हिमाचल के ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के सक्षम नेतृत्व में जन सेवा के लिए समर्पित प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022-23 के बजट में सभी वर्गों के समान विकास के लिए समुचित प्रावधान किए हैं। विशेष तौर पर कृषि, पशुपालन व ग्रामीण विकास के लिए बजट में प्रमुखता दी गई है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट में अर्थव्यवस्था को कृषि क्षेत्र ने सम्बल प्रदान किया है, जोकि वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा आरम्भ की गई किसान हितैषी योजनाओं के कारण ही संभव हो सका है। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के परिणाम बहुत ही उत्साहवर्द्धक रहे हैं और प्रधानमंत्री द्वारा भी इस क्षेत्र में हिमाचल के प्रयासों को सराहा गया है। इस बजट में प्रदेश में 50 हजार एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती के अन्तर्गत लाने का प्रावधान किया गया है। प्रदेश की सभी 3615 पंचायतों में प्राकृतिक कृषि का एक-एक मॉडल विकसित कर आस-पास के किसानों को प्रशिक्षित व प्रोत्साहित करने में सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त 100 गांवों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्राकृतिक कृषि गांव के रूप में परिवर्तित करने और प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के पंजीकरण का प्रावधान भी सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि किसानों को बाजार से सीधा जोड़ने के लिए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन किया जा रहा है। आगामी वर्ष में 20 और एफपीओ गठित करने का प्रावधान किया गया है, जिनमें से 10 केवल प्राकृतिक कृषि पर आधारित होंगे। पराला मंडी को आदर्श मंडी के रूप में विकसित करने के लिए 60.93 करोड़ रुपये की लागत से 5 हजार मीट्रिक टन क्षमता का नया कोल्ड स्टोर स्थापित होने से उत्पादकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। जायका चरण-2 परियोजना में 13 मार्केट यार्डों को सुदृढ़ करने के लिए 31 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
हींग व केसर की प्रायोगिक खेती के उपरान्त अब प्रदेश में दाल-चीनी एवं मौंक फ्रूट की खेती पायलट आधार पर प्रारम्भ करने से कृषि क्षेत्र में विविधता आएगी। मक्की और गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने तथा प्रदेश की पहाड़ी किस्मों के संवर्द्धन के लिए बीज उपदान के वर्तमान आवंटन को 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करने व अन्य फसलों के उत्तम बीज उपलब्ध करवाने के लिए 3 करोड़ रुपये की घोषणा से किसानों को और अधिक लाभ मिलेगा।
उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए 2022-23 के बजट में 583 करोड़ रुपये का प्रावधान करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से किसानों की आय में आशातीत बढ़ोतरी के साथ ही उनकी खुशहाली की नई राहें प्रशस्त होंगी।
वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि गौवंश के संरक्षण के लिए कृतसंकल्प प्रदेश सरकार के प्रयासों से गौशालाओं तथा गौसदनों में गौवंश की संख्या 6 हजार से बढ़कर 20 हजार हो गई है। उन्होंने आगामी वित्त वर्ष में 5 बड़े गौ-अभयरण्यों एवं गौसदनों की स्थापना, हिमाचली पहाड़ी गाय के संरक्षण के लिए उत्कृष्ट फार्म स्थापित करने तथा गौसदनों में आश्रित गौवंश के लिए गोपाल व्यवस्था के अन्तर्गत अनुदान 500 से बढ़ाकर 700 रुपये करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने गत चार वर्षों में दुग्ध उत्पादन से जुड़े परिवारों के हितों की रक्षा के लिए दूध खरीद मूल्य में 7 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। इसे निरन्तरता प्रदान करते हुए आगामी बजट में भी 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी से दुग्ध उत्पादकों को उचित मूल्य मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि शिमला के दत्तनगर तथा मण्डी के चक्कर में प्रतिदिन 50 हजार लीटर क्षमता के दो मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट शुरू करने, पशुपालकों की सुविधा के लिए 44 मोबाइल वेटरनरी एम्बुलेंस चलाने के लिए 7 करोड़ रुपये तथा ग्रामीण बैकयार्ड भेड़ विकास योजना के अन्तर्गत 2 हजार भेड़ इकाइयां स्थापित करने के लिए 12 करोड़ रुपये के प्रावधान से पशुपालकों की आर्थिकी और सुदृढ़ होगी।
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