रोजगार सृजन को बढ़ाने के लिए पशुपालन क्षेत्र को बाजार से संबद्ध करेंगे- गिरिराज सिंह

5
(41)

4 सितंबर 2019: सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए इस ‘उपेक्षित’ माने जाने वाले क्षेत्र में प्रौद्योगिकी एवं निवेश लाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बुधवार को यह जानकारी दी। आवारा पशुओं के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि सरकार इस मुद्दे से निपटने के तरीके खोज रही है और अगले छह महीनों के भीतर कोई व्यवस्था कायम करने की उम्मीद है।

सिंह के पास मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का प्रभार है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पशुपालन एक उपेक्षित क्षेत्र बना हुआ है। देश की आजादी के बाद इस क्षेत्र को उचित महत्व नहीं दिया गया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अलग मंत्रालय बनाया है, इसलिए हम इस क्षेत्र को व्यवसायिक बनाने के लिए कदम उठाएंगे। उत्पादकता और विकास गति को बढ़ाने के लिए निवेश आकर्षित करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों को लाकर उत्पादकता में काफी वृद्धि की जा सकती है। इससे यह निजी निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बन सकता है।

और देखें :  किसानों को अपने उत्पादों के लिए उचित मूल्य मिलना चाहिए- नरेंद्र सिंह तोमर

उन्होंने कहा, ‘‘हम रोजगार सृजन को बढ़ाने के लिए पशुपालन क्षेत्र को बाजार से संबद्ध करेंगे।’’ मंत्री ने कहा कि सरकार अधिक मादा बछड़ों का जन्म सुनिश्चित करने के लिए वीर्य की छंटाई करने की तकनीक की शुरुआत कर रही है। शुरुआत में हमारा लक्ष्य सालाना 30 लाख ऐसी खुराक देने का है।’’ उन्होंने कहा कि लागत कम करने के लिए इस तकनीक को स्वदेशी रूप से विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने के लिए आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसी अन्य तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि सरकार देसी नस्ल के मवेशियों के संरक्षण पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। उन्होंने कहा कि 2.8 करोड़ मवेशियों पर टैगिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

आवारा पशुओं के मुद्दे से निपटने के लिए, सिंह ने कहा, ‘‘मैं अगले 4-6 महीनों में कुछ मॉडल विकसित करने की कोशिश कर रहा हूं।’’ अधिक विवरण दिये बगैर उन्होंने कहा कि यह मॉडल प्रौद्योगिकी पर आधारित होगा और कृषि से संबद्ध होगा। मंत्री ने कहा कि शून्य बजट खेती को बढ़ावा देने के लिए गुजरात के आणंद जिले में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की गई है और इसकी सफलता के आधार पर इसे पूरे राज्य में और फिर पूरे देश में दोहराया जाएगा। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव बाल्यान ने इस क्षेत्र में निवेश और विकास को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल की आवश्यकता पर जोर दिया।

और देखें :  कृषि निर्यात नीति पर आधारित पहला राज्‍य स्‍तरीय जागरूकता कार्यक्रम पुणे में आयोजित

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 5 ⭐ (41 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

और देखें :  झारखंड 2022 तक दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा- पशुपालन मंत्री

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*