प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को उत्तराखण्ड में लगा धक्का

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सितम्बर 2019 को देश में पशुओं के खुरपका और मुंहपका रोग (FMD) और ब्रूसेलोसिस के नियंत्रण और उन्मूलन के लिए “राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम” (NADCP) की शुरूआत की। पूर्णतः केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम की व्यय राशि 12652 करोड़ रुपये है। इन दोनों बीमारियों में कमी लाने के प्रयास के तहत देशभर में साल में दो बार 60 करोड़ से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जाना है। इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण कई राज्यों में मार्च-अप्रैल में होने वाला टीकारण कार्यक्रम नहीं चल पाया है, जो अब अगस्त-सितम्बर में किया जाना प्रस्तावित है।

पशुधन प्रसार अधिकारी और फार्मेसिस्टों ने किया टीकाकरण कार्य न करने का निर्णय
उत्तराखण्ड में भी अगस्त-सितम्बर में राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) के तहत राज्य के सभी गाय भैंसों में खुरपका और मुंहपका रोग का टीकाकरण प्रस्तावित है। परन्तु पशुपालन विभाग में कार्यरत पशुधन प्रसार अधिकारी और फार्मेसिस्ट संघ द्वारा इस कार्यक्रम में किसी भी तरह से टीकाकरण के कार्य को न करने का निर्णय लिया है, और उनके द्वारा पत्र के माध्यम से सरकार को अवगत करा दिया गया है।

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अब सारी जिम्मेदारी पशुचिकित्सा अधिकारीयों के कन्धों पर
उत्तराखण्ड पशुपालन विभाग में इस वजह से प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में संकट आ गया है, क्योंकि इससे इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन में मैनपावर की भारी कमी हो जाएगी, क्योंकि इससे पूर्व में पशुओं में टीकाकरण पशुपालन विभाग के सभी अधिकारीयों और कर्मचारियों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता था। अब केवल पशुचिकित्सा अधिकारी और विभाग में कार्यरत वेक्सीनेटर ही इस कार्य हेतु उपलब्ध होंगे।

हालांकि सचिव पशुपालन डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम द्वारा इस कार्यक्रम की महत्ता देखते हुए तुरंत शासनादेश जारी किया गया कि इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में पशुपालन विभाग में कार्यरत समस्त अधिकारी कर्मचारीयों, जिसमें पशुधन प्रसार अधिकारी और फार्मेसिस्ट भी शामिल होंगे, के माध्यम से सम्पादित कराया जायेगा, तथा और अधिक मैनपावर की जरूरत पड़ने पर प्रशिक्षित प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को भी मानदेय के आधार पर शामिल किया जायेगा। इस शासनादेश के बावजूद उत्तराखण्ड के पशुधन प्रसार अधिकारी अड़े हुए हैं कि जब तक उनको पशुधन सहायक उपलब्ध नहीं कराया जाता वे इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे, इस बावत वे सोमवार को पशुपालन मंत्री को अपनी स्थिति बताएँगे।

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विभाग में सबसे बड़ी संख्या है पशुधन प्रसार अधिकारीयों की
पशुपालन विभाग उत्तराखण्ड में लगभग 329 पशुचिकित्सालय हैं, जिनमें इतने ही पशुचिकित्सा अधिकारी तथा फार्मेसिस्ट के पद हैं, लगभग 788 पशु सेवा केंद्र हैं जिनमें इतने ही पशुधन प्रसार अधिकारी के पद हैं। इसलिए पशुधन प्रसार अधिकारीयों और फार्मेसिस्टों के इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने से प्रदेश के पशुपालकों के सभी पशुओं में FMD टीकाकरण किया जाना संभव नहीं होगा।

उत्तराखण्ड में ये सोचनीय विषय है कि सरकारी कर्मचारी मोटी तनख्वाह लेकर भी अपने कार्यों को करने से कन्नी काट रहे हैं और ये भी नहीं देख रहे हैं कि, इससे प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना “राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम” को धक्का लगेगा और प्रदेश के पशुपालकों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। अब आगे देखना है कि उत्तराखण्ड प्रदेश सरकार क्या निर्णय लेती है।

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3 Comments

  1. महोदय पशुधन प्रसार अधिकारी ने टीकाकरण करने से मना नहीं किया है,बल्कि अधिकार चाहा है। यदि कोई अनहोनी होती है,तो विभाग यह जिम्मेदारी ले कि वो हमारे साथ है,एवं जैसा कि भारत सरकार की गाइड लाइन मै स्पस्ट है कि टीम बनाकर टीकाकरण किया जाय,जिसमें पशुचिकित्सा अधिकारी टीम लीडर होंगे।

  2. Uttarakhand me pasudhan prasar adhikari ko akele jakr vaccination karne ko bola ja raha hai,jo ki IVC act ki dhara 30b ke tehat illegal hai.jabki central govt.ki guideline ke according team banakar vaccination kiya jana hai jisme vet.docter,pashudhan prasar adhikari,pharmacist,or 4th class ho. Isliye Uttarakhand me pashudhan prasar adhikari vaccination ka virodh kar rahe hai.

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