ऑर्नामेंटल फिश उद्यम पर वेबिनार का आयोजन

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बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अंगीभूत मात्स्यिकी महाविद्यालय, किशनगंज द्वारा ऑर्नामेंटल फिश (सजावटी मछली) के उद्यम का बिहार में स्कोप विषय पर दो दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव डॉ  एन सरवन कुमार मौजूद थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा की ये क्षेत्र बिलकुल अछूता है, और इसमें रोजगार और उद्योग के व्यापक संभावनाएं है। उन्होंने कहा की कोरोना काल ने कई क्षेत्रों में काम करने का रास्ता दिखाया है, इस कोरोना काल में जहां देश का अर्थव्यवस्था भारी संकट से गुजर रहा है वहीं कृषि और इससे जुड़े क्षेत्र ही ऐसा है जो ग्रामीणों के जीविकोपार्जन का सबसे बड़ा साधन बना है और इन क्षेत्रो में असर ना के बराबर हुआ है। इस महामारी ने सतत पोषणीय आर्थिक विकास के लिए किन क्षेत्रों पर काम करने की आवश्यकता है इसकी समझ को विकसित किया है। ऑर्नामेंटल फिश पर बात करते हुए उन्होंने कहा की यह क्षेत्र संभावनाओं से भरा हुआ है, इस क्षेत्र में मत्स्यपालकों और कसानों को रोजगारोन्मुख बनाने हेतु विभाग द्वारा ऑर्नामेंटल फिश पर शोध किया गया जिसमे बिहार में 80 प्रजातियों को चिन्हित किया गया है, और ऑर्नामेंटल फिश फार्मिंग के विकास के लिए काम किये जा रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा की ये इस विषय पर काम करने का सबसे अनुकूल समय है और हमारे राज्य में जलस्रोत की कमी नहीं है, चौर, फ्रेशवाटर, तालाब, नदियां जैसे कई जलस्रोत हैं जो ऑर्नामेंटल फिश फार्मिंग के विकास और रोजगार के अवसर प्रदान करने में सहायक होंगे। जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत कई वाटरबॉडीज़ का साफ-सफाई से लेकर जीर्णोद्धार का कार्य किया जा रहा है, ऐसे में अगर ऑर्नामेंटल फिशरीज में बेहतर प्रशिक्षण और किसानों को उन राज्यों का दौरा कराया जाये जो इस क्षेत्र में पहले से कार्य कर रहें है तो बिहार जैसे राज्य में आगे निकलने की प्रबल क्षमता है। अपने अभिभाषण में लोगो को कोरोना से बचने के लिए मास्क का प्रयोग, सामाजिक दूरियां और साफ़-सफाई अपनाने का आग्रह किया, साथ ही सबसे अनुरोध किया की लोगों को इन तीन चीज़ो को अपनाने के लिए जागरूक करें।

वेबिनार में उपस्थित सहायक निदेशक (मात्स्यिकी) निषाद अहमद ने कहा की ऑर्नामेंटल फिश पर बहुत काम करना बाकि है, विभाग द्वारा 2015 में कराये गए सर्वे से पता चला की बिहार में 80 प्रजातियों के नेटिव ऑर्नामेंटल स्पेसिस है, जिसको किसान पैदा करते है और लोकल मार्किट में बेच देते है, मगर प्रशिक्षण और जागरूकता लाया जाये तो इस क्षेत्र में भारी वृद्धि देखने को मिलेगी साथ ही एक्सपोर्ट ट्रेड से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। 2018-19 में नीली क्रांति के तहत राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड से बिहार के तीन जिलों मोतिहारी, वैशाली और पटना  के लिए 140 लाख के बजट का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ जिसके पहले चरण में लाभुकों को पहचान कर प्रशिक्षण दिलाया गया, तथा दूसरे चरण में फिश रेअरिंग, स्माल स्केल रेअरिंग और इंटीग्रेटेड ऑर्नामेंटल हार्वेस्टिंग का प्रावधान किया जाना है। इस क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय व्यापर  के लिए मार्किट डिमांड पर शोध करते हुए राज्य के जलस्त्रोत में नेटिव फिशेस की रेअरिंग किया जाये तो ये किसानों के लिए लाभप्रद होगा साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बहुत अच्छी योजना बन सकती है।

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विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा की  ऑर्नामेंटल फिशरीज एक उभरता हुआ सेक्टर है जिसमें हमें आगे निकलने की जरुरत है, ये एक ऐसा क्षेत्र है जो सिर्फ मछली उत्पादन तक ही सिमित नहीं है बल्कि एक्वेरियम निर्माण, एस्सेसरीज, कृत्रिम एक्वेटिक सिस्टम जैसे कई आयामों से जुड़ा हुआ है और टोटल एम्प्लॉयमेंट जेनरेशन का एक बेहतर माध्यम है जिसमे लागत कम और मुनाफा ज्यादा है। उन्होंने आगे कहा की मत्स्यपालन एक ट्रेडिशनल और कम लागत वाला व्यवसाय है जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आगे ले जाने की जरुरत है। उन्होंने आगे कहा की विश्वविद्यालय विभाग के साथ मिलकर ऑर्नामेंटल फिशरीज के प्रशिक्षण, शोध और प्रसार के लिए अपना योगदान देगा जिससे इस क्षेत्र में संभावना दिखे और इस क्षेत्र का विकास हो।

निदेशक छात्र कल्याण डॉ. रमन कुमार त्रिवेदी ने कहा की विश्वविद्यालय द्वारा ऑर्नामेंटल फिस्शरीज के लिए एक रोड मैप का निर्माण किया जायेगा जिसमे इसके बारे में संपूर्ण योजना और कार्य नीति का उल्लेख होगा जिसे विभाग में जमा किया जायेगा।

इस दो दिवसीय वेबिनार में लगभग 200 लोगों ने भाग लिया, कार्यक्रम के शुरुआत में मात्स्यिकी महाविद्यालय के डीन डॉ वेद प्रकाश सैनी ने सभी का स्वागत किया।  इस दो दिवसीय वेबिनार में पांच  तकनीकी सत्र हुए जिसमें वक्ता के तौर पर डॉ. अतुल जैन, संजय बी., डॉ. बी.के. महापात्रा, डॉ. अर्चना सिन्हा और सुनिर्मल दास मौजूद थे।

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