ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण क्यों और कैसे किया जाए

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महिला सशक्तिकरण क्यों आवश्यक है?

देश के संपूर्ण सामाजिक एवं आर्थिक विकास में महिलाओं के सशक्तिकरण की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। अनेक अध्ययनों द्वारा भी यह सिद्ध हो चुका है कि महिलाओं की विशेष कर ग्रामीण महिलाओं की देश के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। कुछ वर्षों पूर्व तक महिलाओं के योगदान को काफी हद तक नजरअंदाज किया जाता रहा है परंतु विगत दिनों के सर्वेक्षणों, अनुसंधानों के परिणामों से यह तथ्य सामने आया है कि कृषि के क्षेत्र जो कि भारत की जीडीपी अर्थात सकल घरेलू उत्पाद मे लगभग 17.2% एवं पशुपालन4.9%योगदान दे रहा है। इसमें महिलाओं की भूमिका का विशेष महत्व है और डेयरी व्यवसाय तो ऐसा क्षेत्र है जिस में महिलाओं का योगदान सबसे अधिक है। हमारे देश में लगभग 8 करोड़ों महिलाएं डेरी के कार्यों से जुड़ी हैं जबकि केवल डेढ़ करोड़ पुरुष डेरी संबंधी कार्य करते हैं लेकिन फिर भी महिलाओं को उनके योगदान को कुछ वर्षों पहले तक उचित महत्त्व नहीं दिया जा रहा था।

महिला सशक्तिकरण कैसे?

सशक्तिकरण के कई आयाम होते हैं शिक्षा द्वारा सशक्तिकरण, सामाजिक सशक्तिकरण, आर्थिक सशक्तिकरण, तकनीकी सशक्तिकरण इत्यादि। इनके अलावा राजनीतिक, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक व मनोवैज्ञानिक सशक्तिकरण आवश्यक है।
जहां तक शिक्षा द्वारा सशक्तिकरण की बात है तो महिलाओं खासकर ग्रामीण बहनों को साक्षर होने के साथ-साथ अपनी शिक्षा का स्तर बढ़ाना पड़ेगा। भारत में सन 2011में देखा गया कि जहां तक पुरुषों की साक्षरता का सवाल था तो 82.14% प्रतिशत साक्षर थे और केवल 65.46 प्रतिशत महिलाएं साक्षर थी। लगभग 6 करोड लड़कियां अब भी प्राथमिक शिक्षा से वंचित है। जबकि सरकार ने कई परियोजनाएं एवं कार्यक्रम साक्षरता व प्राथमिक शिक्षा के लिए चलाए हुए हैं। उत्तर प्रदेश में महिलाओं की साक्षरता का स्तर 2011 में 59.26 % एवं पुरुषों की साक्षरता का प्रतिशत 79.24 था। दिल्ली में पुरुषों की साक्षरता की दर 91.03 एवं महिलाओं में साक्षरता की दर 80.93 प्रतिशत थी । यदि हम केरल से तुलना करें तो वहां साक्षरता का स्तर काफी ऊंचा है। केरल में पुरुषों में साक्षरता की दर 96.02 एवं महिलाओं में साक्षरता की दर 91.98 थी।

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सामाजिक सशक्तिकरण

महिलाओं को समाज में सशक्त करने से समाज का ही नहीं वरन पूरे देश का विकास होता है। इसके अंतर्गत , निम्नांकित बिंदु है-

  1. महिलाओं का स्तर: महिलाओं का स्तर बेहतर बनाने के लिए घर व समाज की सोच का प्रगतिशील होना आवश्यक है। हमारे देश के संविधान ने भी पुरुष और नारी को समान माना है और केवल समान ही नहीं माना है बल्कि राज्य को यह आदेश भी दिया है कि महिलाओं के विकास के लिए वह और अधिक कदम उठा सकते हैं।
  2. महिलाओं और पुरुषों की अलग भूमिका को देखते हुए कि कृषि ,डेरी एवं एवं बकरी पालन एवं बकरी पालन को विस्तार कार्यकर्ताओं वैज्ञानिकों को देखना चाहिए की विभिन्न परियोजनाओं या प्रशिक्षण कार्यक्रमों में महिलाओं को भी लाभ मिल रहा है या नहीं। वह इनसे वंचित तो नहीं रह जा रही है।
  3. स्वास्थ्य व पोषण: हमारे देश में स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों पर काफी बल दिया जा रहा है व इस परिश्रम को आगे और व्यापक ढंग से निभाना पड़ेगा तभी सही मायने में सशक्तिकरण से लाभ होगा।

आर्थिक सशक्तिकरण

अक्सर यह कहा जाता है कि अगर नारी के हाथ में पैसा रखा जाए तो वह उसे अपने परिवार की उन्नति पर खर्च करेंगी। अगर महिलाओं की आर्थिक स्थिति का विकास होगा तभी उनका आत्मबल और आतमनिर्भरता भी बढ़ेगी। इसके लिए यह आवश्यक है ग्रामीण बहनों का परिवार के आर्थिक स्रोतों पर नियंत्रण बढ़े व जब उन्हें अपनी कृषि या डेरी कार्य या बकरी पालन व मुर्गी पालन में जरूरत पड़े तो यथासंभव स्रोत उनके लिए भी उपलब्ध हो। इस संदर्भ में महिलाओं के कोआपरेटिव व स्थानीय महिला समूह जैसे स्वयं सहायता Women Empowerment समूह में सदस्यता बढ़ाना उनके लिए लाभदायक होगा।

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तकनीकी सशक्तिकरण

महिलाएं अनेक कृषि एवं डेयरी कार्यों, के साथ-साथ बकरी पालन एवं मुर्गी पालन में योगदान दे रही हैं उन तक नई विकसित तकनीक पुरुषों की अपेक्षा कम पहुंचती है। इन पर हमारे विस्तार कार्यकर्ताओं को विशेष ध्यान देना होगा। कृषि ,डेयरी, बकरी पालन एवं मुर्गी पालन संबंधी कार्यों के प्रशिक्षण में महिलाओं को भी आगे आना होगा जो महिलाओं की जरूरतों के अनुकूल हो। अर्थात जगह, समय, जिससे वे लाभ उठा सके।

मुख्य तौर पर महिला सशक्तिकरण से कई बातें जुड़ी है जैसे:

  • महिलाओं का स्वयं अपनी वास्तविक अवस्था या हालात को जानना व समझना।
  • अपनी प्रगति के लिए स्वयं मुद्दे बनाना।
  • अपने कौशल को बढ़ाने की कोशिश करना। आत्मनिर्भरता बढ़ाना।
  • अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए स्वयं प्रयत्नशील होकर विकल्प ढूंढ कर समस्या को सुलझाना।

एक सशक्त महिला कैसी होनी चाहिए

  • वह जो अपनी बात अपनी सोच बिना किसी शर्म या झिझक के लोगों से बोल पाए।
  • वह जो अपनी क्षमता वह अक्षमता को समझ सके और अक्षमता को केवल समझे ही नहीं बल्कि उसे क्षमता में परिवर्तित कर सके।
  • वह जो अपनी इच्छा या आकांक्षाओं को पूरी करने का प्रयत्न कर सके।
  • अपने उद्देश्यों को पाने का दृढ़ निश्चय कर ले।

सशक्तिकरण से शक्ति सभी वर्गों में पहुंचती है जिससे समाज में समता, आए। लेकिन केवल शक्ति के स्थानांतरण से कुछ नहीं होगा बल्कि लोगों को अपनी सोच भी बदलनी होगी अर्थात मूल्य पद्धति में बदलाव लाना होगा।

महिलाएं पुरुषों के साथ साथ घर समाज स्थानीय, प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर पर पूरे जोश के साथ हिस्सा लें राजनैतिक, सामाजिक कार्यों में अपना सशक्त योगदान दे सके। श्रीमती इला भट्ट जो रमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता है ने कहा है कि महिलाओं के सशक्तिकरण, आर्थिक विकास व बेहतर पशुपालन पद्धतियों पर प्रशिक्षण उपलब्ध कराना लाभदायक है। कोऑपरेटिव डेयरी व्यवसाय में भी इन्हें प्रशिक्षण देना चाहिए क्योंकि पारिवारिक स्तर पर डेयरी में महिलाएं अधिक योगदान देती हैं। डेरी के पदार्थों व डेयरी की आय पर महिलाएं नियंत्रण कर सकती हैं। कोई जरूरी नहीं है की डेरी बहुत बड़े पैमाने पर हो बल्कि प्रारंभिक अवस्था में डेरी छोटे पैमाने पर भी चलाई जा सकती है। इस प्रकार महिलाओं का सशक्तिकरण विभिन्न माध्यमों द्वारा सरलता से किया जा सकता है l

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