पॉल्ट्री रोगों के डायग्नोसिस में विकास सम्बंधित कार्यशाला का आयोजन

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बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के राष्ट्रीय कृषि उच्चत्तर शिक्षा परियोजना के संयुक्त तत्वावधान में पॉल्ट्री रोगो के डिग्नोसिस में हाल के दिनों में हो रहे प्रगति और विकास सम्बंधित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय में किया गया। इस कार्यशाला में बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यशाला में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा महाविद्यालय के पैथोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ.के.के.सिंह और हिमाचल प्रदेश के वेटरनरी व् पशु विज्ञान महाविद्यालय के प्रोफेसर आर.के.अशरानी विशेषज्ञ के तौर पर मौजूद थे।

डॉ.के.के.सिंह ने मुख्य रूप से देश को आर्थिक तौर पर प्रभावित करने वाले पॉल्ट्री रोग एवियन इन्फ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) के बारे में विस्तार से चर्चा किया, उन्होंने इस रोग के लक्षण को कैसे पहचान कर सकते है और उनके  निदान के बारे में बताया। साथ ही ज़ूनोटिक तौर पर बर्ड फ्लू मनुष्यों को कैसे प्रभावित करती है, और उससे बचने के उपाय जैसे तमाम तरह की जानकारियां उपलब्ध कराया, उन्होंने आगे बताया की ये बीमारी संक्रमित मुर्गियों या अन्य पक्षियों के बेहद निकट रहने से ही फैलती है। यानि मुर्गी की अलग-अलग प्रजातियों से डायरेक्ट या इन्डायरेक्ट कॉन्टेक्ट में रहने से इंसानों में बर्ड फ्लू वायरस फैलता है फिर चाहे मुर्गी जिंदा हो या मरी हुई हो। इंसानों में ये वायरस उनकी आंखों, मुंह और नाक के जरिए फैलता है। इसके अलावा इंफेक्टिड बर्ड्स की सफाई या उन्हें नोंचने से भी इंफेक्शन फैलता है।

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डॉ. आर. के. अशरानी ने मुर्गियों में होने वाले जीवाणु, कीटाणु, बाह्य परजीवी रोग और उनके कुप्रबंधन से उत्पन्न हुए अन्य रोगो पर अपना व्याख्यान दिया उन्होंने कहा की  पोल्ट्री फार्म्स में तरह-तरह की बैक्टीरियल और वायरल बीमारियां आती रहती हैं जिनसे बचाव करना व्यवसाय में मुनाफा बढ़ाने के नए आयाम खोलता है। बचाव करने के इस सिस्टम को बायो सिक्योरिटी प्रोग्राम कहा जाता है, उन्होंने कहा की अच्छी साफ-सफाई रखने के साथ-साथ मुर्गियों में समय से टीकाकरण और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इम्यून बूस्टर देने की जरुरत है, इन तीनों लेवल पर काम करने से मुर्गियों में बीमारी आने से काफी हद तक रोका जा सकता है।

विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसन्धान डॉ रविंद्र कुमार ने कार्यक्रम के दौरान ये जानकारी दी की आने वाले कुछ दिनों में इन विशेषज्ञों के मदद से बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के पैथोलॉजी विभाग में पॉल्ट्री रोगों को डायग्नोसिस हेतु एक आधुनिक लैब का निर्माण कराया जायेगा, जिससे राज्य के किसान और मुर्गीपालकों को लाभ मिलेगा, वे अपने मुर्गियों में हो रहे बीमारियों के बारे में जान सकेंगे और जल्द से जल्द उपचार कराने में सहायता मिलेगी।

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इस अवसर पर बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ जे.के. प्रसाद ने पॉल्ट्री के क्षेत्र में रोजगार और अवसर के बारे में बताया उन्होंने कहा की इस क्षेत्र से जुड़कर बेहतर आय कमाया जा सकता है, दी प्रति दिन इस क्षेत्र में नए प्रयोगों और आधुनिक तकनीक के आ जाने से इस क्षेत्र में फायदा हुआ है और एक अच्छा उद्यम किया जा सकता है, उन्होंने कहा की बिहार कृषि रोड मैप में पॉल्ट्री पर विशेष ध्यान दिया गया है, इसी उद्देश्य के साथ इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है ताकि विश्वविद्यालय 2022 तक सरकार के द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में सहयोग प्रदान कर सके।

कार्यशाला में संयोजक डॉ संजीव सहित डॉ. दीपक, डॉ. इमरान अली, डॉ. भारती, डॉ. भट्ट, डॉ. सरोज, डॉ. कौशल, डॉ. ज्ञानदेव, डॉ. सविता तथा महाविद्यालय के तमाम शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद थे।

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