मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलने वाले विषाणुजनित संक्रामक रोग एवं बचाव

4.4
(17)

बारिश के महीने में हमारे आस-पास सीवर एवं नालों का गन्दा पानी वर्षा के पानी के साथ मिलकर कई गड्डे जगहों पर इकट्ठा हो जाता है, इन गन्दे पानी में मच्छरों का प्रजनन अत्यधिक तेजी से होता है और यह कई विषाणु जनित संक्रामक रोग को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।  भारतवर्ष में मच्छरों के काटने से फैलने वाली कुछ घातक विषाणुजनित बीमारियां इस प्रकार हैं:

1. डेंगू ज्वर (हड्डी तोड़ ज्वर)

यह रोग डेंगू विषाणु द्वारा होता है जिसका संवहन मादा एडीज मच्छर करता है। विश्वभर में लगभग 50 मिलियन लोग डेंगू का शिकार होते हैं जिसमें लगभग 2.5% लोगों की मृत्यु हो जाती है।

लक्षण: प्रारम्भ में फ्लू की तरह लक्षण दिखाई देते हैं, नवजात शिशुओं एवं बच्चों में बुखार एवं पूरे शरीर में लाल रंग के छोटे-छोटे दाने एवं चकत्ते दिखाई देते है। बड़ो में सिरदर्द, माॅसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, थकावट व कमजोरी हो जाती है जिससे चक्कर आते हैं एवं शरीर में प्लेटलेट्स की कमी की वजह से शरीर के किसी भी भाग से खून बहना शुरू हो जाता है जैसे कि नाक से, दाॅतों से एवं मसूढों से, खून की उल्टी व मल में खून आना आदि प्रमुख लक्षण है।

2. जापानी इंसेफ्लाइटिस (दिमागी बुखार)

यह रोग फ्लेवी विषाणु से होता है जिसका संचरण क्यूलेक्स प्रजाति का मच्छर करता है। इस रोग का विषाणु सुअरों में मिलता है, जो इस विषाणु के लिए प्रवर्धक का कार्य करता है। सुअरों से ही यह बीमारी मच्छर के काटने से मनुष्य में होती हैं। यह बीमारी 1-14 साल के बच्चों में अत्यधिक होती है। इस रोग से हर वर्ष विश्वभर में लगभग 50000 लोग संक्रमित होते हैं। जिनमें लगभग 10000 लोगों की उचित इलाज के अभाव में मृत्यु हो जाती है। उत्तर प्रदेश में 2016 में 600 लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके है।

और देखें :  अपने पालतू जानवर को रेबीज़ से बचाये

लक्षण: बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, चक्कर आना, लकवा आदि लक्षण दिखाई देते है। बच्चों में मस्तिष्क में सूजन हो जाती है। समय पर उपचार न हुआ तो मनुष्य कोमा में चला जाता है और कुछ समय पश्चात रोगी की मृत्यु हो जाती है।

3. चिकनगुनिया ज्वर

यह बीमारी एडीज एइजिप्टी मच्छर के काटने से फैलती है एवं इसका कारक चिकनगुनिया विषाणु है जो कि टोगाविरिडी कुल का सदस्य है। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियन्त्रण कार्यक्रम के अनुसार 2016 में पूरे भारत में 12,250 लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए।

लक्षण: कंपकपी और ठंड के साथ तेज ज्वर, सिरदर्द मितली एवं उल्टी, थकावट एवं कमजोरी, जोड़ो में अत्यधिक दर्द, जो कि काफी दिनों तक बना रहता है।

4. पीत ज्वर या पीला बुखार

यह तेजी से फैलने वाला एक संक्रामक बुखार है, जो अचानक शुरू होता है। इस रोग का कारक फ्लेवी वायरस होता है, जिसका संवहन ऐडीज एइजिप्टी जाति के मच्छर द्वारा होता है।

और देखें :  Cercarial Dermatitis त्वचाशोथ (तैराक की खुजली)

लक्षण: ठंड के साथ तेज बुखार, सिरदर्द, अनिद्रा, काला दस्त, पित्तयुक्त मूत्र, बाॅडी में शिथिलता, कमजोरी महसूस होना, पूरे शरीर में दर्द एवं पीलिया हो जाता है।

उपचार: विषाणुओं से होने वाली बीमारियों का कोई उचित इलाज नहीं होता लेकिन बुखार एवं शरीर में होने वाले दर्द को कम करने के लिए डाक्टर के परामर्श के अनुसार उपचार लेना चाहिए।

मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलने वाले विषाणुजनित संक्रामक रोगों से बचाव एवं रोकथामः

  1. मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए बरसात के पानी को टैंकों, टायर, कूलरों एवं प्लास्टिक के डिब्बों में इकट्ठा न होने दें।
  2. सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
  3. संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें।
  4. तालाबों, पोखरों एवं अन्य जगहों पर जहां मच्छरों का प्रजनन हो वहाॅ कीटाणुनाशक दवा का छिड़काव करें।
  5. कूड़े कचरे आदि को सड़ने न दें इसे एक जगह पर इकट्ठा करके जला दें या मिट्टी के अन्दर दबा दें।
  6. बच्चों को स्कूल जाते समय, खेलते समय एवं सोते समय पूरे बाॅह के कपड़े पहनायें।
  7. दिमागी बुखार से बचाव के लिए सुअरों को मनुष्य के रहने के स्थान से दूर रखें।
  8. अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखें।

यह लेख कितना उपयोगी था?

और देखें :  कोविड-19 संकट से उबरने मे पशुचिकित्सक की भूमिका

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.4 ⭐ (17 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Authors

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*