पशुओं में निश्कलीकायन एवं सींग काटने के लाभ

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प्रस्तावना

पशु प्रबंधन पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण अभिन्न अंग है, जिसके सही संयोजन से पशुपालक न केवल आर्थिक लाभ को प्राप्त करता है वरण समाज में एक प्रोत्साहन के उदाहरण के रूप में जाना जाता है। अतः सही प्रबंधन के साथ पशु पालन किया जाये तो पशुपालक दिन-प्रतिदिन एक अलग स्तर को प्राप्त करने में सफल होता है। पशु प्रबंधन के अंतर्गत कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण घटक आते हैं जिसमे से एक सींगों का प्रबंधन भी है। दुधारू पशु के सींगों की कुछ ख़ास उपयोगिता नही होती है तथा सींग विहीन पशु का प्रबंधन न केवल सुविधाजनक होता है बल्कि बहुत सी परेशानियों से भी विरक्त करता है। इसी करण सींगों को काटना या सींग के अंकुर को नष्ट करना (निश्कलीकायन) बहुत ही लाभकारी होता है।

सींग को काटकर अलग करने की प्रक्रिया को डीहोर्निंग कहते हैं तथा सींग अंकुर को नष्ट करने की प्रक्रिया को निश्कलीकायन या डिसबडिंग कहते हैं।

सींग काटने तथा निश्कलीकायन की सही आयु एवं समय

बछडों में  निश्कलीकायन 5 से 10 दिन की आयु में या जब अंकुर स्पष्ट दिखने लगे तब किया जाता है। व्यस्क पशुयों में सींग काटने की प्रक्रिया आवश्यकता के अनुसार की जा सकती है।

सींग काटने के लाभ

  1. सींग विहीन पशुओं को सींग वाले पशुओं की अपेक्षा पशुशाला में कम स्थान की जरुरत होती है।
  2. सींग वाले पशु आपसी लड़ाई में एक दूसरे को हानि पहुंचा सकते हैं इसलिए सींग का काटना लाभकारक है।
  3. सींग विहीन पशुओं को काबू करना सींग वाले पशुओं की अपेक्षा आसान होता है।
  4. सींग विहीन पशुओं का परीक्षण और उपचार आसान होता है।
  5. सींग विहीन पशु नांद या बर्तनों को सींग वाले पशुओं की तुलना में कम नुकसान पहुंचाते हैं।

सींग काटने की प्रक्रिया

सर्वप्रथम पशु को नियंत्रित करने के लिए रस्सियों की मदद से जमीन पर पशु को गिरा लिया जाता है, या फिर पशु को ट्रेविस में भी बाँध कर नियंत्रित किया जा सकता है। पशु के नियंत्रण के पश्चात स्थानीय निश्चेतक की मदद से सींग का जड़ वाला स्थान सुन्न किया जाता है, इससे सींग को काटते समय पशु नियंत्रित रहता है तथा उसे दर्द नही होता है। तत्पश्चात सींग को आरी की मदद से तेजी से काट दिया जाता है, अगर कटे हुए स्थान से रक्त का बहाव ज्यादा हो तो उस स्थिति में पट्टी को टिन्चर बेंजोइन में भिगोकर उस स्थान को कुछ समय के लिए दबा कर रखना चाहिए या फिर रक्त के बहाव को रोकने के लिए गर्म लोहे की छड से उस स्थान को जला दिया जाता है। इसके बाद कटे हुए सींग पर मजबूती से पट्टी बांधना चाहिए। सींग के काटने के पश्चात घाव को संक्रमण से बचाने के लिए रोज़ एंटीसेप्टिक ड्रेसिंग करना अत्यंत आवश्यक है तथा एंटीबायोटिक एवं दर्दनिवारक इंजेक्शन भी लगाना चाहिए।

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सींग अंकुर को नष्ट करने की प्रक्रिया (निश्कलीकायन)

सींग के अंकुर को नष्ट करने की दो विधियाँ हैं:

  1. रासायानिक प्रक्रिया
  2. सुर्ख लोहे से निश्कलीकायन

रासायानिक प्रक्रिया

रासायनिक प्रक्रिया में कास्टिक पोटाश का उपयोग किया जाता है। इसके साथ-साथ वेसिलीन, रुई एवं स्पिरिट की भी आवशयकता होती है। सर्वप्रथम पशु को नियंत्रित करके सींग अंकुर के आस-पास के बालों को कैची या रेजर की सहायता से काट देना चाहिए और सींग वाली जगह को स्पिरिट से अच्छी तरह से साफ़ कर लेना चाहिए। उसके बाद सींग अंकुर के चारों तरफ वेसेलिन का लेप लगा देना चाहिए जिससे कि रसायन का फैलाव आँखों में न जा सके। इसके पश्चात कास्टिक को सींग अंकुर पर तब तक लगाना या रगड़ना चाहिये जब तक कि उस जगह से रक्त न आ जाये। उसके उपरान्त सतह को रुई से साफ़ करना चाहिए तथा डस्टिंग पाउडर का छिडकाव करना चाहिए। दूसरी तरफ के सींग अंकुर पर भी इसी प्रक्रिया का उपयोग किया जाना चाहिए।

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सुर्ख लोहे से निश्कलीकायन

इस प्रक्रिया में लोहे या इलेक्ट्रिक रोड से सींग अंकुर को नष्ट किया जाता है। सबसे पहले पशु को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जाना चाहिए, तदुपरांत सींग अंकुर के आस-पास के बालों को काटना चाहिए। उसके बाद लोहे की रोड को गरम करके (सुर्ख लाल होने तक) सींग अंकुर के ऊपर रखकर जला दिया जाता है या फिर इलेक्ट्री रोड की मदद से भी सींग अंकुर को कुछ ही सेकंड में जला दिया जाता है। सींग अंकुर के जल जाने के पश्चात उस स्थान को एंटी-सेप्टिक घोल से साफ़ किया जाना चाहिए तथा एंटीसेप्टिक स्प्रे किया जाना चाहिए जिससे की संक्रमण को रोका जा सके।

सारांश

सींग काटने की प्रक्रिया तथा सींग अंकुर को नष्ट करने की प्रकिया अगर सही समय में की जाये तो पशुपालक के लिए ये विधि बहुत ही लाभकारी होगी तथा भविष्य में होने वाली आर्थिक हानि से भी बचा जा सकता है। यह प्रक्रिया कम संसाधनो एवं कम समय में भी पूरी की जा सकती है । इस तरह पशु प्रबंधन में यह प्रक्रिया बहुत ही उपयोगी है।

इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।
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