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- पशुशाला की सफाई व पुताई करें।
- नर पशुओं का बधियाकरण कराएं।
- खेतों में चरी सूडान तथा लोबिया की बुवाई करें।
- गाय भैंस व बकरी का क्रय करें।
- मौसम में परिवर्तन से पशुओं का बचाव करें।
- बच्चा देने वाले एवं दुधारू पशुओं को खनिज मिश्रण 50 ग्राम प्रति पशु प्रतिदिन दें।
- बहु वर्षीय घासो जैसे हाइब्रिड नैपियर, गिनी घास की रोपाई खेतों में करें।
- हरे चारे से साइलेज तैयार करें।
- बदलते मौसम में पशुओं की स्वास्थ्य रक्षा का समुचित ध्यान रखें।
- सभी पशुओं में खुर पका मुंह पका रोग का टीकाकरण कराएं।
- 3 माह पूर्व कृत्रिम गर्भाधान किए गए पशुओं का गर्भ परीक्षण कराएं। जो पशु गर्भित न हो उनकी सम्यक् जांच के उपरांत समुचित उपचार कराएं।
- पशुओं से दूध निकालने के पूर्व एवं पश्चात थनों को 1:1000 पोटेशियम परमैंगनेट के घोल से अच्छी तरह से धुलाई करें जिससे कि थनैला बीमारी की रोकथाम की जा सके।
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Author
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पशु चिकित्सा अधिकारी, पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश, पूर्व सहायक आचार्य, मादा पशु रोग एवं प्रसूति विज्ञान विभाग, दुवासु, मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत
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