गर्मियों में पशुओं पर शीतलन प्रणाली का प्रभाव

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पशु का शारीरिक तापमान, जब उनके सामान्य शारीरिक तापमान से अधिक हो जाता है, तब वे गर्मी अनुभव करते है। गर्मी में उत्पन्न तनाव के दौरान, पशुओं के लिये सामान्य दूध उत्पादन या प्रजनन क्षमता बनाये रखना मुश्किल होता है। गर्मी तनाव के समय पशु अपने शारीरिक समायोजन द्वारा शरीर का तापमान नियमित बनाये रखते हैं। गोपशु प्रायः 15-25 सेल्सियस के तापक्रम के बीच अपने आपको सामान्य महसूस करते है जो कि पशु शरीर वृद्धि व उत्पादन के लिए उपयुक्त तापक्रम है, जब इस तापक्रम में बदलाव होता है तो गोपशुओं की उत्पादकता भी प्रभावित होती है। यद्यपि पशुओं में तापक्रम को सहन करने की प्रयाप्त क्षमता होती है, परन्तु एक सीमा से अधिक तापक्रम पर पशु पसीने व श्वास क्रियायें बढ़ाकर भी अपना शरीर तापमान सामान्य नही रख पाते है। जिसके कारण पशु की चयापचय प्रक्रिया भी प्रभावित होती है, जो पशुओं की उत्पादकता पर सीधा प्रभाव डालती है।

गर्मी से तनाव के दौरान पशुओं की भूख में कमी हो सकती है तथा पशु में आन्तरिक उर्जा उत्पादन में कमी आ जाती है। पशुओं के शरीर के तापमान का विनियमन आसान हो जाता है। इस तापक्रम नियमन के दौरान काफी ऊर्जा का हृास होता है; जिस की वजह से पशु उत्पादन में कमी आ जाती है।

शारीरिक तापक्रम नियमन

पशुओं में कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन जो कि शरीर में एकत्रित होते है, ये शरीर में ईंधन का कार्य करते है, जिससे उर्जा उत्पन्न होती है, जिससे गायों का शारीरिक तापमान सामान्य से बढ़ जाता है। इस गर्मी को पशु अपने शरीर से पसीने के रूप में बाहर निकालते है, जिससे गोपशु का शारीरिक तापक्रम सामान्य बना रहता है। गोपशुओं के लिए सर्दियों के दिनों में शरीर का थर्मोस्टेट 100.9 सेंटीग्रेट से 101.5 सेंटीग्रेट के बीच में होता है। सर्दियों में गोपशु से उर्जा का उत्पादन ज्यादा होता है और पशु अपने शरीर से उर्जा का हृास कम कर देते है, जिससे शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है।

गर्मी तनाव के दौरान, दुधारू गोपशुओं के लिए शारीरिक तापमान को सामान्य बनाये रखना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि दुधारू पशु उर्जा का उत्पादन ज्यादा मात्रा में करते हैं, जो आसानी से वातावरण में नहीं निकाल पातें है। गोपशुओं और पर्यावरण के बीच गर्मी का आदान-प्रदान दो प्रकार से होता हैः

  1. सेन्सिबल गर्मी हानि तंत्र
  2. गुप्त ऊष्मा
और देखें :  डेरी पशुओं में आयु का अनुमान लगाना

सेन्सिबल गर्मी हानि तंत्र जिसमे चालन, संवहन और विकिरण शामिल है उदाहरण के लिए माने लें कि एक गाय की त्वचा का तापमान 86 डिग्री फारेनाइट (30 डिग्री सेल्सियस) था। जैसे कि शुष्क बल्ब का तापमान 80 डिग्री फारेनाइट से 84 डिग्री फारेनाइट तक बढ़ता है, गाय चालन और संवहन द्वारा अपने शरीर से ऊष्मा निकालना शुरू कर देती है। जब शुष्क बल्ब का तापमान 90 डिग्री फारेनाइट हो जाता है तब गोपशु एक निश्चित मात्रा में वातावरणीय गर्मी को अवशोषित करना प्रारम्भ कर देती है और गर्मी तनाव का अनुभव करती है। उदाहरण से पता चलता है कि जब वातावरणीय तापमान और गाय की त्वचा का तापमान घटता है तब गर्मी तंत्र तथा गुप्त उष्मा हानि Predominates होती है। गुप्त ऊष्मा हानि पानी के वाष्पीकरण से अभिव्यक्त की जाती है। गुप्त उष्मा हानि केवल शुष्क बल्ब तापमान पर निर्भर नही करती है, बल्कि यह आसपास की हवा की नमी पर भी निर्भर करती है। बहुत अधिक नमी में गोपशु पसीने और हाँफने पर भी उर्जा को निकालते है। गर्मी विनिमय के भौतिक का उपयोग करके गाय की गर्मी कम करने के लिए विभिन्न तरीकों का विकास किया गया है।

गर्मी तनाव को कैसे मापें

दुनिया के गर्म क्षेत्रों में अधिकांश डेयरी पशुओं में गर्मी तनाव को कम करने के लिये कुछ सुविधायें विकसित की गई है। गर्मी तनाव की भयावता को गोपशु अनुभव करती है। आवास में गोपशुओं को रखकर भी गर्मी तनाव को कम किया जा सकता है। यद्यपि शीतलन प्रणाली का मूल्यांकन करना मुश्किल नहीं है।

तापमान आर्द्रता सूचकांक (THI)

तापमान आर्द्रता सूचकांक एक गणितीय सूत्र है, जो शुष्क बल्ब तापमान और नमी पर आधारित है, जिससे गर्मी तनाव के परिणाम का अनुमान लगाया जाता है। सामान्यतः तापमान आर्द्रता सूचकांक की गणना निम्नलिखित फार्मूले से ज्ञात की जाती है।

THI = 0.72 (Tdb + Twb) + 40.6

यहां पर:
Tdb = शुष्क बल्ब तापमान (डिग्री सेल्सियस में)
Twb = नम बल्ब तापमान (डिग्री सेल्सियस में)

पर्यावरण कक्ष मे दुधारू गायों पर अध्ययन के विश्लेषण से यह अनुमान लगाया गया कि जब  तापमान आर्द्रता सूचकांक 65 या उससे अधिक होता है, तब गायें गर्मी का अनुभव करती है, उनमें भूख में कमी हो जाती है तथा जिसके कारण दूध उत्पादन में गिरावट पायी गई। जब तापमान आर्द्रता सूचकांक 80 तक पहुंच जाये तब गायों पर शीतलन प्रणाली का प्रयोग शुरू कर देना चाहिए।

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शरीर का तापमान

गर्मी तनाव की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, तापमान की आर्द्रता पर छाया, हवा का सुचारू रूप से आदान-प्रदान वेंटिलेशन और शीतलन प्रणाली का ज्यादा प्रभाव नही पड़ता है। गर्मी तनाव के दौरान तापमान आर्द्रता सूचकांक की तुलना में गुदा तापमान 102.2 डिग्री फारेनाइट है तो गायों में कम दुग्ध उत्पादन और प्रजनन क्षमता में गिरावट के खतरे बढ़ जाते है। गायों के शरीर का तापमान मापना बहुत ही आसान होता है। व्यावसायिक रूप से गुदा तापमान थर्मामीटर उपलब्ध हैं जिसके माध्यम से गायों का शरीर का तापमान दोपहर में 3.00 बजे से 5.00 बजे के बीच के समय मापना लगाना चाहिए, क्योंकि इस समय गायों का शारीरिक तापमान सबसे अधिक होता है। थर्मामीटर को मलाशय में पूरे एक मिनट के लिये और तापमान स्थिर होने तक इन्तजार करना चाहिए। इसी समय पर श्वसन दर को भी मापा जाना चाहिए। जैसे 30 सैकंड के लिये श्वास गति (Flank Movements) को गिनकर उसे 2 से गुणा कर देते है, यदि श्वसन दर 1 मिनट में 60 से ज्यादा है तो इससे पता चलता है कि गाय गर्मी तनाव में है।

शीतलन रणनीति

गर्मियों में गर्भित गायों के लिए कुछ खास तैयारी करनी पड़ती है।

  1. वातावरणीय अधिक तापक्रम अण्डाशय में विकसित होने वाले अण्डाणुओं के विकास को विपरीत रूप से प्रभावित करता है।
  2. अण्डाशय से अण्डाणु के निकलने के बाद वातावरण का अधिक तापक्रम अण्डाणुओं की अण्डाजनन व सामान्य आकृति को नुकसान पहुँचाता है।
  3. शुरू के दिनों में भ्रूण पर भी गर्मी तनाव का विपरीत प्रभाव पड़ता है, जो कि लगभग पशु की गर्भधारण के 3 दिन पश्चात तक रहता है जिसके बाद भ्रूण पर मातृ अतिताप का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है।

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