दुधारु पशुओ के आहार मे एलोवेरा योजक का महत्व

4.1
(36)

एलोवेरा एक औषधीय पौधा है जिसे घ्रतकुमारी क्वारगंदल अथवा ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है एलोवेरा का उद्दगम स्थान उत्तरी अफ्रीका है एलोएवेरा वनस्पतिक एश्फोडिलेसी (लिलियेसी) कुल का पौधा है एलोवेरा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा पत्ती है जो मुख्य दो भागो से बना है: लेटेक्स और जेल, जेल लगभग 98% पानी से बना होता है और शेष शुष्क पदार्थ में लगभग 75 से अधिक जैविक तत्व मौजूद होते हैं जिसके कारण इसमे औषधीय गुण होते हैं जो कई रोगों के उपचार में उपयोगी होते हैं। कई अध्ययनों से पाया गया है कि इसके लाभकारी गुण इसके जेल में ही निहित होते है जो कि पॉलीसेकेराइड के कारण होते हैं, एलोवेरा जेल, शुष्क पदार्थ का अधिकतम 60% पॉलीसेकेराइड और सक्रिय यौगिक से बना होता है। एलोवेरा की प्रमुख सामग्रियों में एंथ्राक्विनोन, पॉलीसेकेराइड, विटामिन, एंजाइम और कम आणविक भार यौगिक शामिल होते हैं जो एलोवेरा को इसके एंटीइन्फ्लेमेटरी, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, घाव भरने, एंटीवायरल, एंटीफंगल, एंटीट्यूमर, एंटीडायबिटिक और एंटीऑक्सिडेंट प्रभाव प्रदान करते हैं।

एलोवेरा

एलोवेरा, दुधारु पशु जैसे गाय और भैंस के लिये एक चारा योजक के रूप में देने से, पशुओ के चारे मे पोषक तत्वों के अवशोषण को बढाने मे मदद भी करता है, और यह आंतों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, एलोएवेरा का अर्क पशुओ को पानी व चारे के साथ खिलाने से ये प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और पशु की शारीरिक विकास और पशु श्वास्थ पर ये सकारत्मक प्रभाव डालता है। यह पौधा रोगाणुरोधी के रूप में संभावित लाभ देता है जैसे कि प्रीबायोटिक्स, प्रोबायोटिक्स, ऑर्गेनिक एसिड और पौधों के अर्क का पशु उत्पादन पर लाभकारी प्रभाव डालता है। इसमे लगभग सभी रोगाणुरोधी, एंटीऑक्सिडेंट और प्रतिरक्षा-उत्तेजक इत्यदि गतिविधि को बेहतर बनाने के लिए इस औषधीय पौधे का जानवरों के लिये उपयोग किया जाना चाहिए।

कई अध्ययनो मे पाया गया है कि इसके सेवन से पशुओं की वृद्धि और प्रजनन प्रदर्शन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव के साथ, एंटीबायोटिक दवाओं के विकल्प के रूप में, औषधीय जड़ी-बूटियों सहित एडिटिव्स का उपयोग किया जा सकता है। यह औषधीय पौधा जड़ी बूटियों की तरह ही डेयरी पशुओ को चारा योजक के रूप मे एंटीऑक्सिडेंट, रोगाणुरोधी, और एंटिफंगल के साथ-साथ इम्युनोमोडुलेटरी और एंटीकोकसिडियल प्रभाव को बढाने मे लाभकारी होते हैं, जो कि वर्तमान समय मे रासायनिक दवाओ के बढ़ते उपयोग पशुओ के लिये हानिकारक होने का कारण बनते हैं और इसके प्रयोग से पशु को कोइ भी हाँनि नही होती है पशुओ को श्वास्थ रखने के लिये पशु श्वास्थ पर खर्च को कम किया जा सकता है।

और देखें :  मादा पशुओं में बांझपन कारण एवं बचाव

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.1 ⭐ (36 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

और देखें :  पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*