आयात पर निर्भरता घटाने, स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों का उत्पादन बढ़ाने की है जरूरत : श्री तोमर

5
(21)

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने अपना 92वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि वैज्ञानिकों की सराहना की, जिनके कारण आईसीएआर ने पिछले नौ दशकों के दौरान देश में कृषि के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में वैज्ञानिकों के अंशदान और किसानों की कड़ी मेहनत के चलते भारत आज अतिरिक्त खाद्यान्न उत्पादन वाला देश बन गया है। उन्होंने कोविड-19 महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान भी फसलों के रिकॉर्ड उत्पादन के लिए देश के किसानों को बधाई दी। श्री तोमर ने वैधानिक संशोधन और अध्यादेशों की घोषणा के द्वारा बहुप्रतीक्षित कृषि सुधारों को लागू करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति भी आभार प्रकट किया है, जिससे किसान सशक्त होंगे और उन्हें अपनी फसल का लाभकारी मूल्य हासिल करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि आईसीएआर और केवीके के वैज्ञानिकों को यह भी सुनिश्चित करना है कि अनुबंधित कृषि का लाभ छोटे किसानों को भी मिले।

वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि 10 दशक में पूसा संस्थान (आईएआरआई) एक राष्ट्रीय संस्थान से अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थान में तब्दील हो गया है। उन्होंने कहा कि आयात पर निर्भरता कम करने, स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों के साथ ही दालों व तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है। श्री तोमर ने कहा कि अनुसंधान के द्वारा पाम ऑयल का उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने तिलहन की नई किस्में ईजाद करने पर भी जोर देते हुए कहा कि दलहन उत्‍पादन में हम आत्मनिर्भरता हासिल करने के करीब हैं और उम्मीद है कि तिलहन के मामले में भी हम ऐसी ही सफलता को दोहराएंगे और खाद्य तेलों के आयात पर होने वाले खर्च में कमी ला पाएंगे।

और देखें :  किसानों की खुशहाली के बगैर देश खुशहाल नहीं होगा- केन्द्रीय मत्स्य एवं पशु पालन मंत्री गिरिराज सिंह

इस अवसर पर 8 नए उत्पादों का लोकार्पण और 10 प्रकाशनों का विमोचन किया गया। केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला और श्री कैलाश चौधरी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, आईसीएआर के कई वैज्ञानिक और अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत आने वाले कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के अंतर्गत आने वाला स्वायत्त संस्थान है। सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत पंजीकरण सोसायटी के रूप में 16 जुलाई, 1929 को इसकी स्थापना की गई थी। परिषद देश भर में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान एवं शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन और प्रबंधन करने वाली सर्वोच्च संस्था है। देशभर के 102 आईसीएआर संस्थान व राज्यों के 71 कृषि विश्वविद्यालयों के साथ यह दुनिया में सबसे बड़ी राष्ट्री कृषि प्रणालियों में से एक है।

आईसीएआर ने हरित क्रांति को बढ़ावा देने और इस क्रम में शोध एवं तकनीक विकास के माध्यम से भारत में कृषि विकास में अहम भूमिका निभाई है। राष्ट्र की खाद्य और पोषण सुरक्षा पर इसका प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है। इसने कृषि में उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता को प्रोत्साहन देने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

और देखें :  अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत् वस्त्र निर्माण एवं वस्त्र रसायन विभाग द्वारा ’’ऊन प्रसंस्करण एवं हस्त शिल्प विकास’’ विषय पर त्रैमासिक प्रशिक्षण कार्यक्रम

भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद हर साल संस्थानों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों और कृषि पत्रकारों को मान्यता और पुरस्कार भी देता रहा है। इस साल 20 विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत लगभग 160 पुरस्कारों के लिए लोगों और संस्थानों का चयन किया गया। इनमें तीन संस्थान, दो एआईसीआरपी, 14 केवीके, 94 वैज्ञानिक, 31 किसान, 6 पत्रकार और विभिन्न आईसीएआर संस्थानों के 10 कर्मचारी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि पुरस्कार हासिल करने वाले 141 लोगों में 19 महिलाएं हैं।

कृषि विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर को शिक्षण, शोध, विस्तार और नवाचार जैसे सभी क्षेत्रों में तेज प्रगति के लिए सर्वश्रेष्ठ कृषि विश्वविद्यालय, आईसीएआर- केन्द्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान कोच्चि को बड़े संस्थान की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ संस्थान का पुरस्कार, वहीं आईसीएआर- केन्द्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान मुंबई को छोटे आईसीएआर संस्थानों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ आईसीएआर संस्थान के पुरस्कार के लिए चुना गया।

सोरघुम, हैदराबाद पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना और मक्का, लुधियाना पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना को संयुक्त रूप से चौधरी देवी लाल उत्कृष्ट अखिल भारतीय अनुसंधान परियोजना पुरस्कार के लिए चुना गया। राष्ट्रीय स्तर पर केवीके के लिए दीन दयाल उपाध्याय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन पुरस्कार के लिए जिले के कृषि तथा संबंधित क्षेत्रों के विकास पर विशिष्ट प्रभाव को चलाई गई उल्लेखनीय विस्तार/ आउटरीच गतिविधियों के लिए संयुक्त रूप से कृषि विज्ञान केन्द्र, दतिया, मध्य प्रदेश और कृषि विज्ञान केन्द्र, वेंकटरमन्नागुडेम, आंध्र प्रदेश का चयन किया गया। कृषि पत्रकारिता, 2019 के लिए छह पत्रकारों को चौधरी चरण सिंह पुरस्कार दिया गया, जिनमें 4 प्रिंट और 2 इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से थे।

और देखें :  कृषि संस्‍थानों, विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और कृषि व्‍यापार के बीच बेहतर तालमेल के जरिए भारत और तुर्की बढायेंगे आपसी सहयोग

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 5 ⭐ (21 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*