पशु प्रजनन एवं दुग्ध उत्पादन में पोषण का महत्व

4.1
(7)

पशुपालन व्यवसाय में पशु आहार/प्रबन्धन एक महत्वपूर्ण कार्य है। हमारे देश में पशुओं का पोषण कृषि उपज पर निर्भर करता है। चारे व दाने की कमी के कारण पशुओं को निम्न कोटि का चारा जैसे-भूसा, कड़वी, आदि पर निर्वाह करना पड़ता है। ऐसे निम्न कोटि के चारे दाने की उपलब्धता भी पशुओं की संख्या के अनुपात में काफी कम है।

पशु पालकों के पास आवश्यकतानुसार चारा दाना भी उपलब्ध नहीं है। इस कारण से पशुओं को भरपेट आहार नहीं मिल पाता है, जिससे न केवल उनका उत्पादन बल्कि प्रजनन क्षमता भी दुष्प्रभावित होती है। प्रायः यह देखा गया हैं कि पशु पालक गाभिन व दुधारू पशुओं को तो पौष्टिक आहार देते हैं ताकि वह व्याने पर अधिक दूध दे सकें, परन्तु दुधारू पशुओं के बछड़े/बछड़ियों को पर्याप्त मात्रा में दूध भी नहीं दिया जाता क्योंकि अधिकाधिक दूध बेचने का ध्येय रहता है। इसी प्रकार जब पशु दूध देना बन्द कर देता है तो उसके आहार की ओर भी ध्यान नहीं दिया जाता है।

हमारे देश में पशु पोषक भण्डारों की कमी तो है ही मगर इसका अन्य कारण यह भी है कि हमारे पशुपालकों को पशु पोषण के बारे में पूरी जानकारी भी नहीं है। पशुओं की प्रजनन क्षमता उनके आहार पर अत्याधिक निर्भर करती है। कुपोषण युक्त आहार से शारीरिक क्रियाओं के लिए आवश्यक पोषक तत्व पूरी मात्रा में प्राप्त नहीं होते यानि ऐसे भोजन में ऊर्जा, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण की कमी रहती है। किसी भी एक तत्व या एक से ज्यादा तत्वों की कमी से शारीरिक क्रियाएं सुचारू ढंग से सम्पन्न नहीं हो सकती है, जिससे पशुओं के उत्पादन व प्रजनन में बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ता है।

ऊर्जा का महत्व
ऊर्जा का शारीरिक विकास, परिपक्वता, प्रजनन दर, व्यांत व आयु, आदि पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। जिन पशुओं के आहार में ऊर्जा की कमी रहती है उनके भार में वृद्धि की दर कम होती है एवं पशुओं में परिपवक्ता होने में अधिक समय लगता है। प्रायः यह देखा गया है कि जिन पशुओं को भरपेट संतुलित आहार दिया जाता है वे 2-2.5 वर्ष की आयु में गर्मी में आ जाते है। इसके विपरीत जिन पशुओं को भरपेट सन्तुलित भोजन नहीं दिया जाना वे 3 से 5 वर्ष की आयु में परिपक्व होती है। इतना ही नहीं ग्याभिन पशु को कम ऊर्जा देने पर उसमें गर्भपात की संभावना अधिक होती है।

और देखें :  पशुपोषण संबंधी समस्याएँ एवं समाधान

प्रोटीन का महत्व
शरीर का लगभग पांचवा हिस्सा प्रोटीन से बना होता है। यह शारीरिक वृद्धि के लिए अति अवश्य है। इससे कोशिकाओं, मांसपेशियों, त्वचा एवं रक्त का निर्माण होता है। शरीर में क्षय होने वाली कोशिकाओं व ऊतकों का पुननिर्माण भी प्रोटीन द्वारा ही होता है। प्रोटीन, दूध, ऊन, अण्डा, मांस, बाल उत्पादन तथा प्रजनन हेतु आवश्यकय होता है। आवश्यकता से अधिक होने पर प्रोटीन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। पाचक रस, कुछ हार्मोन एवं कुछ विटामिन के बनने में प्रोटीन अवश्य है। प्रोटीन दाल वाले चारों, खलियों, दाल की चूरियों, इत्यादि भोज्य पदार्थों से पशुओं को प्रोटीन उपलब्ध होता है।

विटामिन का महत्व
पशुओं के लिए प्रोटीन और ऊर्जा की अपेक्षा विटामिन की आवश्यकता बहुत कम मात्रा में होती है, फिर भी इसका प्रजनन में बहुत योगदान होता है। विटामिन दो तरह के होते है, जल विलय और वसा विलय। जल विलय विटामिन ‘’बी काॅम्पलेक्स’’ का पशुओं के आमाशय में संश्लेषण हो जाता है किन्तु वसा विलय विटामिन जैसे ‘डी’ और ‘ई’ भी भेज्य पदार्थों से पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है। विटामिन ‘ए’ हरे चारे से कैरोटीन के रूप में मिलता है। जिन पशुओं के आहार में हरे चारे का अभाव रहता है उनमें इस विटामिन की कमी के लक्षण पाये जाते हैं। पशुओं में अधिकतर विटामिन ‘ए’ की कमी से ही प्रजनन पर प्रभाव पड़ता है एवं विटामिन ‘ए’ की कमी की वजह से गर्भपात भी हो जाता है। कई पशु में जेर गिरने में बाधा आती है और कई बार कमजोर और अन्धे बच्चे पैदा होते हैं या फिर मृत भी हो सकते है।

और देखें :  पशुओं में यूरिया की विषाक्तता के कारण एवं निवारण:

खनिज लवण का महत्व
पशु भोज्य पदार्थों में खनिज लवण कम मात्रा में ही पाये जाते हैं। पशुओं में इनकी आवश्यकता भी ऊर्जा व प्रोटीन के मुकाबले कम मात्रा में होती है फिर भी शरीर की सभी क्रियाओं के लिए इनकी जरूरत इतनी अनिवार्य है कि इनकी कमी से भारवृद्धि, दुग्ध उत्पादन व प्रजनन आदि सभी कार्य प्रभावित हो जाते हैं। मुख्यतः कैल्शियम, फाॅस्फोरस, काॅपर, कोबाल्ट, जिंक मैंगनीज और आयोडीन तत्व प्रजनन के लिए अति आवश्यक है और इनकी कमी से पशु अनियमित रूप से गर्मी में आने लगते हैं या गर्मी में आना बन्द हो जाते है जिससे प्रजनन दर में कमी आ जाती है। इन परिस्थितियों में ग्याभिन पशुओं में गर्भपात की संभावना अधिक रहती है और ब्याने पर कमजोर या मृत बच्चे पैदा होते है। नवजात बछड़े-बछड़ियों को दूध के साथ 10 से 15 ग्राम खनिज मिश्रण प्रतिदिन देना बहुत जरूरी है ताकि इनके विकास में कमी नहीं आने पाये। वयस्क पशुओं को 30 से 50 ग्राम खनिज मिश्रण प्रतिदिन देना चाहिए जिससे उनका उत्पादन और प्रजनन सुचारू रूप से हो सके। इसलिए पशुपालकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि पशुओं को संतुलित आहार ही खिलावें। दाना अधिक खिलाने से खुराक मंहगी हो जाती है। इसलिए हरा चारा अधिक मात्रा में देने का प्रबंध करना चाहिए। दानों में खनिज लवण तथा नमक भी सम्मिलित करना अनिवार्य है।

अच्छे पशु आहार के गुण जो प्रजनन के लिए आवश्यक है

  1. पशु आहार, सस्ता स्वादिष्ट व पौष्टिक होना चाहिए।
  2. इसमें कई प्रकार के दलहनी व गैर दलहनी खाद्य पदार्थों का समावेश होना चाहिए।
  3. पशु आहार सड़ा-गला नहीं होना चाहिए।
  4. आहार के अवयव बारह महीने आसानी से उपलबध होने चाहिए।
  5. आहार पचने में आसान तथा अधिक रेशेदार पदार्थ वाले होने चाहिए।
  6. पशु आहार संतुलित होना अति अवश्य है।
और देखें :  साइलेज पशुओं को वर्ष भर हरा चारा प्रदान करने की सर्वोत्तम विधि

संतुलित आहार
ऐसा चारे-बाटे का मिश्रण जो पशु के शरीर भार में वृद्धि एवं उत्पादन की अवश्यता की पूर्ति करने के लिए सभी पौष्टिक तत्व जैसे शर्करा, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण, विटामिन व पानी को उचित मात्रा एवं अनुपात में पशु को उपलब्ध कराता है। संतुलित पशु आहार कहलाता है।

संतुलित पशुआहार के लाभ

  1. शरीर में शीघ्र वृद्धि एवं परिपक्वता ले आता है।
  2. नियमित रूप से प्रजनन का कार्य होता है।
  3. क्षमता के अनुरूप उत्पादन होता है।
  4. कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।
  5. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

इस प्रकार हम पाते हैं कि पशु प्रजनन एवं दुग्ध उत्पादन में पशु पोषण का विशेष महत्व है। पशु को संतुलित आहार खिलाकर पशु प्रजनन एवं उनका दुग्ध उत्पादन अच्छा बनाये रखा जा सकता हैं।

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.1 ⭐ (7 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*