साइलेज पशुओं को वर्ष भर हरा चारा प्रदान करने की सर्वोत्तम विधि

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भारत एक कृषि प्रधान देश है कृषि एवं पशुपालन एक दूसरे के अभिन्न अंग है पशुपालन व्यवसाय में पशुओं से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए संतुलित आहार एवं कम लागत द्वारा ही संभव है पशुओं में कम लागत पर उचित उत्पादन हरे चारा द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है हरे चारे को पशुओं में वर्षभर उपलब्ध कराने हेतु कराने हेतु संरक्षित करना आवश्यक है हरा चारा संरक्षण की विभिन्न विधियां हैं इनमें से सर्वोत्तम विधि साइलेज है।

साइलेज क्या है?

साइलेज एक संरक्षित हरा चारा है जिसमें नमी की मात्रा 65-70 प्रतिशत होती है। इस प्रक्रिया में घुलनशील शर्करा मांड से समृद्ध चारे की फसलों को कुट्टी काट कर वायु रहित अवस्था में 45-50 दिनों तक भंडारित करते हैं। ऐसी स्थिति में भंडारित चारें में निहित शर्करा लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित हो जाती है। लैक्टिक अम्ल चारे को सुरक्षित रखने और पशु के प्रथम आमाशय (रूमेन) में मौजूद जीवाणुओं के लिए सरलता से उपलब्ध किण्वन योग्य शर्करा के अच्छे स्रोत का कार्य करता है। है। साइलेज की गुणवत्ता में सुधार के लिए उपयुक्त योगशील पदार्थ जैसे गुड, यूरिया, नमक, फोरमिक अम्ल आदि का प्रयोग भी किया जा सकता है।

साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त फसलें

ऐसे चारे जिनमें मांड व शर्करा अधिक मात्रा में हो जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा और संकर नेपियर घास इत्यादि जो साइलेज बनाने हेतु उपर्युक्त चारा है

साइलेज कैसे बनाएं?

  1. एक बंकर या गडढे नुमा साइलों का निर्माण करना। एक घन मीटर की जगह में 500-600 कि.ग्राम हरे चारे का भंडारण किया जा सकता है।
  2. फसल की कटाई 30-35 प्रतिशत शुष्क पदार्थ की अवस्था पर करें।
  3. अगर जरूरी हो तो चारे को 30-35 प्रतिशत शुष्क पदार्थ आने तक सुखायें।
  4. चारे को छोटे टुकड़ो; 2-3 सें.मी. लम्बे में काटें।
  5. कटा हुआ चारा साइलों में इस तरह से भरे की अंदर की वायु अच्छी तरह से बाहर निकल जाए।
  6. 30-45 सें.मी. की परत दर परत रखते हुए साइलों में चारा दबाएं।
  7. भरने और दबाने की प्रक्रिया को अतिषीघ्र पूरा किया जाए। एवं वायु की ठीक तरह से निष्कासित ना होने पर पोषक तत्वों का हास होता है एवं चारा काला पड़ने लगता है।
  8. यदि जरूरत हो तो साइलों में चारा भरने के दौरान योगशील पदार्थो का प्रयोग करें।
  9. भरने और दबाने के बाद साइलों को मोटी पालिथीन चादर से पूर्णतः सील कर दें।
  10. चादर के नीचे वायु प्रवाह रोकने के लिए उसके उपर मिट्टी की परत या रेत की बोरियों या पुराने टायरों का वजन डालें।
  11. चारे की आवश्कतानुसार साइलों को कम से कम 45 दिनों के बाद पशुओं को खिलाने के लिए खोलें।
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साइलेज खिलाने की विधि

  1. साइलो को 45 दिनों के बाद जरूरत के अनुसार एक तरफ से खोलें और साइलेज निकालने के बाद ठीक तरह से बंद करें।
  2. साइलेज को जरूरत के अनुसार निकाला जा सकता है लेकिन शुरूआत में कुछ दिनों तक पशु को उसका आदी बनाने के लिए केवल 5 कि.ग्राम साइलेज प्रतिदिन खिलाएं।
  3. साइलेज हरे चारे का विकल्प है और इसको हरे चारे की तरह ही पशुओं को खिलाया जा सकता है।

अच्छे साइलेज की विषेशताएं

  1. हल्के पीले या भूरे हरे रंग में, लैक्टिक अम्ली की गंध से युक्त लेकिन व्यूट्रिक अम्ल और अमोनिया की गंध से मुक्त, नरम और सुदृढ़ बनावट, नमी 65-70 प्रतिशत लैक्टिक अम्ल 3-14 प्रतिशत ब्यूट्रिक अम्ल 2 प्रतिशत से कम, पी एच 3.7-4.2
और देखें :  मादा पशुओं में फिरावट अर्थात पुनरावृति प्रजनन की समस्या एवं समाधान

गुणवत्ता युक्त साइलेज उत्पादन के लिए आवश्यक तत्व

  1. साइलो का ढांचा- भरने और दबाने की प्रक्रिया में आसानी होने की वजह से बंकर साइलों सबसे अच्छा होता है।
  2. चारे में शुष्क पदार्थ 30-35 प्रतिशत
  3. कुट्टी की लम्बाई 2-3 सें.मी., चारा भरने और दबाने में आराम।
  4. चारे की दबाव/संघनन प्रक्रिया – शीघ्रता से पूर्ण करनी चाहिए ताकि हवा की उपस्थिति में होने वाले किण्वन को कम किया जा सके।
  5. साइलो को बंद करना- साइलो में हवा और पानी को नहीं जाने देना चाहिये।

साइलेज बनाने के लाभ

  1. दुधारू पशुओं के लिए चारे की नियमित आपूर्ति को सुनिश्चित करना।
  2. पशुओं को विभिन्न मौसमों के दौरान समान गुणवत्ता युक्त चारा सुनिश्चित करना।
  3. लगभग सभी मौसमों की परिस्थितियों में साइलेज बनाया जा सकता है।
  4. आवश्कता से अधिक उपलब्ध हरे चारे को संरक्षित करके उसकी बर्बादी कम करना एवं मोटे तने वाले चारे साइलेज बनाने में मुलायम हो जाते हैं एवं पशु उन्हें चाव से खाते हैं ।
  5. साइलेज खिलाना परजीवी रोगों के नियंत्रण के लिए एक प्रभावी उपाय है क्योंकि हरे चारे में मौजूद परजीवी साइलेज बनाने के विभिन्न चरणों के दौरान नष्ट हो जाते हैं।
  6. हरे चारे काट लेने पर खेत जल्दी खाली हो जाने से अगली फसल का जल्दी स्थान मिल जाता है ।
  7. विशेष रूप से अभाव की स्थिति के दौरान चारे की आपूर्ति सुनिश्चित करके पशुधन उत्पादकता में वृद्धि करता है।
  8. निम्न खर्च पर अधिक गुणवत्ता वाला हरा चारा उपलब्ध हो जाता है।
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