सूअर पालन मादा प्रजनन: एक परिचय

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हमारे देश मे पशुपालन का प्राचीन काल से ही बड़ा महत्व है। समय के साथ हमारे देश की आवादी बढ़ती जा रही है। आवादी बढ़ने के साथ देश खाद्य सुरक्षा तथा पोषण सुरक्षा संबंधित चुनोतियों का सामना कर रहा है।

बिभिन्न पशुधन प्रजातियों मे सूअर पालन मांस उत्पादन के लिए सबसे अधिक संभावना पूर्ण स्रोत है। सूअर पालन  मांस उपलब्ध कराने के साथ साथ कड़े बाल और खाद का अच्छा स्रोत भी है। सूअर पालन ग्रामीण किसानों के लिए रोजगार का अच्छा साधन है और इस से आय भी अच्छी रहती है।

सूअर पालन से अधिक उत्पादन का बढ़ाने के लिए किसान को मादा सूअर के प्रजनन काल का अच्छा ज्ञान होना बहुत ही आवश्यक है।

मादा सूअर का प्रजनन

  • सूअरों मे यौवनावस्था (प्यूबर्टी) 8 से 10 महीने मे आती है, और इस आयु मे सूअर प्रजनन योग्य हो जाता है।
  • सूअर मे गर्भकाल 114 दिन का होता है।

सूअर मे मद चक्र/मासिक चक्र

सूअर मे मदचक्र का समय 18 से 21 दिन का होता है जिसे कि चार भागों मे बाँटा गया है।

प्रो एस्ट्रस (17 से 21 दिन का समय)

  • मद चक्र के इस भाग मे एस्ट्रोजन और एफ़् एस एच (फॉलिकल स्टिमुलेटींग हॉर्मोन) नामक हॉर्मोन निकलता है जो की पशु को गर्मी मे लाने के लिए तैयार करता है, तथा अंडाशय में अंडे का विकास करता है।

एस्ट्रस (0 से 1 दिन का समय)

  • मद चक्र के इस भाग को पशु का गर्मी मे आना भी कहा जाता है। इसमे अंडाशय मे अंडा परीपक्व हो जाता है।
  • पशु गर्मी के लक्षण दिखाता है।
  • एस्ट्रोजन और एफ़्० एस० एच० तथा एल० एच० (ल्यूटीलाइजिंग हॉर्मोन) हॉर्मोन ज्यादा मात्रा मे निकलते हैं।
  • एल० एच० हॉर्मोन अंडाशय से अंडा निकालने का कार्य करता है।
  • मादा सूअर, नर सूअर को अपने साथ संभोग करने मे स्वीकार करती है।

मेट एस्ट्रस (2 से 4 दिन का समय)

  • मद चक्र के इस भाग मे एस्ट्रोजन, एफ़्० एस० एच० तथा एल० एच० नामक हॉर्मोन का निकलना कम हो जाता है।
  • मादा, नर सूअर को संभोग के लिए स्वीकार नहीं करती है।
  • निषेचित अंडा गर्भनाल से नीचे गर्भाशय की तरफ आता है।
  • अंडाशय पर अंडा निकालने के स्थान पर कॉर्पस ल्यूटीयम नामक ग्रन्थि बन जाती है जो की गर्भधारण हॉर्मोन प्रोजेस्टरोंन को निकालने का कार्य करती है।
और देखें :  सर्दियों में पशुओं का समुचित प्रबंधन

डाई एस्ट्रस (5 से 16 दिन का समय)

  • डाई एस्ट्रस मद चक्र का सबसे लंबा भाग होता है। इस भाग मे गर्भधारण का पता लगाया जा सकता है।
  • प्रोजेस्टरोंन नामक हॉर्मोन 12 वें दिन से बढ़ना सुरू हो जाता है।
  • यदि गर्भाशय मे जीवित भ्रूण होता है तो वह गर्भकाल को पूरा करने का संदेश देता है और गर्भधारण हॉर्मोन (प्रोजेस्टरोंन) पूरे गर्भकाल तक निकलता रहता है और बढ़ता हुआ भ्रूण सुरक्षित रहता है।
  • यदि गर्भाशय मे जीवित भ्रूण नहीं होता है तो वह 15 वें दिन पर प्रोसटाग्लानडीन नामक हॉर्मोन निकालने को प्रेरित करता है और यह हॉर्मोन कॉर्पस ल्यूटीयम नामक ग्रन्थि को नष्ट कर देता है जिससे गर्भधारण हॉर्मोन (प्रोजेस्टरोंन) का निकालना बंद हो जाता है और मदचक्र पुनः सुरू हो जाता है और मादा दूसरे चक्र के लिए तैयार हो जाती है।

सूअर मे गर्मी (एस्ट्रस) के लक्षण की पहचान करना

  • एस्ट्रस के 2 से 8 दिन पहले योनि के आकार मे बृद्धि हो जाती है।
  • गर्मी मे योनि त्वचा मे लालपन और सूजन आ जाता है तथा योनि से साफ तरल पदार्थ निकलता है।
  • बेचैनी का होना दूसरे जानवरों पर चढ़ना और दूसरे जानवरों को अपने ऊपर चढ़ने देती है।
  • अपने मेरुदंड को ऊपर की तरफ मोड़ती है जिससे पिछला हिस्सा नीचे की तरफ झुक जाता है।
  • खाने मे कमी होना, कान खड़े करना एवं तेजी से आवाज करना इत्यादि गर्मी के मुख्य लक्षण होते हैं।

चारा खाते समय और किसी और व्यक्ति के रहने के समय गर्मी के लक्षण की पहचान नहीं करनी चाहिए। गर्मी के लक्षण की पहचान, बधिया नर के उपयोग से भी किया जा सकता है।

संभोग का उचित समय

  • सूअर मे सुक्राणु का जीवनकाल अंडे से अधिक समय का होता है जब अंडा अंडाशय से निकले उस समय सुक्राणु गर्भनाल मे होने चाहिए जिससे गर्भ धारण का अच्छा परिणाम मिलेगा।
  • अंडा, अंडाशय से गर्मी के आखिरी के एक तिहाई समय मे निकलता है। एसलिए संभोग हमेशा एस्ट्रस वाले दिन मे देरी से तथा दूसरे दिन की सुरुआत मे मे कराना चाहिए।
  • सामान्यतः संभोग सामान्यतः गर्मी गर्मी सुरू होने के 24 से 30 घंटे मे होना चाहिए।
  • हमेशा नर सूअर को कुछ समय अंतराल पर बदलते रहना चाहिए, क्यूंकि एक नर को लगातार प्रयोग मे लाने पर गर्भधारण दर मे कमी तथा बच्चों की संख्या मे भी कमी हो जाती है।
  • सूअरों मे प्रजनन प्राकिर्तिक अथवा कृत्रिम गर्भाधान दोनों पद्धति से किया जा सकता है।
और देखें :  पशुधन से समृद्धि की ओर

गर्भ की जांच करना

  1. यदि मादा संभोग या फिर कृत्रिम गर्भाधान के बाद दोबारा गर्मी पर नहीं आती है ऐसा माना जाता है की गर्भ धारण हो गया है, और जो मादा गर्भित नहीं है वह दोबारा मद चक्र को दोहराती है।
  2. अल्ट्रासाउन्ड मशीन के प्रयोग से 28 से 80 दिन के भीतर गर्भ की जांच की जा सकती है।
  3. खून मे प्रोजेस्टरोन हॉर्मोन की सांद्रता नापकर 17 से 20 दिन के गर्भ की जांच की जा सकती है। (यदि सांद्रता ˃0 ng/ml तो मादा गर्भित होती है)
  4. प्रोसटाग्लानडीन नामक हॉर्मोन की सांद्रता नापकर 13 से 15 दिन के गर्भ की जांच की जा सकती है। (यदि सांद्रता ˃200 pg/ml तो मादा गर्भित नहीं है)
  5. एस्ट्रोजन सल्फेट नामक हॉर्मोन की सांद्रता नापकर 25 से 30 दिन या 80 दिन के बाद गर्भ की जांच की जा सकती है। (यदि सांद्रता ˃5 ng/ml तो मादा गर्भित होती है)

मादा सूअर मे प्रजनन संबंधी मुख्य समस्या

  • गर्भधारण की समस्या, गर्भपात का होना, गर्भाशय मे सूजन का होना, मृत बच्चे पैदा होना, गर्मी मे ना आना इत्यादि।
  • इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए पशुचिकित्सक की सलाह बहुत ही जरूरी है जिससे प्रजनन संबंधी समस्याओं के कारण का पता चलेगा और उचित उपचार भी होगा, जिससे किसान को अत्यधिक लाभ पहुंचेगा और हानि नहीं होगी।

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1 Comment

  1. मान्यवर
    मादा सूकर के पिगलेट्स मृत होते हैं?
    क्या कारण हैं?
    एक अन्य मादा के डीलीवरी के बाद निप्पल बंद हो जाते हैं जिससे पिगलेट्स भूख के कारण मर रहे हैं?
    कृप्या मार्गदर्शन करें!
    9050143330

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