भैंस कारोबारियों की याचिका पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

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02 जुलाई 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को Buffalo Traders Welfare Association की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई है जिसमें इस कानून के तहत मालिक को दोषी ठहराया जाने पर पशुओं को जब्त करने की अनुमति है। याचिका में 23 मई, 2017  को  पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित Prevention of Cruelty to Animals (Care and Maintenance of Case Property Animals) Rules, 2017 and the Prevention of Cruelty to Animals (Regulation of Livestock Markets) Rules, 2017 को चुनौती दी गयी है।

याचिकाकर्ता, दिल्ली के पशु व्यापारियों का एक संगठन है, तथा याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और अधिवक्ता सनोबर अली कुरैशी की और से दायर की गयी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस.ए. बोबडे और बी.आर.गवई की पीठ ने याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर कहा है कि वह चार हफ्तों के अंदर इसका जवाब दें।

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व्यापारियों ने अदालत को ये भी बताया कि उनके पशुधन, कई परिवारों के लिए आजीविका का एकमात्र  साधन हैं और इन नियमों का गलत उपयोग पशु स्वामियों को लूटने के लिए “असामाजिक तत्वों”  द्वारा किया जा रहा है जो समाज के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का कारण भी बनता जा रहा है। विचाराधीन नियम 23 मई, 2017 को क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत बनाया गया था। इस नियम के तहत मुक़दमे का सामना करने वाले पशु स्वामियों से पशु जब्त कर लिए जाते है, और उन्हें गौशालाओं, कांजीहाउस, आदि में भेज दिया जाता है। संक्षेप में, एक किसान या पशुस्वामी 1960 के अधिनियम के तहत क्रूरता का दोषी ठहराए जाने से पहले ही अपने पशुओं को खो देता है।

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