ऊँट की उपयोगिता बनाए रखने हेतु वैज्ञानिक करें समग्र विचार: डॉ.साहनी

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05 जुलाई 2019: ICAR- National Research Center on Camel (एनआरसीसी) ने समय की मांग को ध्यान में रखते हुए ऊँट की उपयोगिता को उष्ट्र दूग्ध डेयरी के रूप में शुरू करने की मुहिम चलाई, जिसके अब सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। ये विचार आज दिनांक को भाकृअनपु-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के 36वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में डा.एम.एस.साहनी,पूर्व निदेशक-एनआरसीसी ने व्यक्त किए। डॉ.साहनी ने ऊँटों की उपयोगिता व संख्या पर अपनी बात रखते हुए कहा कि बदलते परिदृश्‍य में मशीनीकरण, चरागाह, कृषि व्यवस्था में बदलाव आदि कई कारणों से ऊँट पालन व्यवसाय प्रभावित हुआ है, परंतु इसके साथ ही इस प्रजाति की उपयोगिता के नए आयाम (दूध, पर्यटन, उत्पादों आदि) सदैव इस व्यवसाय को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने एनआरसीसी की बुनियादी सुविधाओं एवं वैज्ञानिकों के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें समग्र विचार हेतु प्रोत्साहित किया तथा कहा कि ऊँट की अधिकाधिक उपयोगिता बढ़ाने हेतु यह संस्थान मुख्य भूमिका निभाएं और इस दिषा में आगे बढ़े।

इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं केन्द्र निदेशक डॉ.आर.के.सावल ने केन्द्र के 36 वर्ष की अनुसंधान यात्रा को सदन के समक्ष रखते हुए कहा कि स्थापना दिवस के अवसर पर हमें संस्थान की उपलब्धियों के साथ और अधिक बेहतर कार्य हेतु सार्थक चिंतन करना चाहिए। डॉ.सावल ने कहा कि ऊँट पालन व्यवसाय के संरक्षण एवं सुदृढता हेतु केन्द्र महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्यों के साथ-2 दूरस्थ एवं उष्ट्र बाहुल्य क्षेत्रों यथा- जैसलमेर, बाड़मेर, सिरोही, गुजरात, लद्दाख आदि में ऊँट पालकों एवं किसानों तक भी प्रचार-प्रसार गतिविधियों के माध्यम से जुड़े रहते हैं। उन्होंने केन्द्र में प्रशिक्षण प्राप्त आदविक फूडस का जिक्र करते हुए कहा कि ऊँटनी के दुग्ध व्यवसाय को तेजी से आगे बढ़ाने हेतु ऊँट पालकों, उद्यमियों, उष्ट्र हित धारकों आदि को जागृत होना होगा ताकि वे इसे अपनाकर अधिक आय अर्जित कर सके।

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इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में काजरी, बीकानेर के अध्यक्ष डॉ.एन.डी.यादव ने केन्द्र के अनुसंधान कार्यों की भूरि-भूरि प्रषंसा करते हुए कहा कि इस संस्थान ने कम समय में अनुसंधान के क्षेत्र में शानदार कार्य किए हैं। केन्द्र ने उष्ट्र डेयरी स्थापित कर इसे एक उद्यम के रूप में अपनाने हेतु समाज को जो सोच दी है, यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। मुख्य अतिथि डॉ. साहनी के कर कमलों से केन्द्र में उष्ट्र चिकित्सालय का शुभारम्भ किया गया। वहीं उन्होंने तीन विस्तार पत्रकों-
(1) पर्यावरणीय पर्यटन – ऊँट व्यवसाय का नया आयाम
(2) ऊँटनियों से स्वच्छ दूध उत्पादन एवं
(3) ऊँटनी का दूध स्वास्थ्यवर्धक-जानिए कैसे?
का भी विमोचन किया। इस शुभ अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित स्लोगन एवं निबंध लेखन प्रतियोगिता तथा स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर परिषद के बीकानेर स्थित समस्त स्टाफ कार्मिकों के बच्चों हेतु आयोजित चित्रकला प्रतियोगता के विजेताओं को भी समारोह में पुरस्कृत किया गया।

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स्थापना दिवस समारोह को सार्थक बनाने हेतु केन्द्र द्वारा अपनी एससीएसपी योजना के तहत पशु स्वास्थ्य षिविर, प्रदर्शनी एवं कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम एवं उद्यमी परिचर्चा आदि आयोजित किए गए जिसमें गीगासर, हिमतासर, सागर, रिड़मलसर, केसरदेसर, गाढ़वाला, करमीसर, कोटड़ी, शिवबाड़ी, भीनासर आदि क्षेत्रों के पशुपालकों व किसान भाइयों, उद्यमियों आदि ने सक्रिय सहभागिता निभाई। इस अवसर पर एनआरसीसी सहित बीकानेर स्थित परिषद के संस्थानों-काजरी, अश्‍व अनुसंधान केन्द्र, भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान आदि संस्थानों की वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रदर्शनी कार्यक्रम के माध्यम से पशुपालकों व किसानों के समक्ष रखा।

समारोह में केन्द्र के पूर्व कार्मिकों और परिषद के विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आयोजन समन्वयक डॉ.सुमन्त व्यास, प्रधान वैज्ञानिक ने समारोह में पधारे सभी जनों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन श्री  हरपाल सिंह कौंडल, वैय.सहायक ने किया।

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