19 दिसम्बर 2018: राजस्थान के नवनियुक्त मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने शपथ लेने के बाद दूसरे दिन ही जन-घोषणापत्र पर अमल करते हुए सहकारी बैंकों के पात्र ऋणी किसानों के 30 नवम्बर, 2018 की स्थिति में समस्त बकाया अल्पकालीन फसली ऋण माफ करने का ऎतिहासिक निर्णय किया है। राज्य सरकार ने राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से अल्पकालीन फसली ऋण लेने वाले उन सभी पात्र किसानों के 2 लाख रुपये तक के अवधिपार एवं कालातीत फसली ऋण माफ करने का निर्णय भी लिया है, जो आर्थिक रूप से संकटग्रस्त हैं और अपना ऋण नहीं चुका पा रहे है।
राज्य सरकार ने निर्धारित मापदण्डों के अनुसार ऎसे पात्र किसानों का 30 नवम्बर, 2018 की स्थिति में 2 लाख रूपये तक की सीमा तक का अवधिपार एवं कालातीत फसली ऋण माफ किया है। श्री गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार ने अपना पहला ही निर्णय किसानों के हित में समर्पित कर उन्हें बड़ी राहत दी है। श्री गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार का उद्देश्य संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन देना है।
सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए केन्द्र से मांगा अतिरिक्त फंड
मुख्य सचिव श्री डीबी गुप्ता ने अन्तर मंत्रालयिक केन्द्रीय दल के सदस्यों के समक्ष सूखा प्रभावित राज्य के 9 जिलों में राहत सहायता के लिए 2 हजार 819 करोड़ 58 लाख रुपये की आवश्यकता बताई। उन्होंने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में फसलों की क्षति, पेयजल परिवहन एवं पशु संरक्षण गतिविधियों एवं अन्य राहत गतिविधियों के संचालन हेतु अतिरिक्त सहायता की मांग केन्द्रीय दल के सामने रखी।
मुख्य सचिव बुधवार को सचिवालय में अन्तर मंत्रालयिक केन्द्रीय दल द्वारा प्रदेश के सूखा प्रभावित जिलों के भ्रमण के पश्चात् आयोजित डीब्रीफिंग बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्य सचिव ने केन्द्रीय दल को बताया कि प्रदेश में इस बार कम बारिश के चलते बड़ा हिस्सा सूखे से प्रभावित है तथा खरीफ की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि किसान पहली बारिश आते ही फसल बो देता है। यदि उसके पश्चात् कुछ दिन यदि बारिश नहीं आती है तो उसकी बुआई बेकार हो जाती है। उन्होंने बताया कि कम बारिश के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने केन्द्रीय दल के सदस्यों से कहा कि केन्द्र से समय पर सहायता मिलने पर ही उसका पूरा फायदा सूखा प्रभावित क्षेत्रों को पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने मवेशियों के लिए चारा डिपो बनाने तथा गोशालाओं के लिए भी अतिरिक्त सहायता देने की मांग की।
बैठक में आपदा प्रबन्धन एवं सहायता विभाग के सचिव श्री हेमन्त कुमार गेरा ने प्रदेश में सूखा प्रभावित 9 जिलों बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, जालौर, जोधपुर, हनुमानगढ़, पाली, चूरू तथा नागौर में टेंकों की स्थिति, पानी की उपलब्धता, भूजल की स्थिति आदि से अवगत करवाया। उन्होंने दल के सदस्यों को बताया कि इन 9 जिलों में जून 2018 से सितम्बर 2018 तक 217.44 मिमि वर्षा रिकॉर्ड की गई है, जो कि सामान्य से लगभग 26.45 प्रतिशत कम है। उन्होंने बताया कि 9 जिलों की 58 तहसीलों के 5 हजार 555 राजस्व गांव सूखा प्रभावित हैं तथा 17.95 लाख किसानों का फसल खराबा 33 प्रतिशत से अधिक है।
श्री गेरा ने बताया कि इन 9 जिलों में सूखे से 72.50 लाख मानव एवं 86.59 लाख मवेशी प्रभावित हुए हैं। उन्होंने बताया कि 1914.14 करोड़ रुपये की कृषि इनपुट सब्सिडी, आपातकालीन पीने के पानी के प्रबन्धन के लिए 197.30 करोड़ रुपये की राशि, गौशालाओं के लिए 339.26 करोड़, सूखे के दौरान गौशालाओं में अतिरिक्त मवेशियों के लिए 153.75 करोड़, चारे की ढुलाई पर सब्सिडी के लिए 192.20 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
बैठक में केन्द्रीय दल के सदस्यों ने प्रभावित क्षेत्रों के भ्रमण के दौरान सामने आई स्थिति पर अपने विचार रखे तथा सलाह भी दी। दल के अध्यक्ष कृषि मंत्रालय, भारत सरकार में एम आई डी एच के संयुक्त सचिव श्री दिनेश कुमार ने कहा कि दल के सभी लोग इस बात से सहमत हैं कि प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में फसलों की स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं है। मूंग, मोठ तथा बाजरे की फसलों को बहुत नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सूखा प्रभावित व्यक्तियों को सहायता पहुंचाने का काम पारदर्शी तरीके से किया गया है। उन्होंने गिरदावरी के अतिरिक्त जीपीएस से ग्राउण्ड ट्रुथिंग करने के लिए भी परामर्श दिया।
बैठक में आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग, वित्त विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, सहकारिता विभाग, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता सुरक्षा विभाग, गौपालन विभाग, मौसम विभाग तथा संबंधित विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव, शासन सचिव, निदेशक तथा अन्य उच्च अधिकारी उपस्थित थे।
गौरतलब है कि कृषि मंत्रालय, भारत सरकार में एम.आई.डी.एच के संयुक्त सचिव श्री दिनेश कुमार की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय अन्तर मंत्रालयिक केन्द्रीय दल ने राज्य के सूखा प्रभावित जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, जोधपुर, बीकानेर व चूरू का दौरा किया था। केंद्रीय दल ने इन जिलों में लिया सूखे की स्थिति का जायजा लिया तथा गौशाला संचालन एवं मिलने वाले अनुदान चारे, पानी की उपलब्धता, फसलों में खराबे का निरीक्षण किया।
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