मई/वैशाख माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

4.3
(42)
और देखें :  पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड के विकास खण्ड बेरीनाग में पशु प्रदर्शनी
  1. गर्मी से बचाव का उपाय करें।
  2. गला घोटू तथा लंगड़ियां बुखार से बचाव का टीका समस्त पशुओं में लगवाएं।
  3. पशुओं को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में खिलाए।
  4. पशुओं को स्वच्छ ताजा जल पिलाएं तथा प्रातः एवं सायं नहलाएं।
  5. पशुओं को लू एवं गर्मी से बचाने की व्यवस्था करें।
  6. पशुओं को 50 ग्राम खनिज मिश्रण एवं 50 ग्राम नमक का सेवन प्रतिदिन कराएं।
  7. गर्भ परीक्षण तथा अनुउर्वर पशुओं का समुचित उपचार कराएं।
  8. चारे के संग्रहण व उसकी उचित समय पर खरीद कर ले।
  9. पशुओं के राशन में गेहूं के चोकर तथा जौ की मात्रा बढ़ाए।
  10. किलनी अर्थात कलीली एवं पेट के कीड़ों से पशुओं के बचाव का समुचित प्रबंध करें।
  11. स्वच्छ दूध उत्पादन हेतु दूध निकालने के पूर्व एवं पश्चात थनों को पोटेशियम परमैंगनेट के घौल से दुलाई करें। इस प्रकार पशुओं में थनैला रोग होने की संभावना काफी कम हो जाएगी।

और देखें :  सूअर पालन मादा प्रजनन: एक परिचय

और देखें :  शीत ऋतु/सर्दियों में दुधारू एवं नवजात पशुओं का प्रबंधन

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.3 ⭐ (42 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*