मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि अंडों, मुर्गों, मांस और मछली के उपभोग द्वारा पशुओं से मानव और मानव से पशुओं में कोरोनावायरस के संक्रमण का भय निराधार है। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों में चलने वाली अफवाह को नकारते हुए श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि मांसाहार भोजन करने में कोई जोखिम नहीं है।
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने पशुओं से मानव और मानव से पशुओं में कोरोनावायरस के संक्रमण के भय को निराधार बताया
आज यहां मीडिया को संबोधित करते हुए श्री गिरिराज सिंह और मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री श्री संजीव कुमार बलियान ने कहा कि सोशल, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के जरिये यह कहा जा रहा है कि अंडों और मुर्गों के मांस के उपभोग मनुष्य में कोरानावायरस का संक्रमण हो सकता है। इस तरह की अफवाहों से मुर्गी पालकों, उद्योगों और उपभोक्ताओं में घबराहट है। इस भ्रामक सूचना के कारण अंडों और मुर्गों के मांस की बिक्री प्रभावित हुई है और मुर्गी पालन पर निर्भर लाखों गरीब किसानों को आजीविका छिन जाने का भय सता रहा है।
श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि 10 करोड़ से अधिक किसान सीधे तौर पर मुर्गी पालन, पशु पालन और मत्स्य पालन से जुड़े हैं तथा सकल घरेलू उत्पाद में वे 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का योगदान करते हैं। इसके अलावा लाखों बाजरा और सोया किसान, औषधि और टीका निर्माता भी अप्रत्यक्ष रूप से मुर्गी पालन सेक्टर से जुड़े हैं। इस तरह मुर्गी पालन से संबंधित उत्पादों के उपभोग के बारे में खलबली से लाखों लोगों की आजीविका नष्ट हो जाएगी। उपभोक्ताओं को भी प्रोटीन के बेहतर स्रोत की उपलब्धता से हाथ धोना पड़ेगा।
श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पशुपालन एवं डेयरी विभाग और मत्स्य पालन विभाग ने इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलग-अलग परामर्श जारी किया है। दोनों विभाग देश और पूरी दुनिया में कोरोनावायरस के हालात पर लगातार कड़ी नजर बनाए हुए हैं। अभी तक यह पता चला है कि नोवेल कोरोनावायरस (कोविड-2019) के संक्रमण का प्रमुख जरिया मनुष्य ही है। विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (ओआईई) के अनुसार वायरस का संक्रमण मनुष्य से मनुष्य में होता है, हालांकि कोविड-2019 का स्रोत पशु है। दुनिया की किसी भी रिपोर्ट में अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह पता चलता हो कि मुर्गी पालन के उत्पाद मनुष्य में कोरोनावायरस के संक्रमण का कारण हैं। इसी तरह अतीत में कोरोनावायरस के फैलाव (सार्स 2002-03, मर्स 2012-13) या सर्दी-जुकाम से संबंधित कोरोना का कोई संबंध मुर्गी पालन या उसके उत्पादों से नहीं रहा है। इस तरह भारत के मुर्गी पालन और अंडों सहित उसके अन्य उत्पादों का उपभोग सुरक्षित है। बहरहाल, आमतौर पर साफ-सफाई का ध्यान रखा जाना चाहिए।
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