छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर कांकेर जिले के नरहरपुर तहसील के ग्राम देवरी बालाजी के आत्माराम नेताम सूकर एवं बकरी पालन से आत्मनिर्भर बन चुका है। उन्हें पशु चिकित्सा विभाग द्वारा पशु औषधालय मानिकपुर के माध्यम से सूकरत्रयी इकाई योजनांतर्ग एक नर एवं दो मादा सूकर प्रदान किया गया था, जिससे प्रथम वर्ष में 15 सूकर बच्चे पैदा हुए, जिनमें 06 नर एवं 09 मादा बच्चे थे। जिसके बड़े होने पर छै-सात महीने के बाद विक्रय किया गया, जिससे 45 से 50 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त हुई। गत वर्ष 17 सूकर के विक्रय से 60 से 70 हजार रूपये का लाभ प्राप्त किया, उक्त आमदनी से आत्माराम ने दो बकरियां भी खरीदी, अब वे सूकर पालन के साथ-साथ बकरी पालन भी कर रहे हैं तथा पशुपालन हेतु पक्का शेड का निर्माण भी करा लिये हैं। उनके पास अभी तीन मादा सूकर हैं, जिनके 26 बच्चे हैं, जिसमें से 09 बच्चे को 35 हजार रूपये में बेच चुके हैं। इस प्रकार आत्माराम सूकर पालन कर आर्थिक रूप से सक्षम बन चुके है।
आत्माराम ने बताया कि पहले वह कुली मजदूरी का कार्य कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। सूकर पालन के व्यवसाय को अपनाने से परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई है। जिसके फलस्वरूप अब सूकर पालन के साथ-साथ बकरी पालन भी किया जा रहा है।
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