अश्व एक बहुत ही उपयोगी पशु है, जिसका उपयोग सेना, पुलिस, घुड़ दौड़, परिवहन के रूप में, कई खेलों, व्यवसायों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों इत्यादि में होता है। इनकी अनेकों उपयोगिता के कारण इनके प्रजनन व प्रबंधन का अति महत्व है, जिससे कि अच्छे अश्वो की उपलब्धता बनी रहे।
मादा अश्वो में मद चक्र
मादा अश्व १२ से १५ माह की आयु में योवनावस्था को प्राप्त करती है व इनका मद चक्र प्रारंभ हो जाता है। मादा अश्वो मे मद चक्र 20-23 दिनों का होता है, जिसमे चार अवस्थाएं होती है, प्रोईस्ट्रस, ईस्ट्रस, मेटईस्ट्रस और डाई ईस्ट्रस जिनकी अवधि क्रमशः तीन दिन, चार से सात दिन , तीन से पाँच व छः से दस दिन होती है।
मादा अश्वो में मदकाल के लक्षणों की जानकारी व पहचान होना अति आवश्यक है क्योंकि मादा अश्व सामान्यतः मौसमी मदचक्र दर्शाती है, ये मुख्यतः प्रजनन चक्रीयता लंबे दिनों (मार्च से सितंबर) जब प्रकाश की उपलब्धता अधिक होती है तब दर्शाती है। जिसके लिए मेलेटोनिन नामक हार्मोन जीमेदार है जो कि मादा अश्वो मे मदचक्र को नकारात्मक तौर पर प्रभावित करता है व मद चक्र के सूचरु रूप से चलने मे बाधक होता है। ये हार्मोन अंधेरे के प्रभाव में पेनीयल ग्रंथी द्वारा अधिक मात्रा में सत्रवित होता है। जिस कारण वश मादा अश्व प्रजनन चक्रीयता लंबे दिनों (मार्च से सितंबर) जब प्रकाश की उपलब्धता होती है तब सक्रिय रूप से दर्शाती है। मादा अश्वो के मदचक्र मे फॉलिकुलर स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH) की दो उच्च शिखर तरंग पाई जाती है व लियुटिनाइजिंग (LH) हॉर्मोन की लंबी अवधि तक शिखर तरंग पाई जाती है।
मदकाल (ईस्ट्रस) वह अवस्था है जब मादा अश्व, नर अश्व के साथ प्रजनन के लिए तैयार होती है तथा ईस्ट्रोजन हॉर्मोन के प्रभाव में मद के लक्षणों को दर्शाती है।
मादा अश्वो में अंडोत्सर्जन
मादा अश्वो में अंडोत्सर्जन की क्रिया स्वतः ही होती है किसी भी प्रकार से प्राकृतिक संभोग पर निर्भर नहीं होती, अंडोत्सर्जन मदकाल के आखिरी दो दिनों मे होता है। इनके अंडाशय मे अंडोत्सर्जन के लिए गड्ढा (फोसा) पाया जाता हे जहाँ से अंडोत्सर्जन होता है।
मादा अश्वो में मद के लक्षण निम्न प्रकार से है:
- उत्तेजना
- बार- बार मूत्र त्याग करना।
- योनि से चिपचिपा द्रव्य स्त्रावित होना।
- योनि की आंतरिक सतह का अधिक रक्त प्रवाह के कारण लाल हो जाना।
- मादा अश्वों में मद का प्रमुख लक्षण क्लाइटोरिस की विंकिंग (खुलना बंद होना) होना सबसे मुख्य संकेत है।
- पुंछ ऊपर उठाना व एक तरफ कर लेना।
अश्वो में प्रजनन
मादा अश्व मदकाल के समय नर अश्व के साथ प्रजनन (संभोग) के लिया तैयार होती है। नर अश्व मादा अश्व की और आकर्षित होते है अपने ऊपर के होंठों को उलटा घुमा कर (कर्लिंग) व गर्दन को ऊपर की ओर खीचंते है (जिसे फ्लेमन प्रतिक्रिया कहते है) प्रदर्शित करते है, साथ ही इनमें मादा अश्वो की गर्दन व पार्श्व भाग में काटना जैसा प्रमुख लक्षण देखा जाता है।
मादा अश्वो में गर्भावस्था
मादा अश्वो का गर्भकाल लगभग ३२० से ३६० दिनों का होता है। इनमें गर्भकाल की जाँच गुदा मार्ग द्वारा ३० से ४० दिनों में व अल्ट्रासोनोग्राफी विधि द्वारा १० से १५ दिनों में की जा सकती है। इसके अलावा प्रयोगशाला में ऐशचिम जोनडियक (ए-जेड) व क्यूबोनिक परीक्षण द्वारा हॉर्मोन की जाँच कर गर्भकाल का पता लगाया जा सकता है।
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पशु प्रजनन, मादा रोग एवं प्रसूति विज्ञान विभाग, पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय जबलपुर, मध्य प्रदेश, भारत
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पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय जबलपुर, मध्य प्रदेश, भारत
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