पक्षियों से मांस उत्पादन के दौरान मांस के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के उपोत्पाद (By-Product) काफी मात्रा में प्राप्त होते हैं। मांस उद्योगों के लिए वधशाला या बुचड़खानों के उपोत्पादों का निपटारा करना एक बड़ी समस्या हो जाती हैं क्यूंकि एक तो ये बहुत अधिक मात्रा में उत्पन्न होते हैं तथा दूसरे वे बहुत ही जल्दी खराब हो जाते हैं और पर्यावरण के लिए समस्या बन जाते हैं। क्योंकि ये उत्पाद पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं इस कारण से यदि इन उपोत्पादों का उचित उपयोग किया जाये तो न केवल इनसे मुक्ति मिलेगी बल्कि इनसे विभिन्न उपयोगी चीजें बनाकर अतिरिक्त आय भी अर्जित की जा सकती है।
यदि बुचड़खानों में पैदा होने वाले उपोत्पादों का उचित उपयोग किया जाये तो बूचड़खाने को चलाने का खर्च इसी से निकाला जा सकता है। यंहा हम कुक्कुट (पोल्ट्री) वधशाला से प्राप्त होने वाले कुछ प्रमुख उत्पादों तथा उनके उपयोग की चर्चा करेंगे। पक्षियों से मांस के उत्पादन के दौरान उनके कई प्रकार के अंग जो कि सामान्यतः खाने के काम नहीं आते हैं निकाल दिए जाते हैं इन्हें उपोत्पादों (By-Products) की संज्ञा दे दी जाती है। पोल्ट्री के पंख, पैर, सिर, चमड़, विभिन्न भीतरी अंग आदि को इनकी प्रकृति के अनुसार कई प्रकार के उपयोगी चीजों में बदला जा सकता है। इनमें से कुछ प्रमुख उपोत्पादों का उपयोग निम्नानुसार किया जा सकता हैं:
पक्षियों के पंखों द्वारा पशु आहर का निर्माण
मुर्गियों तथा अन्य पक्षियों से मांस के उत्पादन के दौरान बहुत अधिक मात्रा में पंख प्राप्त होते हैं। ये मुख्यतः किरैटिन (Keratin) से निर्मित होते हैं जो कि आसानी से नहीं पचता है, किन्तु यह सल्फरयुक्त अमीनो अम्लों से भरपूर होता है तथा जुगाली करने वाले पशुओं के आहार के रूप में इसे सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे पचने लायक बनाने के लिए धुले हुए साफ पंखों को उच्च दबाव 40-50 पौंड प्रति वर्ग इंच दाब पर 30-60 मिनट तक पकाते हैं तथा इसके बाद इसे 12 घंटे के लिये 70 डिग्री सेण्टीग्रेड तापमान पर सुखा लेते हैं। सूखने के बाद इसे पॉलीथीन के थैलो में रख लेते हैं। इसे गाय भैंस तथा अन्य जानवरों के लिए पशु आहार के रूप में उपयोग किया जा सकता हैं।
पोल्ट्री भीतरी अंग, सिर तथा पैर का पशु आहार के रूप में उपयोग
इसके अन्तर्गत पक्षियों एवं मुर्गियों के पाचन तंत्र के विभिन्न अंग तथा पैर व सिर का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के उत्पादों में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं तथा इनमें विभिन्न व्रकार के खनिज लवण तथा विटामिन मांस से भी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। परन्तु इनमें नमी की अधिकता तथा इनकी विशिष्ट बनावट के कारण बहुत जल्द खराब होने का गुण होता है, इस कारण से इन्हे उत्पादन के तुरंत बाद या तो शीत भंडारित कर लेना चाहिए या यथाशीघ्र उपयोग कर लेना चाहिए। सर्वप्रथम इन्हें साफ पानी से धोकर उच्च दबाव (एक किलोग्राम प्रति वर्ग इंच) पर आधे घण्टे के लिए पकाते हैं तथा ऊपर आयी हुई चर्बी की परत को अलग कर लेते हैं। चर्बी निकालने के बाद बचे हुए भाग को 70 डिग्री सेण्टीग्रेड तापमान पर 6 घंटे तक सुखा लेते हैं। अच्छी तरह से सूख जाने के पश्चात इसे खराब होने से बचाने के लिये हवा एवं नमी रोधी लिफाफों में बंद कर रख लेते हैं। इसे गाय, भैंस, सूकर, पोल्ट्री आदि के लिए पशु आहार के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
पक्षियों से प्राप्त रक्त का पशु आहार के रूप में उपयोग
पक्षियों के शरीर में 7 से 8 प्रतिशत रक्त पाया जाता है। मांस उत्पादन के दौरान लगभग 3 से 4 प्रतिशत रक्त प्राप्त होता है। अन्य उत्पादों की तुलना में रक्त में वातावरण को प्रदूषित करने की प्रवृत्ति सवाधिक पाई जाती है इस वजह से इसका निपटारा अति आवश्यक हो जाता है। रक्त में शरीर के लिए आवश्यक सभी अमीनो अम्ल तथा लोह तत्व प्रचुर मात्र में पाए जाते हैं इस कारण से पशुआहार के रूप में इसका उपयोग विशेष लाभकारी है। इससे पशुआहार बनाने के लिए इसमें 10 प्रतिशत की दर से 10 प्रतिशत सोडियम सिट्रेट मिलाते हैं ताकि रक्त को जमने से रोका जा सके। फिर इसे 70 डिग्री सेण्टीग्रेड तापमान पर 14-16 घण्टों तक सुखाते हैं, इस दौरान ट्रे को बीच-बीच में हिलाते रहते हैं ताकि सूखने की प्रक्रिया एक समान हो। सुखाने के बाद इसे पीस कर पॉलिथीन की थैली में पैक कर रख लेते हैं। सामान्यतः रक्त से बना आहार पशुओं को कम रुचिकर लगता है किन्तु उच्च पोषकता होने के कारण इसे अधिकतम 10 प्रतिशत तक बिना स्वाद में विशेष परिवर्तन के इस्तेमाल किया जा सकता है। रक्त का उपयोग जलघर की मछलियों के लिए भोजन तैयार करने के लिए भी किया जा सकता है।
अंडे के छिलकों का आहार के रूप में उपयोग
अंडे का छिलका या जर्दी अंडे का लगभग 11 प्रतिशत भाग होता है, अंडे का छिलका कैल्शियम तथा मैग्नीशियम का बहुत ही अच्छा तथा सस्ता स्रोत हैं। इसे पशुआहार के रूप में उपयोग करने के लिए सबसे पहले अण्डे के छिलकों को धोकर साफ कर लेते हैं। अच्छी तरह से साफ छिलकों को 70 डिग्री सेण्टी ग्रेड तापमान पर 12 घंटे तक सुखाकर पीस कर पॉलिथीन की थैली में भर लेते हैं। यह पशुओं के लिए कैल्शियम का सस्ता व सुलभ स्रोत का कार्य करता है।
मांस तथा हड्ड़ी का पशु आहर के रूप में उपयोग
यह फॉस्फोरस के बहुत ही अच्छे स्त्रोत का कार्य करता है। इसके लिए अखाद्य मांस को एकत्र करके छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेते हैं। छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने के बाद इसे 15 पौंड दबाव पर 15 मिनट के लिए पकाते हैं ताकि यह रोगकारक सूक्ष्मजीवों से रहित व सुरक्षित हो जाए। अच्छी तरह से पके हुए पदार्थ के ऊपर से चर्बी की परत को हटा देते है तथा शेष पदार्थ को सुखाने के पश्चात इसे अच्छी तरह से पीसकर ऑक्सीजन व नमी रोधी पॉलिथीन की थैली में भरकर रख दिया जाता है। यह फॉस्फोरस तथा प्रोटीन का उत्तम स्रोत है जिसे सभी पालतू जानवरों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस प्रकार से हम देखते हैं कि यदि पक्षियों की वधशाला या बुचड़खानों के विभिन्न उपोत्पादों को पशु आहार के रूप में उपयोग किया जाए तो यह “आम के आम और गुलियों के दाम” वाली कहावत को चरितार्थ करता है। आज के समय में बाजार में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कई पशु आहारों का निर्माण पक्षियों की वधशाला से प्राप्त उपोत्पादों द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में उत्पादों से आहार के निर्माण का बाजार तेजी से विकसित हो रहा है तथा उपोत्पादों के समुचित उपयोग द्वारा वधशाला के रखरखाव का पूरा खर्चा इससे निकाला जा सकता है। जहां एक ओर इससे संसाधनों का समुचित उपयोग होता है वहीं दूसरी ओर इससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं तथा पर्यावरण की भी रक्षा की जा है।
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