कृषि संबंधी जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं शिक्षा पर बल देने के लिए सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर

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15 जनवरी 2019: जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने कृषि जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी संबंधी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए कई गतिविधियों और कार्यक्रमों का दायित्‍व ग्रहण किया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) देशभर में बागवानी, मत्‍सय और पशुविज्ञान सहित कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षा के लिए समन्‍वय, मार्गदर्शन  और प्रबंधन कर रहा है। इन प्रयासों का लाभ उठाने के लिए डीबीटी और आईसीएआर ने कृषि जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं शिक्षा के क्षेत्र में विविध विषयों पर अनुसंधान एवं विकास संबंधी गतिविधियों पर बल देने के लिए एक सहमति पत्र (MOU) पर हस्‍ताक्षर किये हैं।

एमओयू के महत्‍व पर प्रकाश डालते हुए सचिव, डीबीटी में श्रीमती रेणु स्‍वरूप ने कहा कि लघु, मध्‍यम और दीर्घावधि के 5 से 10 केंद्रित कार्यक्रम वि‍कसित किये जायेंगे और लागू किये जायेंगे। उन्‍होंने बताया कि दोनों एजेंसियों द्वारा तैयार की गई सुविधाओं और प्रौद्योगिकी मंच तक राष्‍ट्रीय प्रणालियों की पहुंच बनायी जायेगी और इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्‍त कार्य समूह का गठन किया जाएगा।

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कृषि संबंधी नवाचारों और स्‍टार्टअप्‍स को बढ़ावा देने के लिए सुस्‍थापित बीआईआरएसी व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से सहयोग किया जाएगा। देश की कुलीन संस्‍थाओं के साथ नेटवर्किंग के माध्‍यम से इस सामंजस्‍यपूर्ण दृष्टिकोण को मिशन मोड में ग्रहण किया जाएगा।

आईसीएआर और डीबीटी के बीच एमओयू सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने, अभिसारिता तथा कृषि जैव प्रौद्योगिकी के विषयों में अनुसंधान और प्रशिक्षण की गति को बढ़ावा देने तथा उसमें तेजी लाने के लिए परस्‍पर सहयोग से संबंधित है। यह एमओयू कृषि जैव प्रौद्योगिकी, परियोजनाओं के वित्‍त पोषण,नीतिगत मसलों, विनियामक पहलुओं और राष्‍ट्र हित के अन्‍य विशिष्‍ट क्षेत्रों में  परस्‍पर स्‍वीकृत अनुसंधान कार्यक्रमों में एक दूसरे के साथ सहयोग के उद्देश्‍य से कार्यान्वित किया जाएगा।

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इसके विशिष्‍ट उद्देश्‍यों में परस्‍पर स्‍वीकृत प्रमुख राष्‍ट्रीय कार्यक्रमों की योजना बनाना, उनका संयुक्‍त वित्‍त पोषण करना और कृषि जैव प्रौद्योगिकी के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में संसाधनों को साझा करते हुए उन्‍हें संयुक्‍त रूप से लागू करना, आईसीएआर और डीबीटी तथा अन्‍य संगठनों के विशेषज्ञों को शामिल करते हुए साझा थिंक टैंक बनाना, जीनोमिक्स, जीनोटाइपिंग, डाटा बैंकिंग, एग्रीकल्‍चर बायोइन्‍फोर्मेटिक्‍स, जीएम फूड डिटेक्‍शन, विविध प्रौद्योगिकियों के विधिमान्‍यकरण आदि शामिल हैं।

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