारत में बडे पैमाने पर वाणिज्यिक और ग्रामीण पौल्ट्री उत्पादन के लिये पाली जाती है। लेकिन जैविक मूर्गापालन में वरीयता स्थानीय स्वदेशी नस्लों या ग्रामीणों के लिए विकसित की गई पोल्ट्री जो जैविक प्रबंधन प्रणाली में कामयाब हो सकती हैं।

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ग्रामीण क्षे़त्र में जैविक मूर्गीपालन के लिये विकसित नस्लें

क्र.स नस्ल प्रकार संस्था टिप्पणिया
1 वनराजा दोहरी PDR हैदराबाद बेहतर प्रतिरक्षा क्षमता
2 गिरिराजा दोहरी KVFSU बेंगलुरू मांस और  अण्डे के लिय उपयुक्त
3 कैरी गोल्ड दोहरी CARI इज्जतनगर
4 कैरीनिर्भीक दोहरी CARI इज्जतनगर
5 कैरीष्यामा दोहरी CARI इज्जतनगर मांस और  अण्डे के लिय उपयुक्त
6 हितकारी दोहरी CARI इज्जतनगर
7 निको-राक दोहरी CARI पोर्टब्लेयर
8 कृष्णा प्रिया KAU मनुयी
9 निकोबारी अण्डा CARI पोर्टब्लेयर गर्म आन्र्द्र क्षैत्रो के लिये उपयुक्त
10 ग्रामप्रिया अण्डा PDR हैदराबाद अण्डे के लिय उपयुक्त
11 राजश्री SVVU हैदराबाद
12 प्रतापधन दोहरी MPUAT उदयपुर राजस्थान की स्थानीय ब्रर्डस के साथ उचित
13 कामरूपा AAU गुवाहाटी उच्च उतराजीविया दर
14 श्रीनिधि PDR हैदराबाद उच्च अण्डे उत्पादन क्षमता
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मुर्गीपालन के लिये आवास प्रबंधन

  • आवास का मुख्य उदेश्य ठंड, बारीश, गर्मी तेज हवा, प्रतिकुल मौसम और शिकारी रक्षा के लिये किया जाना चाहिए।
  • एक पौल्ट्री हाउस को जोडने वाली मुख्य सडक तक आसानी से पहुँचाव होना चाहिए।
  • पौल्ट्री घर को बनाते समय प्राकृतिक प्रकाश की अधिक पहुँच के अनुसार डिजाइन करना चाहिए।
  • पक्षियों के बीच प्रतियोगिता को कम करने के लिए पर्याप्त भोजन व पानी के लिये स्पेस(4-5 सेन्टीमीटर/ बर्ड भोजन के लिए और 3-4 सेन्टीमीटर/बर्ड पानी के लिए) देना चाहिए।

आहार प्रबंधन

  • पोल्ट्री को कम से कम 60 प्रतिशत प्रमाणित जैविक फीड़ अवश्य ही खिलाना चाहिए।
  • नान-जैविक फीड 20 प्रतिशत से ज्यादा नहीं देना चाहिए।
  • मूर्गीयों को व्यस्त और स्वस्थ्य रखने के लिए अनाज और मौटा चारा प्रदान करना एक अच्छा तरीका होता हैं।
  • जैविक मुर्गीपालन में लेयर और ब्राइलर के लिए औसत फीड क्रमश: 130 ग्राम और 85 ग्राम  है।
  • जैविक मुर्गी उत्पादन में पक्षियों को केवल एक लेयिंग सीजन के लिए पालना चाहिए।

स्वास्थ्य प्रबंधन

  • वर्तमान में जैविक मुर्गीपालन नियमित टीकाकरण की अनुमति देते है जहाँ अति आवश्यकता हैं और उपचार के तरीको को कम से कम स्वीकार्य किया जाता है।
  • पक्षियों के स्वास्थ को बेहतर बनाने के लिए एक प्रोबायोटिक एकल बैक्टीरिया स्ट्रेन या अलग स्टेªनों का मिश्रण पक्षियों के लिए उपयोग में लिया जा सकता है।
  • प्रीबायोटिक्स भी पौल्ट्री पक्षियो के स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करते है।
  • विभिन्न पौधौं के अर्क विषेष रूप से आवश्यक तेलों को उनके विरोधी माइक्रोबियल क्षमता के लिए परिक्षण किया गया है। पौल्ट्री की पाचनशक्ति मे सुधार के लिए उनमें से कुछ जैसे काली मिर्च का तेल, दालचीनी तेल, लहसुन तेल आदि है।
  • प्रोबायोटिक्स, प्रीबायोटिक और पौधौ का अर्क एक जैविक पौल्ट्री खेती में एन्टीबायोटिक के वैकल्पिक स्त्रोत के रूप में वृद्धि और स्वास्थ्य सुधार के रूप में उपयोग में लिया जा सकता हैं।
और देखें :  पॉल्ट्री रोगों के डायग्नोसिस में विकास सम्बंधित कार्यशाला का आयोजन

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