देश एवं प्रदेश में गौ-भैंस वंशीय पशुओं की उन्नत नस्ल तैयार कराने में मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम द्वारा संचालित केन्द्रीय वीर्य संस्थान भोपाल अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह संस्थान भारत सरकार से ए ग्रेड तथा आईएसओ 2001-2015 प्रमाण पत्र प्राप्त संस्थान है।
भारतीय कृषि अर्थ-व्यवस्था में पशुपालन एवं डेयरी व्यवसाय महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह व्यवसाय ग्रामीणजनों के कल्याण, सामाजिक, आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डेयरी व्यवसाय को और अधिक लाभ का धंधा बनाने के लिए पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता को और अधिक विकसित किया जा रहा है। इस दिशा में केन्द्रीय वीर्य संस्थान भोपाल निरंतर प्रयासरत है।
निगम के प्रबंध संचालक श्री एच.बी.एस. भदौरिया ने बताया कि केन्द्रीय वीर्य संस्थान भोपाल राज्य की प्रजनन नीति के अनुसार हिमीकृत वीर्य की मांग की पूर्ति करता है। संस्थान के द्वारा कुल 16 नस्लों के गौ-भैंस वंशीय नंदी के प्रतिवर्ष 28 लाख तक हिमीकृत वीर्य डोजेज का उत्पादन किया गया है। जिन्हें भविष्य में बढ़ाकर 40 लाख तक किए जाने का लक्ष्य है। उन्होंने ने बताया कि प्रदेश की गौ-भैंस वंशीय नस्लों का जैविक सुरक्षा मानकों के अनुसार संधारण किया जाता है। पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता पशु की अनुवांशिक दुग्ध उत्पादन क्षमता एवं उपयुक्त पर्यावरण पर निर्भर करता है।
भदभदा स्थित इस संस्थान में 16 उन्नत नस्ल के नंदी रखे गए हैं। उच्च श्रेणी के साण्डों के वीर्य का उपयोग उनकी संतति की दुध उत्पादन क्षमता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। ऐसे साण्डों से उत्पन्न हिमीकृत वीर्य का उपयोग किसी भी प्रजनन में अत्यधिक महत्व रखता है।
Sir ji hame bhi pashu palan karna he dewas me kya kr or seva ka labh kese uthaye ap marg darshan kare plz