बकरी पालन की जानकारी

5
(115)

भारत में बकरी पालन व्यवसाय दिनों दिन लोकप्रिय हो रहा है। भारत में बकरे मांस का मुख्‍य स्रोत हैं, बकरे का मांस भारत में सर्वाधिक  पसंद किया जाता है तथा इसकी घरेलू मांग बहुत अधिक है। अच्‍छी आर्थिक संभावनाओं के कारण बकरी पालन अत्यधिक लाभदायक व्यावसायिक विचार है, इसलिए इस कारोबार की लोकप्रियता भारत में तेजी से बढ़ रही है।

बकरी पालन

बकरी पालन कम लागत एवं सामान्य देख-रेख में गरीब, भूमिहीन किसानों एवं खेतिहर मजदूरों के जीविकोपार्जन का एक साधन बन रहा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बकरी का एक बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान है, विशेष रूप से भारत के पर्वतीय, अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में। देश में कुल पशुधन में 25% से ज्यादा बकरियां हैं।

भारी बाजार की मांग और अधिक लाभप्रदता के कारण अनेक प्रगतिशील किसान, शिक्षित युवा, उद्योगपती, व्यापारी और बड़ी कंपनियों व्यावसायिक पैमाने पर बकरी पालन उद्योग को अपनाने की दिशा में प्रेरित हुए हैं। मांस उत्पादन के साथ साथ बकरियां दूध, फाइबर (पसमीना एवं मोहेर) और चमड़ा उत्पादन के लिए भी उपयुक्त हैं। बकरियां उच्च गुणवत्ता वाली खाद का उत्पादन भी करती हैं, जो खेती की उर्वरक शक्ति बढ़ाकर फसल उत्पादन में वृद्धि करने में मदद करती है।

घरेलू या व्यावसायिक बकरी पालन के लाभ

  • बकरी बहु उद्देश्य वाले पशु हैं जो दूध, मांस, फाइबर तथा चमड़ा उत्पादन हेतु पाले जा सकते हैं।
  • गाय और अन्य पशुधन की तुलना में, बकरी के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है। आवास और अन्य प्रबंधन में कम लागत आती है। छोटे पैमाने पर अपने घरों में अन्य पशुओं के साथ भी पाली जा सकती हैं।
  • बुनियादी ढांचे, भोजन और उपचार में अन्य पशुओ की तुलना में कम लागत आती है।
  • विपणन हेतु पहले से ही एक स्थापित बाजार है।
  • बकरियां लगभग सभी प्रकार की जलवायु एवं भोगोलिक परिस्थितियों में पाली जा सकती हैं तथा थोड़ी सावधानियां रखने पर बकरियों में बीमारियां का प्रकोप कम होता  हैं।
  • आकार में छोटे हैं लेकिन वजन तेजी से बढता हैं।
  • बकरियों का मांस और दूध जैसे उत्पाद किसी भी धर्म में वर्जित नहीं है, और सभी जगह स्वीकार्य हैं।
  • बकरियां दो साल के भीतर तीन बार बच्चों को जन्म देते हैं, और कई नस्लों में जुड़वां बच्चे सामान्यत होते रहते हैं।

प्रशिक्षण
यदि आप भारत में बकरी पालन शुरू करना चाहते हैं, तो सर्वप्रथम अपने निकटतम पशुपालन विभाग की संस्था से अथवा किसी मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण केंद्र से बकरी पालन पर प्रशिक्षण लें। 
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा पशुपालकों हेतु प्रतिवर्ष बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है।

और देखें :  मई/वैशाख माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

उपयुक्त स्थान का चयन करें
बकरी पालन के लिए  लगभग सभी प्रकार के क्षेत्र उपयुक्त हैं। घर के पास ही बकरी पालन के लिए भूमि का चयन कर सकते हैं या एक ऐसी भूमि का चयन कर सकते हैं जिसमें सफल बकरी पालन व्यवसाय के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हों। बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए भूमि का चयन करते समय निम्नलिखित बातों पर विचार कर लें।

  • इस प्रकार की भूमि का चयन करें जिसमें ताजा और साफ पानी उपलब्ध हो।
  • चारा उत्पादन के लिए उपयुक्त हो। दाने की लागत को कम करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।
  • सुनिश्चित करें कि आवश्यक वस्तुओं और दवाओं को खरीदने के लिए आपके चुने हुए क्षेत्र के पास एक उपयुक्त बाजार है।
  • बकरी उत्पादों की उच्च मांग वाले उपयुक्त बाजार चयनित क्षेत्र के पास उपलब्ध हो।
  • गांव क्षेत्र में भूमि का चयन करें क्योंकि, गांव क्षेत्रों में सस्ते दर के भीतर भूमि और मजदूर आसानी से मिल सकते हैं।
  • सुनिश्चित करें की क्षेत्र में सभी प्रकार की पशु चिकित्सा सेवा की उपलब्धता सुनिश्चित हो।
  • अच्छी परिवहन व्यवस्था हो ताकि आसानी से  उत्पादों को बेच सकें और निकटतम बाजार या शहर से आवश्यक वस्तुएं खरीद सकें।

निर्धारित करें कि क्या उत्पाद तैयार करना चाहते हैं
बकरी पालन शुरू करने से पहले, उन बकरी उत्पादों को निर्धारित करें जिनका आप  उत्पादन करना चाहते हैं। बकरी से उपयोगी मांस और दूध, उपयोगी और मूल्यवान फाइबर (पसमीना एवं मोहेर), खाल या खाद का उत्पादन कर सकते हैं। निर्धारित करें कि आप किस प्रकार के बकरी उत्पादों का उत्पादन करना चाहते हैं और फिर अगला कदम उठाएं। साधारणतय:  मांस और डेयरी बकरी खेती व्यवसाय के कर सकते हैं। क्योंकि, बकरी मांस और दूध की भारत में बड़ी मांग है। शुरू करने से पहले, अपने निकटतम स्थानीय बाजार को समझने की कोशिश करें और उस स्थान के लिए क्या उपयुक्त नस्ल है जिसके उत्पाद की बाज़ार में मांग और कीमत है। फिर निर्णय लें और अपने उत्पादन के लिए उपयुक्त नस्लों का चयन करें।

नस्ल का चयन करें
भारत में कई बकरी नस्लें उपलब्ध हैं। लेकिन सभी बकरियां व्यावसायिक उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं हैं। कुछ नस्ल अधिक् उत्पादक हैं और  व्यावसायिक बकरी पालन के लिए उपयुक्त हैं। नस्ल का चुनाव छेत्र के हिसाब से अथवा उत्पादकता के हिसाब से करें।
जमुनापारी बकरी: जमुनापारी बकरी भारत की मूल बकरी नस्ल है। यह दूध और मांस उत्पादक बकरी है। लेकिन वे मुख्य रूप से अपने अत्यधिक दूध उत्पादन क्षमता के लिए पाली जाती हैं। एक मादा बकरी दैनिक 2-3 लीटर दूध का उत्पादन कर सकती है। एक वयस्क बकरे का वजन लगभग 65-90 किलोग्राम और बकरी वजन लगभग 40-60 किग्रा होता है।
सिरोही बकरी: सिरोही बकरी मुख्य रूप से पश्चिमी भारत में स्थित राजस्थान के सिरोही जिले में पाई जाने वाला मध्यम आकार की नस्ल है। इसके अतिरिक्त सिरोही बकरी अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक और जयपुर जिलों में भी पाई जाती है। सिरोही बकरियां गुजरात राजस्थान और उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों में भी उपलब्ध हैं। सिरोही बकर दोहरे उद्देश्य वाली बकरियां  हैं, जो दूध और मांस दोनों के लिए पाली जाती हैं।
ब्लैक बंगाल बकरी: ब्लैक बंगाल बकरी पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में पायी जाने वाली छोटी नस्ल है। । वे मांस, दूध, त्वचा और फाइबर उत्पादन के लिए बहुत उपयुक्त हैं। यह बकरी नस्ल लगभग सभी प्रकार के जलवायु में आसानी से पाली जा सकती हैं। उनका मांस और दूध बहुत स्वादिष्ट हैं और इसकी बहुत मांग है।
बीटल बकरी: बीटल बकरी  भारतीय मूल की नस्ल है। बीटल मुख्य रूप से दूध उत्पादक नस्ल हैं। परन्तु मांस उत्पादन के लिए भी उपयुक्त है। वे दैनिक 2.5-4 लीटर दूध का उत्पादन करने में सक्षम हैं। एक वयस्क  बकरे का वजन लगभग 65 किलोग्राम और मादा का लगभग 45 किलोग्राम है।
सानेंन बकरी: सानेंन बकरी स्विट्जरलैंड की एक दूध उत्पादक नस्ल है। लेकिन भारत में व्यावसायिक दूध उत्पादन के लिए उपयुक्त है। ये जमुनापारी और अल्पाइन बकरी की तरह दूध का उत्पादन कर सकती हैं। वे रोजाना 3-4 लीटर दूध का उत्पादन करने में सक्षम हैं। एक वयस्क बकरे का वजन लगभग 70-90 किलोग्राम और मादा का लगभग 60-70 किलोग्राम होता है।
बोअर बकरी: बोअर बकरी दक्षिण अफ्रीकी बकरी नस्ल है लेकिन भारत में व्यावसायिक बकरी पालन के लिए उपयुक्त है। वे मांस उत्पादक बकरी नस्ल हैं। और वयस्क बोअर बकरे का वजन 110-115 किलोग्राम और मादा बकरी का वजन लगभग 90-100 किग्रा होता है।

और देखें :  उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य में नवनियुक्त पशुचिकित्सा अधिकारियों का स्वागत किया

आवास व्यवस्था
व्यावसायिक बकरी पालन के लिए आवास व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन, भारत के अधिकांश बकरी पालक किसान छोटे पैमाने पर बकरियां पालते हैं अथवा उन्हें भेड़ या मवेशियों जैसे अन्य पशुधन जानवरों के साथ रखते थे। इस प्रकार की प्रणाली से अधिकतम उत्पादन प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसलिए, व्यावसायिक बकरी पालन फार्म की स्थापना के लिए, एक बकरी आवास प्रणाली बनानी चाहिए। आजकल, व्यावसायिक बकरी पालन में स्टाल फीडिंग सिस्टम के साथ आवास बहुत लोकप्रिय है और यह प्रणाली अन्य पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में अधिक उत्पादन और लाभ सुनिश्चित करती है।

और देखें :  किसानों के लिए पशुपालन बेहद लाभकारी: डॉ. ओंकार नाथ सिंह

आहार व्यवस्था
संतुलित और पौष्टिक भोजन खिलाकर बकरे अच्छी तरह से बढ़ सकते हैं और अधिकतम उत्पादन कर सकते हैं। आहार संतुलित हो तथा सभी प्रकार की आवश्यक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करें। व्यावसायिक बकरी पालन  में बकरियों के राशन में 12% से 18% प्रोटीन रखना चाहिए तथा उचित अनुपात में सभी प्रकार के आवश्यक विटामिन, खनिजों और अन्य आवश्यक सामग्री रखनी चाहिए। हरे चारे की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित हो। अच्छे आहार के साथ बकरी को पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ और ताजे पानी की उपलब्धता  भी सुनिश्चित हो।

बकरी पालन व्यवसाय भारतीय लोगों के पारंपरिक व्यवसायों में से एक है। ग्रामीण इलाकों के कुछ लोगों की यह एकमात्र आर्थिक गतिविधि भी है। मुर्गी पालन व्यवसाय की तरह, बकरी पालन का व्यवसाय भी बहुत लाभदायक व्यवसाय है और बड़ी संख्या में बेरोजगार शिक्षित लोगों को रोजगार दे सकता है और भारत में बेरोजगारी की समस्या को खत्म करने में मदद कर सकता है।

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 5 ⭐ (115 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*