अमृत तुल्य दूध के स्वास्थ्यवर्धक गुण

4.6
(38)

दूध एक ऐसा भोज्य पदार्थ है जिसका कोई भी पर्याप्त विकल्प नहीं लगता है। मनुष्य अपने पशुओं के रूप में कई तरह के पशुओं के दूध का उपयोग करता है। भोजन के आपूर्तिकर्ता के रूप में गाय का इन सभी पशुओं में सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। गाय के दूध में कम कैलोरी, कम कोलेस्ट्रॉल और उच्च पौष्टिक पोषक तत्व होने के कारण यह स्वस्थ एवं सम्पूर्ण भोजन का एक मुख्य भाग है। प्राचीन काल से ही औषधीय और आध्यात्मिक उद्देश्यों की कई प्रक्रियाओं में गाय के दूध का उपयोग किया जा रहा है। इसका उपयोग “पंचामृत” के आवश्यक भाग के रूप में किया जाता रहा है, जिसे पूजा के बाद प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। भारत में देसी गाय का दूध विदेशी नस्ल की गायों की तुलना में श्रेष्ठतर गुणवत्ता का माना जाता है। विश्व के विभिन्न भागों में गाय के अतिरिक्त भैंस, बकरी, भेड़, ऊँट, याक, मिथुन का दूध पेय पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है। दूध का उपयोग दही, पनीर, छाछ, मक्खन, घी, छैना और कई अन्य तरह की मिठाईयाँ तैयार करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

दुग्धपान- सम्पूर्ण आहार

दूध प्रकृति द्वारा ​दिया एक अमूल्य पेय पदार्थ है। आमतौर पर यह देखने में आता है कि यदि किसी परिवार में दूधारू पशु हैं तो उस परिवार में परिस्थिति नहीं आती है। ऐसा देखने में आया है कि यदि किसी परिवार में खाने के लिए अनाज की कमी होती है लेकिन उस परिवार के पास पशु हैं तो वह अपना भरण-पोषण बहुत अच्छा करता है। क्योंकि उस परिवार में दूध जो है तो अनाज के अभाव में दूध का सेवन कर अच्छा स्वास्थ्य लाभ अर्जित कर सकते हैं। हम अपने बचपन को न भूलें कि जब हम छोटे बच्चे होते हैं तो हम अपने जीवन की शुरूआत माँ का दूध ही पीकर शुरू करते हैं। वैज्ञानिक तौर पर जीवन के पहले छः महीने बच्चे को माँ का केवल दूध पीने की सलाह दी जाती है। ग्रामीण आँचल में आमतौर पर बच्चे 1½ – 2 वर्ष की प्रारंभिक आयु तक बच्चे माँ का दूध पीते जाते देखे जा सकते हैं। य​दि बच्चे को भरपूर मात्रा में माँ का दूध मिलता है तो उसे अन्य खाद्य पदार्थ खाने की जरूरत नहीं रहती है। फिर भी आज के इस वैज्ञानिक युग में माँ के दूध के अलावा अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन बच्चे के लिए जरूरी माना गया है। इन खाद्य पदार्थों में भी पशुओं का दूध अहम् भूमिका निभाता है। दूध में वे सभी आवश्यक तत्त्व होते हैं जिनकी हमें जरूरत होती है। इसलिए दूध को एक सम्पूर्ण आहार का दर्जा दिया गया है।

दूध के सरंनात्मक घटक

दूध में प्रोटीन, वसा, शर्करा, खनिज तत्त्व, और विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं। ये घटक विभिन्न पशुओं के दूध में भिन्न होते हैं जो इस प्रकार है (प्रति 100 मिली लीटर दूध में मात्रा)।

संघटक भाग

गाय का दूध1 भैंस2 बकरी2 भेड़2 माँ का दूध
संपूर्ण दूध (3.3% वसा) 2% वसा वाला दूध 1% वसा वाला दूध

वसारहित (स्किम्ड मिल्क)

पानी (%) 88 89 90 91 83.39 87.03 80.7 86.6c
ऊर्जा (cal) 63.29 51.05 43.04 36.29 97 69 108 68d
प्रोटीन (ग्रा.) 3.38 3.38 3.38 3.38 3.75 3.56 5.98 1.2d
केसीन (g) 2.64 2.64 2.64 2.64 2.93 2.78 4.66 0.4d
कुल वसा (ग्रा.) 3.38 2.11 1.27 0 6.89 4.14 7.1 4.48c
संतृप्त वसा अम्ल (ग्रा.) 2.15 1.22 0.68 0.13 4.20a 8.73b 13.14b 1.81c
एकल असंतृप्त वसा अम्ल (ग्रा.) 1.01 0.59 0.3 0.04 1.70a 2.50b 3.24b 1.728c
बहु असंतृप्त वसा अम्ल (ग्रा.) 0.13 0.08 0.04 0 0.20a 0.34b 0.65b  0.658c
कोलेस्ट्राल (mg) 13.92 7.59 4.22 1.69 8 11.64b 17.07b
शर्करा (ग्रा.) 4.64 5.06 5.06 5.06 5.18 4.45 5.36 6.9d
आहारीय फाइबर (ग्रा.) 0 0 0 0 0 0 0 0
खनिज (राख) (ग्रा.)2 0.69 0.71 0.75 0.75 0.79 0.82 0.96 0.3d
खनिज तत्व
कैल्शियम (mg) 122.78 125.32 126.58 127.43 169 134 193 27.5c
फास्फोरस (mg)2 91 94 95 101 117 111 158 15
लोहा (mg) 0.04 0.04 0.04 0.04 0.12 0.05 0.1 76
पोटैशियम (mg) 156.12 159.07 160.76 171.31 178 204 137
सोडियम (mg) 50.63 51.48 51.9 53.16 52 50 44 15
तांबा (mg)2 0.011 0.012 0.01 0.013 0.046 0.046 0.046
मैगनीशियम (mg)2 10 11 11 11 31 14 18 3.08c
मैंगनीज (mg)2 0.003 0.003 0.003 0.003 0.018 0.018 0.018
सेलेनियम (µg)2 3.7 2.5 3.3 3.1 1.4 1.7 0.016c
ज़िंक (mg)2 0.4 0.43 0.42 0.42 0.22 0.3 0.54
विटामिन
विटामिन ए (IU) 129.54 210.97 210.97 210.97 176.67 190 146.67 190d
थायमिन (mg) 0.04 0.04 0.04 0.04 0.05 0.05 0.07 0.017d
राइबोफ्लेविन (mg) 0.17 0.17 0.17 0.14 0.14 0.14 0.36 0.02d
नियासिन (mg) 0.08 0.08 0.08 0.08 0.09 0.28 0.42 0.17d
पैंटोथेनिक एसिड (विटामिन बी5) (mg)2 0.362 0.356 0.361 0.357 0.192 0.31 0.407 0.2d
पाइरिडोक्सीन (विटामिन बी6) (mg)2 0.036 0.038 0.037 0.037 0.023 0.046 0.06 0.011d
कोबालमिन (विटामिन बी12) (µg)2 0.44 0.46 0.44 0.53 0.36 0.07 0.71 0.03d
एस्कॉर्बिक एसिड (mg) 0.84 0.84 0.84 0.84 2.3 1.3 4.2 5d
विटामिन डी (IU)2 40 43 52 41 12 1.4d
विटामिन ई (mg)2 0.06 0.03 0.01 0.01 0.07
फोलेट (µg)2 5 5 5 5 6 1 7 5.5d
विटामिन के (µg)2 0.2 0.2 0.1 0 0.3
स्त्रोत: 1Gebhardt & Thomas 2002; 2Husain 2018; aMihaylova & Peeva 2007; bPietrzak-Fiećko & Kamelska-Sadowska 2020; cButts et al. 2018; dBanjare et al. 2017

दूध में बच्चे की विकास-वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, और यह वसा, प्रोटीन, अमीनो एसिड, विटामिन और खनिज तत्वों का एक साधन है। इसमें इम्युनोग्लोबुलिन, हार्मोन, वृद्धि कारक, साइटोकिन्स, न्यूक्लियोटाइड्स, पेप्टाइड्स, पॉलीअमाइन, एंजाइम और अन्य बायोएक्टिव पेप्टाइड्स भी मौजूद होते हैं। दूध में वसा झिल्ली के साथ लेपित ग्लोब्यूल्स में पायसीकृत (इमल्सीफाइड) होते हैं। प्रोटीन श्लैष (कोलाइडल) कणपुंजों (मिशेल) के रूप में मिश्रित (डिस्पर्सड) होते हैं। कैसिन कणपुंज प्रोटीन और लवणों के श्लैष जटिल यौगिकों, मुख्य रूप से कैल्शियम, के रूप में होते हैं (Keenan et al. 1995)। लैक्टोज एवं अधिकांश खनिज तत्व विलयन (सॉल्यूशन) अवस्था में होते हैं।

और देखें :  अनु उत्पादक गायों में बिना बच्चा दिए दुग्ध उत्पादन की उत्तम तकनीक

दूध के स्वास्थ्यवर्धक गुण

  • हृदयसंरक्षी (कार्डिप्रोटेक्टिव) या हृदयाघाती: विभिन्न शोधों से ऐसा मालूम होता है कि दूध में पाये जाने वाले कुछ संतृप्त वसायुक्त अम्लों का स्वास्थ्य पर उदासीन प्रभाव है तो कुछ का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके विपरीत संतृप्त वसा अम्ल जैसे कि लॉरिक, मायरिस्टिक और पामिटिक अम्ल में कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले गुण होते हैं। इन अम्लों के अधिक सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है (Mensink et al. 2003), और संतृप्त वसा से भरपूर आहार को हृदय रोगों, वजन बढ़ने और मोटापे में वृद्धि कारक माना जाता है (Insel et al. 2013)। उच्च कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) के लिए एक जोखिम कारक है, जिसमें एलडीएल और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के बीच बढ़ा हुआ अनुपात सीएचडी के जोखिम को बढ़ाता है (Mensink & Katan 1992, Hegsted et al. 1993)।

कई अध्ययनों में पाया गया है कि कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, रक्तोद (सीरम) कोलेस्ट्रॉल में अनुकूल परिवर्तन से संबंध रखते हैं। हालांकि, दुग्ध वसा के सेवन का रक्तोद वसा पर कम स्पष्ट प्रभाव दिखाया गया है। महामारी विज्ञान के सहसंयोजन (कोहोर्ट) अध्ययन उच्च वसा वाले डेयरी उत्पादों का सेवन करने वाले व्यक्तियों में बीमारियों के लिए अधिक जोखिम नहीं दिखाते हैं, जैसा कि एलवुड एवं सहयोगियों (2004) के कोहोर्ट अध्ययन भी कोई ठोस साक्ष्य प्रदान नहीं करते हैं कि दूध हानिकारक है। इसके विपरीत, कई अन्य अध्ययनों में भी दूध के सेवन और सीएचडी के बीच संपर्क की कमी पाई गई है (Haug et al. 2007)।

दूध में मौजूद संतृप्त वसा अम्ल और मायरिस्टिक एसिड, पामिटिक एसिड शरीर में उच्च एवं कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन और कोलेस्ट्राल को बढ़ाते हैं। ओलिक एसिड हृदय झिल्ली को स्थिरता प्रदान करने के साथ-साथ कोरोनरी हृदयाघात की संभावना को कम करता है। लिनोलिक और अल्फा-लिनोलेनिक एसिड शरीर में क्रमशः ओमेगा-6 फैटी एसिड और ओमेगा-3 फैटी एसिड निर्माण में सहायक होते हैं (Haug et al. 2007)।

ओलिक एसिड दूध में सबसे अधिक सांद्रता (8 ग्राम प्रति लीटर) में पाया जाने वाला एकल असंतृप्त वसा अम्ल है (Haug et al. 2007)। ओलिक एसिड को स्वास्थ्य के लिए अनुकूल माना जाता है, क्योंकि अधिक मात्रा में एकल असंतृप्त वसा अम्ल वाले आहार दोनों प्लाज्मा कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल और ट्राईसाइलग्लिसरॉल सांद्रता को कम करते हैं (Kris-Etherton et al. 1999), और सिस-असंतृप्त वसा अम्ल के साथ संतृप्त वसा अम्लों के प्रतिस्थापन से कोरोनरी धमनी रोग के जोखिम को कम करते हैं (Mensink et al. 2003)।

3.3 प्रतिशत वसायुक्त दूध में बहुअसंतृप्त वसा अम्लों की सांद्रता 2 ग्राम प्रति लीटर होती है और दूध में मुख्य बहुअसंतृप्त वसा अम्ल लिनोलेनिक (1.2 ग्रा) और अल्फा-लिनोलेनिक (0.75 ग्रा) मौजूद होते हैं (Haug et al. 2007)। यह वसा अम्ल एरोसिडोनिक और ईकोसापेंटेनोइक एसिड में परिवर्तित होते हैं, और फिर इकोसानोइड्ज में परिवर्तित होते हैं; जो स्थानीय क्रियाओं के साथ चयापचयी रूप से बहुत सक्रिय यौगिक हैं। एरोसिडोनिक एसिड के माध्यम से लिनोलेनिक एसिड से उत्पन्न इकोसानोइड्ज रक्त प्लेटलेट्स एकत्रीकरण को बढ़ाते हैं जिससे हृदय धमनियों को खतरा बढ़ सकता है, इसके विपरीत ओमेगा-3 फैटी एसिड से बनने वाले इकोसिनोइड से यह जोखिम कम होता है (Haug et al. 1992)। ईकोसापेंटेनोइक एसिड में आंशिक रूप से ओमेगा-6 फैटी एसिड के रूपांतरण को हानिकारक इकोसानोइड्ज को बनने से रोकने में सक्षम होता है, जिससे हृदय संबंधी जोखिम कम होता है।

ट्रांस-फैटी एसिड को रक्त में वसा बढ़ाने वाला बताया गया है (Mensink & Katan 1990) जो हृदय रोग को बढ़ावा देता है (Meijer et al. 2001)। लेकिन इसके विपरीत दूध में मौजूद ट्रांस-वैक्सीनिक एसिड और संयुग्मित लिनोलिक एसिड के संयोजन से हृदय रोग के जोखिम का प्रभाव नहीं पड़ता है (Tricon et al. 2006)।

  • एंटीऑक्सिडेंट: दूध में पाये जाने वाले लिपोफिलिक (कॉन्जुगेटेड लिनोलिक एसिड, अल्फा-टोकोफेरोल, बीटा-कैरोटीन, विटामिन ए और डी3, कोएंजाइम क्यू10, फॉस्फोलिपिड्स) और हाइड्रोफिलिक एंटीऑक्सिडेंट (प्रोटीन, पेप्टाइड्स, विटामिन, खनिज और ट्रेस मिनरल्ज) प्रो-ऑॅक्सीडेंट और एंटीऑक्सिडेंट समस्थिति (होमोस्टैसिस) बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं (Grażyna et al. 2017)। लॉरिक, मायरिस्टिक और पामिटिक एसिड इत्यादि संतृप्त फैटी एसिड के कारण एचडीएल कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि से लाभकारी प्रभाव पड़ता है क्योंकि इनसे रिवर्स कोलेस्ट्रॉल ट्रांसपोर्ट में वृद्धि होती है (Insel et al. 2013)। एचडीएल एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में भी कार्य करता है और रक्त में एलडीएल कणों के ऑक्सीकरण को रोकता है (German & Dillard 2004)।
  • रोगाणुरोधी: लॉरिक, मायरिस्टिक और पामिटिक एसिड इत्यादि संतृप्त फैटी एसिड एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं। दूध में मौजूद संतृप्त वसा का यही गुण विषाणु एवं जीवाणुरोधक कार्य करती है (German & Dillard 2004)।
  • कैंसर विरोधी: दूध में मौजूद ब्यूटिरिक एसिड एक सुविख्यात न्यूनाधिक (मॉड्यूलेटर) है और यह कैंसर की रोकथाम में भी भूमिका निभाता है (German 1999)। दूध कॉन्जुगेटेड लिनोलिक एसिड का मुख्य आहारीय घटक है जिसका कैंसरविरोधी (एंटीकार्सिनोजेनिक) प्रभाव होता है (Ha et al. 1987)। कई अध्ययन ओलिक एसिड के कैंसर से सुरक्षात्मक प्रभाव का भी संकेत देते हैं, लेकिन आंकड़े पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं (Ip 1997)।
  • कोशिका झिल्ली का निर्माण: वसायुक्त अम्ल कोशिका झिल्ली की मुख्य निर्माण सामग्री है। असंतृप्त वसा अम्ल प्रतिक्रियाशील होते हैं क्योंकि वे मुक्त कणों और द्वितीयक परोक्सीडेशन उत्पादों (अलग-अलग एल्डिहाइड जैसे मैलोनेडीहाइडल और 4-हाइड्रॉक्सिनोननेल) के साथ उपचायक (रेमेडियल) तनाव दे सकते हैं जो कोशिकाओं में प्रोटीन और डीएनए के लिए हानिकारक हो सकते हैं (Bartsch & Nair 2004, Bartsch et al. 2002)। यह कैंसर और माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए में उत्परिवर्तन के कारण माइटोकॉन्ड्रिया नष्ट करने की प्रक्रिया में योगदान दे सकता है (Bartsch et al. 2002, Pamplona et al. 2004)। दुग्ध वसा में ओलिक एसिड समृद्ध मात्रा में होता है और इसमें ओलिक एसिड/बहुअसंतृप्त वसा अम्ल का उच्च अनुपात होता है। ओलिक एसिड ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड की तुलना में ऑक्सीकरण के लिए अधिक स्थिर है, और यह आंशिक रूप से इन वसा अम्लों को ट्राईएसीलग्लिसरॉल और कोशिका झिल्ली वसा दोनों में बदल सकता है। ओलिक एसिड और बहुअसंतृप्त वसा अम्लों का उच्च अनुपात धुम्रपान, ओजोन और अन्य उपचायकों खासतौर पर एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के उपचायक तनाव से रक्षा करता है। विभिन्न शोध बताते हैं कि एकल या बहुअसंतृप्त वसा अम्लों से भरपूर आहार मेदार्बुदग्रस्त (एथोरोमैटोसिस) और हृदवाहिनी रोग से बेहतर सुरक्षा देता है (De Lorgeril et al. 1994, Nicolosi et al. 2004)।
  • अर्बुदरोधी (एंटीट्यूमर): बहुअसंतृप्त वसा अम्ल ईकोसापेंटेनोइक एसिड में परिवर्तित होते हैं जो आंशिक रूप से ओमेगा-6 फैटी एसिड के रूपांतरण को हानिकारक इकोसानोइड्ज बनने से रोकने में सक्षम होता है, ट्यूमर उत्पत्ति को रोकता है (Haug et al. 2007)।
  • प्रतिरक्षा उद्दीपक (इम्मयूनोस्टीमूलेंट): दूध में पायी जाने वाली अल्फा-लैक्टएल्ब्यूमिन एक छाछीय प्रोटीन है जो मानव दूध और गोजतीय दूध में कुल प्रोटीन का क्रमशः लगभग 22 और 5 प्रतिशत होती है। यह बायोएक्टिव पेप्टाइड्स और आवश्यक अमीनो एसिड का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिसमें ट्रिप्टोफेन, लाइसिन, ब्रांच्ड-चेन एमिनो एसिड और सल्फर युक्त अमीनो एसिड शामिल हैं, पोषण के लिए महत्वपूर्ण हैं। दूध में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के एमीनो एसिड सेवनोप्रांत शरीर में प्रतिरक्षी न्यूनाधिक (मॉड्यूलेटर) के रूप में कार्य करते हैं (Layman et al. 2018)।
  • मस्तिष्क का विकास: दूध में गैंग्लियोसाइड्स भी पाए जाते हैं। गैंग्लियोसाइड्स मुख्य रूप से तंत्रिका ऊतकों में पाए जाते हैं, और नवजात बच्चों के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सक्षम पाये गये हैं (Pan & Izumi 2000)।
  • दंत रोग: लॉरिक, लिनोलिक और ऑलिक एसिड दंत पट्टिका (डेंटल प्लेक) गठन को कम करते हैं और लॉरिक एसिड हाइड्रॉक्सीपैटिट विघटन को रोकता है। लॉरिक एसिड मुंह में बुदबुदार सांस, दंत क्षय और मसूड़ों की बीमारी का कारण बनने वाले हानिकारक जीवाणुओं के प्रति प्रभावशाली है। आहार में लॉरिक एसिड दंत क्षय को भी कम करता है (Schuster et al. 1980, Amith et al. 2007)।
  • अस्थि-सुषिरता रोधी (एंटीऑस्टियोपोरोटिक): बहुत से अध्ययनों में पाया गया है कि दूध से निकाले गए बायोएक्टिव पेप्टाइड्स ऑस्टियोब्लास्ट कोशिकाओं के जनन, विभेदन को प्रेरित करते हैं और अस्थिक्षरण (ऑस्टियोपोरोटिक) को भी रोकने सहायक होते हैं (Mada et al. 2020)। इसके अतिरिक्त दूध में विभिन्न प्रकार के खनिज जैसे कि कैल्शियम, फास्फोरस इत्यादि तत्व अस्थि के मुख्य घटकों में से हैं जो अस्थि की सरंचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • दर्द, ज्वर नाशी (एंटीपायरेटिक): लैक्टोफेरिन, दूध में मौजूद एक प्रोटीन, एंटिनोसीसेप्टिव क्रिया के लिए जाना जाता है और यह सूजनरोधी, दर्द और ज्वरनाशी इत्यादि कई व्याधियों को नियंत्रित करता है (Raju et al. 2005)।
  • बुढ़ापा विरोधी (एंटी-एजिंग): दूध खासतौर से ऊँट के दूध के बारे में एक कॉस्मेसियुटिक्ल अध्ययन में, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि दूध में त्वचा के अनुकूल और बुढ़ापा विरोधी (एंटी-एजिंग) एजेंट होते हैं जो त्वचा के ऊतकों को सुखद बनाते हैं (Galali & Al-Dmoor 2019)।
  • सीखना और स्मृति को बढ़ावा: दूध, खासतौर से भैंस का दूध एक प्राकृतिक डेयरी उत्पाद के रूप में, युवा चूहों में थकान को कम करता है, और ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाव करता है और उम्र बढ़ने वाले चूहों में सीखने और स्मृति को बढ़ावा देता है। पाश्चुरीकृत दूध उम्र बढ़ने वाले चूहों पर अधिक अनुकूल प्रभाव पाया गया है (Liao et al. 2020)।
  • अनिन्द्रा: अनिन्द्रा शाम को सोने के समय सोने में असमर्थता को संदर्भित करता है। जिसके लक्षणों में रात के दौरान जागना, सुबह बेचैनी महसूस करना, थकान, चिड़चिड़ापन, चिंता, अवसाद, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, सिरदर्द और पाचन समस्याएं शामिल हैं (Ratini 2020)। रात को सोने से पहले गुनगुना दूध पीना नींद आने का आसान उपाय है। बादाम का दूध कैल्शियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जिससे मस्तिष्क को मेलाटोनिन (वह हार्मोन जो निद्रावस्था/जागृतवस्था चक्र को नियंत्रित करने में मदद करता है) के निर्माण में मदद मिलती है।

उपरोक्त गुणों के अतिरिक्त दूध जैव सुरक्षा (बायो-प्रोटेक्टिव), पोषक (न्यूट्रीशन), मधुमेह विरोधी (एंटीडायबिटिक), मोटापा विरोधी (एंटीऑबेसीटी), यौवनाकरक (रेजुवनेटर), शक्तिवर्धक (टॉनिक), स्वास्थ्य प्रतिपालक (हेल्थ प्रोमोटर), स्वास्थ्य रक्षक (हेल्थ प्रोटेक्टर) इत्यादि स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भी सुज्जित होता है (Dhama et al. 2005, Dhama et al. 2013, Kaushik et al. 2016)।

और देखें :  दुग्ध प्रसंस्करण: पशुपालकों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण डेयरी उत्पाद

कृषि कार्यों में दूध का उपयोग

आहारीय एवं औषधीय उपयोग के अलावा दूध का उपयोग कृषि में जैव उर्वरक के रूप में भी लाभकारी है।

  • जैव कीटनाशक: गाय के दूध (5 लीटर) और काली मिर्च/सोंठ (200 ग्राम) को अच्छी तरह मिलाकर 200 लीटर पानी में मिश्रित करके फसल पर छिड़काव करने से फफूँदीनाशक के रूप में कार्य करता है (Padmavathy & Poyyamoli 2011, सुभाष 2013) जिससे घातक रासायनों के उपयोग को कम किया जा सकता है।
  • पंचगव्य (जैविक तरल उर्वरक): दूध और कई अन्य पदार्थों (गोबर, मूत्र, दही, मूंगफली/मूंग की दाल का आटा, पके केले, नारियल, पानी, गुड़) से तैयार किया जाने वाला पंचगव्य फसल पौधों की जैविक दक्षता और फलों और सब्जियों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। पंचगव्य को आमतौर पर पर्ण-पोषण के रूप में पाया गया है (Padmavathy & Poyyamoli 2011)।

निष्कर्ष

दूध चाहे गाय का हो या भैंस, बकरी या क्षेत्र विशेषता के आधार पर पाये जाने वाले किसी भी दूधारू पशु का, इसे हमेशा ही आदिकाल से अमृत पेय कहा गया है। दूध प्रोटीन विशेष रूप से एमिनो एसिड से समृद्ध होता है जो मांसपेशियों के निर्माण में सहायता करते हैं, और दूध में कुछ प्रोटीन और पेप्टाइड्स का रक्तचाप, सूजन, ऑक्सीकरण और ऊतकों के विकास पर सकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव होता है। वसा अम्लों सहित दुग्ध वसा विविधपूर्णता से भरपूर है। हालांकि, दुग्ध वसा का सेवन बहस का विषय है जिसका शरीर पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, लेकिन दुग्ध वसा का मध्यम सेवन से कोई नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव नहीं होता है, इसके विपरीत, दुग्ध वसा के कई घटकों की शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कम वसा या वसा रहित दूध का सेवन शरीर पर बिना किसी हानिकारक प्रभाव के आसानी से किया जा सकता है। वसा और प्रोटीन के अलावा, दूध खनिजों और विटामिनों का भी एक समृद्ध स्रोत है जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसे सम्पूर्ण आहार बनाते हैं। जैसा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार भी 300 मि.ली. दूध का सेवन प्रति व्यक्ति प्रतिदिन अनुमोदित है। आज भारत में इससे भी अधिक (364 मि.ली.) दूध की उपलब्धता है। अतः दूध का सेवन न कभी वर्जित था और न ही है। शारीरिक विकास-वृद्धि के यौगिक बनाने वाली कंपनियां भी खाद्य यौगिकों का सेवन दूध के साथ ही सेवन करने की अनुसंशा करती हैं। अतः आप चाहे तो वसासहित या वसारहित दूध का अपनी इच्छा या स्वास्थ्यपूरक आश्यकतानुसार नित्य प्रतिदिन सेवन कर सकते हैं।

संदर्भ

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और देखें :  पशुपालन के क्षेत्र में आयेगी क्रांति- डॉ. मिश्रा

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