20 फ़रवरी 2019: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी द्वारा “कृषि क्रांति के लिए नवाचार” विषय पर पूसा, नई दिल्ली में आयोजित 14वें कृषि विज्ञान सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा “मैं इस सम्मेलन को एक विविध रंगी वैश्विक- कुंभ मानता हूं। यह शोधकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, रचनात्मकता और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के संरक्षकों के संगम को दर्शाता है।”
सम्मेलन में भाग लेने विदेशों से आये प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि “हम ‘वैश्विक ग्राम’ की अवधारणा में विश्वास करते हैं। इस सम्मेलन के दौरान विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के ज्ञान के परिणामों का मंथन कृषकों तथा मानवता के कल्याण के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होगा।”
श्री सिंह ने बताया कि सरकार ने कृषि के पुनरोद्धार के साथ-साथ किसानों की समृद्धि के लिए कई अभिनव और व्यावहारिक कदम उठाए हैं। प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना, प्रति बूंद,अधिक फसल के लिए प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना, विपणन के लिए ई-नाम और न्यूनतम समर्थन मूल्य आदि योजनाएँ किसानों को सामर्थ्य प्रदान करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
उन्होंने बताया कि किसानों की आजीविका सुरक्षा और कल्याण, सरकार की प्राथमिकता रही है। किसानों की आय दोगुनी करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में सरकार ने किसानों की सुनिश्चित आय के लिए “प्रधानमंत्री किसान सम्मान” नामक एक नई योजना की घोषणा की है। इस योजना को दिसंबर 2018 से लागू कर दिया गया है। किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये की प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना से लगभग 12 करोड़ कृषक परिवार सीधे लाभान्वित होंगे।
उन्होंने बताया कि पशु-पालन तथा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए किसान ऋण स्कीम से कृषकों को मात्र 2% ब्याज दर पर ऋण प्रदान करने का प्रावधान वर्ष 2019 के बजट में रखा गया है। इसके अतिरिक्त, समय से ऋण का भुगतान करने पर 3% अतिरिक्त ऋण की आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी। इस वर्ष के बजट में ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ हेतु 750 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिससे देश में दूध के उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि हो सकेगी।
उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को हल करने हेतु निकरा नामक एक विशाल परियोजना शुरू करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सक्रिय दृष्टिकोण की सराहना की। साथ ही बताया कि मृदा के निम्नीकरण को रोकने और फसल उत्पादकता में वृद्धि के उद्देश्य से “मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना” शुरू की गई है, ताकि मिट्टी की उर्वरता का ह्रास किये बिना फसल उत्पादकता में सुधार किया जा सके। इस संबंध में, किसानों के खेतों पर मृदा परीक्षण करने के लिए परिषद द्वारा विकसित ‘पूसा मृदा परीक्षण और उर्वरक अनुशंसा मीटर’ का बहुत महत्व है। इसके अलावा परिषद द्वारा 4.5 वर्षों में विभिन्न फसलों के 1014 किस्मों को विकसित किया गया। जिसमें से 800 से अधिक किस्में कीट व रोग जैसे जैविक तथा सूखा व बाढ़ जैसे अजैविक कारकों के प्रति अवरोधी हैं।
उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान भारत वर्ष के रिमोट सेन्सिंग का 50 वां वर्षगांठ मना रही है। रिमोट सेन्सिंग तकनीक का कृषि में उपयोग पर प्रथम राष्ट्रीय पहल आईसीएआर द्वारा वर्ष 1969 में इसरो तथा नासा के भागीदारी में केरल स्थित कयांकुलम में नारियल में लगने वाले रूट विल्ट रोग के प्रारम्भिक निदान के लिए किया गया था।
केन्द्रीय कृषि मन्त्री ने बताया कि कृषि उत्पादों का मूल्यवर्धन किसानों की आय में सुधार का एक महत्वपूर्ण उपाय है। ‘प्रधान मंत्री कृषि सम्पदा योजना’ से कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक बुनियादी ढाँचे का निर्माण संभव हो सकेगा। यह न केवल देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करने में भी मदद करेगा और किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगा।
इसके अतिरिक्त ‘अटल नवाचार मिशन’ (एआईएम) जिसमें स्व-रोजगार और प्रतिभा उपयोग (एसईटीयू) शामिल है, नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार का एक प्रयास है।
उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में विचार-विमर्श और चर्चा के लिए 10 विषयगत क्षेत्रों पर विद्वान वैज्ञानिकों की विशिष्ट मंडली द्वारा चर्चा की जाएगी। मुझे विश्वास है कि यह सम्मेलन अनुसंधान के प्राथमिक क्षेत्रों को अनुसूचित करने, नवीन समाधान और प्रौद्योगिकी के मानचित्रण एवं नीति-निर्धारण करने में सफल रहेगा।
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