मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आगर जिले में संचालित सालरिया गो-अभ्यारण्य उनका ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ है, इसको भारत का आदर्श गो-सेवा केन्द्र बनाया जाए। इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाकर योजना बनाई जाए और उस पर अमल किया जाए। गो-अभ्यारण्य की व्यवस्थाओं से ऐसे लोगों को जोड़ा जाए, जिनका गो-सेवा मिशन हो। साथ ही गोशाला के संचालन से महिला स्व-सहायता समूहों को जोड़ा जाए। सालरिया में गो-उत्पादों का आधुनिक अनुसंधान केन्द्र भी विकसित किया जाए। अनुसंधान से विश्वविद्यालयों को जोड़ें।
मुख्यमंत्री श्री चौहान मंत्रालय में प्रदेश की गौशालाओं के संचालन तथा प्रदेश के पहले गो-अभ्यारण्य सालरिया, जिला आगर की व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव, अपर मुख्य सचिव श्री जे.एन. कंसोटिया आदि उपस्थित थे।
858 गो-शालाएं पूर्ण, गो-वंश की अच्छी देखभाल हो
प्रदेश में मुख्यमंत्री गो-सेवा योजना के अंतर्गत 1012 गो-शालाओं के निर्माण को प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है, जिनमें 858 गो-शालाओं का कार्य पूर्ण हो गया है। संचालित गो-शालाओं में 39,574 गो-वंश हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि नवीन गो-शालाएं बनाए जाने से अधिक महत्वपूर्ण है वहां गो-वंश की अच्छी देखभाल हो। इस संबंध में पशुपालन विभाग कार्रवाई सुनिश्चित करे।
एस.एच.जी के माध्यम से करें संचालन
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि सालरिया गो-अभ्यारण्य में गायों की देखभाल का कार्य स्व-सहायता समूहों के माध्यम से कराया जाए। वर्तमान में ठेकेदार के माध्यम से वहां कार्य के लिए मजदूर लगाए गए हैं।
गो-काष्ठ, पूजन सामग्री, वर्मी कंपोस्ट का निर्माण
अपर मुख्य सचिव श्री कंसोटिया ने बताया कि सालरिया गो-अभ्यारण्य में वर्तमान में गोबर से गो-काष्ठ, पूजा के कंडे, वर्मी कंपोस्ट खाद आदि बनाए जा रहे हैं। साथ ही गो-मूत्र से गो-अर्क भी बनाने की योजना है। वहां अनुसंधान केन्द्र खोले जाने की कार्रवाई भी चल रही है। गो-अभ्यारण्य में वर्तमान में 3974 गो-वंश हैं, जिनमें 82 गायें दुधारू हैं।
स्वावलम्बी बनाने की दिशा में कार्य करें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गो-शालाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने सालरिया गो-अभ्यारण्य में ग्रामीण पर्यटन, योग, अध्यात्म शिविर आदि की संभावनाओं पर कार्य करने को कहा। गो-शालाओं में फलदार पौधे भी लगाए जाने चाहिएं। सालरिया गो-अभ्याण्य में गो-उत्पाद अनुसंधान केन्द्र खोला जाए। सौर-ऊर्जा उत्पादन की योजना भी बनाई जा सकती है।
श्रद्धालु चलाएं, सरकार सहयोग करें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गो-शालाओं के उत्तम संचालन के लिए इस कार्य में जनता की भागीदारी बहुत आवश्यक है। प्रदेश में गो-शालाओं के संचालन की इस प्रकार की व्यवस्था की जाए, जिसमें श्रद्धालु गो-शालाओं को चलाएं और उसमें सरकार सहयोग करे।
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