हाथियों के प्रसिद्ध डॉक्टर असम के डॉ. कुशल कुंअर शर्मा को पद्म श्री पुरस्कार

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असम के “हाथी डॉक्टर” के रूप में प्रसिद्ध, डॉ. कुशल कुंअर शर्मा को शनिवार को चिकित्सा के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। डॉ. शर्मा ने 1990 के दशक की शुरुआत से हाथियों का इलाज करना शुरू किया। इसके साथ ही डॉ. शर्मा गुवाहाटी में कॉलेज ऑफ वेटरनरी साइंसेज में सर्जरी विभाग और रेडियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर के रूप में भी कार्य करते रहे, वर्तमान में डॉ. शर्मा सर्जरी विभाग और रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख के रूप में तैनात हैं।

डॉ. कुशल कुंअर शर्मा एक उच्च सम्मानित पशुचिकित्सक और शिक्षक हैं। हाथियों में उनकी दिलचस्पी 7 साल की उम्र में ही शुरू हो गयी थी जब उनकी दादी ने एक पालतू हाथी “लक्ष्मी” को अपनाया, जो उनके साथ ही रहती थी। बाद में डॉ. शर्मा ने पशु चिकित्सा विज्ञान में डिग्री हासिल करने के लिए असम के कॉलेज ऑफ वेटरनरी साइंस में दाखिला लिया तथा फिर सर्जरी विभाग में उच्च शिक्षा प्राप्त कर उसी कॉलेज में  सर्जरी और रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख बने। भले ही विश्वविद्यालय में उनका काम उन्हें व्यस्त रखता है डॉ. शर्मा कभी भी हाथियों की देखभाल करने से दूर नहीं  रहते हैं। इन जानवरों के प्रति उनका प्रेम और उनकी साहसी भावना उन्हें वन विभाग के शिविरों में कैद हाथियों के इलाज के लिए ही नहीं, बल्कि किसी भी हाथी की मदद करने का संकल्प देती है।

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डॉ. कुशल कुंअर शर्मा असम के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मस्त हाथियों को वश में करने के लिए “ट्रैंक्विलाइज़िंग डार्ट्स” का इस्तेमाल किया, अन्यथा उन्हें गोली मार दी जाती थी। “ट्रैंक्विलाइज़िंग डार्ट्स” के इस्तेमाल से मस्त हाथियों को शांत अवस्था में रखा जाता है, जिससे न केवल हाथी की जान बचती है बल्कि आसपास के गाँवों के लोगों की जान भी बच जाती है।

डॉ. शर्मा का योगदान भारतीय एक सींग वाले गैंडे के संरक्षण में भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। एक सींग वाले गैंडे की आबादी काफ़ी घट गयी है जिसका मुख्य कारण नब्बे के दशक में वन्यजीव शिकारियों द्वारा असम में राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठाकर “सींग” बेचने के लिए गैंडों का शिकार है। डॉ. शर्मा मानस नेशनल पार्क में गैंडों की आबादी को फिर से स्थापित करने के आंदोलन में प्रमुख व्यक्ति हैं, तथा डॉ. शर्मा की इस पहल की बदौलत वहां की आबादी में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।

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डॉ. शर्मा दस साल से सप्ताहांत में बिना छुट्टी लिए हर साल 600 से अधिक हाथियों का इलाज करते है। उन्होंने 140 से अधिक  मस्त हाथियों को  “ट्रैंक्विलाइज़िंग डार्ट्स” के इस्तेमाल से बचाया है अन्यथा उन्हें गोली मार दी जाती थी। डॉ. शर्मा का आजीवन मिशन भारत के एशियाई हाथियों तथा एक सींग वाले गैंडे का संरक्षण तथा उनका कल्याण है। भारत सरकार द्वारा उनके कार्यो को देखते हुए वर्ष 2020 में  चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. शर्मा को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।

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