बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के ईटीटी एवं आईवीएफ प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से गायों मे भ्रूण प्रत्यारोपण कर सफलता पायी है। ज्ञात हो की इसी प्रयोगशाला में पिछले वर्ष बिहार में पहली बार भ्रूण-प्रत्यारोपित बाछी “नंदिनी” का जन्म हुआ था।
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ के तहत भ्रूण प्रत्यारोपण सह आईवीएफ प्रयोगशाला की स्थापना बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में की गई है, जिसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 10 सितंबर 2020 को वर्चुअल माध्यम से किया था. प्रयोगशाला में कार्यरत वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयास से साहिवाल, रेड सिंधी इत्यादि उच्च छमता वाली गायों से भ्रूण- प्रत्यारोपण का कार्य अब रफ्तार पकड़ने लगा है। प्रयोगशाला मे जल्द ही आईवीएफ तकनीक के माध्यम से गर्भ के बाहर ही निषेचित मादा-भ्रूण की उपलब्धता हो सकेगी, जिसे राज्य के अन्य जिलों मे भी प्रत्यारोपित किया जा सकेगा जो कि गाय-भैंसों में नस्ल सुधार के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
परियोजना के क्रियान्वयन से जुड़े वैज्ञानिक डॉ दुष्यंत, डॉ शीतल, डॉ आज़ाद, डॉ प्रमोद, डॉ अजित, डॉ प्रमोद कुमार, डॉ सुचित कुमार, डॉ अमरेन्द्र किशोर का इस सफलता में अहम् योगदान रहा। गौरतलब है की भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के माध्यम से उच्च गुणवत्ता एवं ज्यादा दूध देने वाली गाय से एक साथ कई भ्रूण पैदा किए जाते हैं जिन्हें 7 से 8 दिन बाद कम दूध देने वाली ग्राही गायों में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है जिससे पैदा होने वाले बाछा- बाछी अधिक उत्पादन क्षमता वाले वाले होते हैं।
परियोजना के मुख्य-अन्वेषक डॉ जे के प्रसाद एवं निदेशक शोध डॉ रविंद्र कुमार ने इस सफलता के लिए वैज्ञानिकों की पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी एवं आईवीएफ़ तकनीक से राज्य के किसानों को लाभान्वित करने के दिशा मे एक सकारात्मक पहल बताया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा की आईवीएफ तकनीक को जमीनी स्तर पर ले जाने में विश्वविद्यालय कृतसंकल्पित है और जल्द ही इसका बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा।
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