भारत जैसे कृृषि प्रधान देश में पशुपालन एक अहम आजीविका का स्रोत है। पशु धन क्षेत्र में निरन्तर प्रगति ने भारत को दुनिया भर में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाया है। राष्ट्र के विकास हेतु दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को वर्ष 2025 तक दोगुना करने एवं पशुओं को रोगमुक्त करने का लक्ष्य हैै। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पशु विशेषज्ञों को किसानों एवं पशुपालको के बीच समन्वय स्थापित कर नवीनतम तकनीकियों का आदान-प्रदान करना होगा। यह विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज उत्तर प्रदेश पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान मथुरा के दसवें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज में प्रचलित कुरीतियों एवं कुप्रथाओं को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायें। युवा देश को अग्रेतर ऊचाँइयों तक पहुंचाने में योगदान करें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक छात्र का दायित्व है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन कर्मनिष्ठा से करें। राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हर कदम पर चुनौतियों का सामना करते हुए आप एक आत्म विश्वासी नागरिक बनकर उभरेंगे तथा अनुशासन, परिश्रम, ईमानदारी एवं जिम्मेदारियों के पथ पर चलकर आप देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में एक सशक्त माध्यम बनेंगे। उन्होंने कामना व्यक्त करते हुए कहा कि आप गरीब बच्चों को स्वच्छता, पोषण एवं साक्षर होने के लिए जरूर प्रोत्साहित करें।
कुलाधिपति ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय किसानों एवं पशुपालकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में निरंतर सुधार के लिए संकल्पित हैं। कृषि के साथ बागवानी, मिट्टी उपचार एवं शोधन तथा पशुपालन संबंधी सम्यक एवं नवीनतम््जानकारी प्रदान कर उत्पादन क्षमता की बढ़ोत्तरी के बारे में विभिन्न प्रशिक्षणों, कृृषक भ्रमण कार्यक्रमों, कृृषि एवं पशुपालन मेला तथा प्रदर्शनी के द्वारा किसानों व पशुपालकों को जानकारी प्रदान कर रहा है। दुधारू पशुओं में होने वाली बीमारी का निदान आधुुनिक युग में न केवल वैज्ञानिक तरीकों से करने की आवश्यकता है बल्कि दुग्ध उत्पादन एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हर्बल पौधों का प्रयोग भी जरूरी है।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा न केवल गाय अपितु भैंस, भेंड, बकरी आदि की अच्छी नस्लोें के बीच प्रतियोगिता का आयोजन समय-समय पर किया जायें एवं मेले या स्टाॅल के माध्यम से प्रदर्शन कर विकसित पशुपालन एवं कृृषि को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय भूमिहीन, लघु एवं सीमान्त किसानों पर अपनी दृृष्टि केन्द्रित करे एवं उनके लिए ऐसी तकनीक विकसित करे जो किसानों एवं पशुपालकों की लागत को कम एवं आय बढ़ाने में सहायक हो। इसके अलावा मत्स्य पालन एवं कुक्कुट पालन आदि के विषय में भी संचार के माध्यम से भी किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि निजी निवेश के माध्यम से पशुपालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करनी होगी तथा ग्रामीण महिलाओं को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगें। यह महिला सशक्तीकरण व देश के समग्र विकास में सहायक सिद्ध होगा।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कृषि वैज्ञानिक चयन मण्डल के अध्यक्ष प्रो. आदित्य कुमार मिश्र, उत्तर प्रदेश सरकार के पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, विशिष्ट अतिथि के रूप में पशु विज्ञान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के उपमहानिदेशक डॉ. बी. एन. त्रिपाठी, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री महेश कुमार गुप्ता, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरिजेश कुमार सिंह, रजिस्ट्रार/अधिष्ठाता प्रोफेसर पंकज कुमार शुक्ला, अधिष्ठाता बायो-टेक्नोलॉजी प्रो. राजेश निगम तथा कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यों सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
Be the first to comment