बकरी पालन एक बहुत ही उत्तम व्यवसाय है, जो कि लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने में समर्थ है। इनका बहुपयोगी होना, वातावरण के हिसाब से आपने आपको ढालने की क्षमता व कम कीमत के कारण आमजन की पहुच में होना इसे बहु उद्देशीय व्यवसाय के रूप में स्थापित करती है। इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रजनन नियमित व सामान्य होना अति आवश्यक है।
प्रजनन के पश्चात गर्भावस्था के दौरान बकरियों को खास रखरखाव की बहुत आवश्यकता होती है। प्रजनन पश्चात पहले के तीन से चार सप्ताह गर्भ ठहरने के लिए अति महत्वपूर्ण होते है। इस दौरान किसी भी प्रकार का वातावरणीय दवाब, पोषण में अनियमित्ता व कमी भ्रूण की मृत्यु दर को बढ़ा देती है तथा बकरियों में गर्भाशयी संक्रमण का कारण बनती है।
बकरियों का गर्भकाल सामान्यतः 145 से 150 दिन के लगभग होता है।
गर्भावस्था के दौरान रखरखाव को निम्न प्रकार से बाँटा गया है
- प्रजनन व कृत्रिम गर्भाधान के पश्चात रखरखाव
शुरुवाती गर्भावस्था में बकरियों को संतुलित आहार व आवश्यक खनिज लवण देना चाहिए, जिससे कि भ्रूण का शुरुआती विकास अच्छी तरह हो सके। उनका आवास हवादार, प्रकाश युक्त व विसंक्रमित होना चाहिए। गर्भित बकरियों को सुरक्षा की दृष्टि से नर बकरों से व अन्य झगड़ालू बकरियों से अलग रखना चाहिए।
- ब्याने के दो माह पूर्व की तैयारियाँ
ब्याने के दो माह पूर्व यदि बकरियाँ दुग्ध दोहने की अवस्था में है तो उनका दुग्ध सुखाना चाहिेए क्योंकि आखिर के गर्भावस्था के महीनों में भ्रूण के विकास के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। दुग्ध सुखाने से जो ऊर्जा दुग्ध उत्पादन में खर्च होती, वह भ्रूण के विकास में सहायक होगी।
दुग्ध सुखाने के लिए आहार में कमी करना, कुछ दिनों के लिए दाने में कमी, सप्ताह भर के लिए रात्रि के समय पानी न देना तथा दुग्ध दुहने में अनियमित्ता जैसे उपाय आपने जा सकते है। थानों को संक्रमण से बचाने के लिए थानों में डाली जाने वाली दवाई (Intra mammary infusion) का उपयोग किया जा सकता है।
- ब्यात के एक माह पूर्व की तैयारियाँ
ब्यात के एक माह पूर्व बकरियों को 0.5 से 0.7 किलो ग्राम दाना रोजाना देना चाहिए। उनके पृष्ठ भाग के लंबे बालों को काट देना चाहिए ताकि ब्यात के समय किसी प्रकार का संक्रमण न हो। यदि बकरियों के पैरों के खुर बड़े हो तो,उन्हे काट देना चाहिए इनके कारण बकरियों के गिरने की संभावना बढ़ जाती है व उन्हे ओर गर्भस्थ भ्रूण को क्षति पहुच सकती है। ब्यात के एक माह पूर्व बकरियों की बीमारियों से सुरक्षा के लिए एन्टेरोटॉक्सीमिया तथा टेटनस का टीका लगवाना चाहिए। इस समय इन बीमारियों के टीके से उत्पन्न रोगप्रति रोधक क्षमता दुग्ध के द्वारा नवजात बच्चों (मेमनों) में भी पहुँचती है।
- ब्यात के एक सप्ताह पूर्व की तैयारियाँ
ब्याने के एक सप्ताह पूर्व बकरियों को अलग ब्याने वाले साफ कमरे में रखना चाहिए, जिससे उनकी उचित देखभाल हो सकें। पशु मालिक के पास किसी भी आकस्मिक समस्या (चिकित्सा) के लिए, पशुचिकित्सक का संपर्क होना चाहिए। नवजात बच्चों (मेमनों) के जन्म के समय की ज़रूरी चीजे जैसे साफ कपड़े (बच्चे को साफ करने के लिए व गरम रखने के लिए), साफ ब्लैड (नाल काटने के लिए) व टिंकचर आयोडिन (बच्चों की नाल पर लगाने के लिए) होना चाहिए ताकि नवजात बच्चों (मेमनों) को नेवल इल नामक रोग से बचाया जा सकें।
- ब्यात के एक व दो दिन पूर्व की तैयारियाँ
बकरियों में ब्याने वाले लक्षणों की अच्छी तरह से पहचान करनी चाहिए। ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि प्रसव सही समय पर हो रहा है या कोई अन्य समस्या तो नहीं है जैसे गर्भकाल की आवधि बढ़ जाना। एसी स्थिति में पशुचिकित्सक की उचित सलाह लेना चाहिए। ब्यात वाले पृथक कमरे साफ, संक्रमण रहित, हवादार व प्रकाशयुक्त होने चाहिए।
- ब्यात के दौरान की तैयारियाँ
सामान्यतः प्रसव में सक्रिय संकुचन होने पर आधे से एक घंटे का समय लगता है, यदि बकरी सक्रिय संकुचन के पश्चात भी दो से तीन घंटे तक असमर्थ होती है तब कई सारी प्रसव संबंधी समस्याएँ हो सकती है। एसी स्थिति में पशुचिकित्सक की सहायता एवं उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
गर्भावस्था के दौरान बरती गई असावधानियाँ बकरियों व गर्भस्थ भ्रूण के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। उक्त लिखित सावधानियों को आपनाकर इन हानियों से बचा जा सकता है।
Be the first to comment