पशुओ में अफ़ारा रोग

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पशुओ में अफ़ारा रोग एक अचानक होने वाला रोग है, जिसमें वायु के प्रकोप के कारण से पेट फूल जाता है। अफ़ारा होने पर पशु को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है और पेट का आकार बढ़ जाता है। उठने व चलने में कठिनाई होती है और पशु खाना छोड़ देता है, अंत में पशु की मृत्यु भी हो सकती है। मुख्यत: यह रोग अधिक या दूषित चारा खाने से होता है परन्तु हरा और रसीला चारा, भींगा चारा, अनाज या दलहनी चारा अधिक मात्रा में खा लेने से भी अफ़ारा की बीमारी हो जाती है। बछड़ो में एक साथ ज्यादा दूध पी लेने के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।

अफ़ारा रोग

लक्षण

  • पशु का पेट फूल जाता है, ज्यादातर रोगी पशु का बायाँ पेट पहले फूलता है। पेट को थपथपाने पर ढोल की तरह (ढप-ढप) की आवाज आती है।
  • पशु जुगाली करना बंद कर देता है।
  • उठने व चलने में कठिनाई होती है और पशु खाना छोड़ देता है।
  • पशु पैर पटकने लगता है।
  • पशु को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है।
  • रोग के अत्यधिक तीव्र अवस्था में पशु बार-बार लेटता और खड़ा होता है।
  • पशु पेशाब एवं गोबर करना बंद कर देता है।
  • तुरंत इलाज नहीं करने पर रोगी पशु मर भी सकता है।
और देखें :  पशुओं का घातक रक्त परजीवी रोग: थिलेरियोसिस कारण एवं निवारण

कारण

  • पशु के खाने में अचानक कोई बदलाव करना।
  • खाने में अचानक बदलाव करना।
  • दूषित चारा खा लेना या दूषित पानी पी लेना।
  • हरा और रसीला चारा, भीगा चारा अथवा गेंहू, मक्का आदि अनाज या दलहनी चारा अधिक मात्रा में खा लेना।
  • बरसात के मौसम में हरा चारा अधिक मात्रा में खा लेना।
  • पाचन शक्ति कमजोर हो जाने पर मवेशी को इस बीमारी से ग्रसित होने की आशंका अधिक होती है।

बचाव एवं उपचार

  • अचानक पशु के खाने में बदलाव ना करें।
  • पशुओं को अत्यधिक मात्रा में गेंहू, मक्का आदि अनाज या दलहनी चारा न खाने दें।
  • जानवरों को सुबह में गीले चरागाह में जाने से बचें।
  • बहुत भूखे जानवरों को चरागाह में चरने न दें।
  • जानवरों को चराई के लिए बाहर ले जाने से पहले सूखी, पहले से काटी हुई घास काट खिलाएं।
  • घरेलू उपचार हल्के मामलों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • गंभीर मामलों में जल्दी से जल्दी पशु चिकित्सक को तुरंत बुलाना ही बेहतर रहता है, लेकिन पशु चिकित्सक के आने तक निम्न में से कोई  प्राथमिक घरेलु उपचार कर के पशु को बचा सकते है।
  • सबसे पहले पशु को बैठने ना दे उसे टहलाते रहे (घुमाते फिराते रहें)
  • एक लीटर छाछ या पानी में 50 ग्राम हींग और 20 ग्राम काला नमक मिला कर उसे पिलाए।
  • सरसों अलसी या तिल के आधा लीटर तेल में तारपीन का तेल 50 से 60 मी.ली. लीटर मिला कर पिलायें।
  • पशुचिकित्सक की सलाह पर बाज़ार में उपलब्ध अफ़ारा नाशक औषधि पिलायें।
और देखें :  सर्दियों में ठंड से बचाव हेतु पशुओं की आवश्यक देखभाल

इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

और देखें :  दुधारू पशुपालकों की आमदनी निर्धारित करती फैट की मात्रा एवं उससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

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