पशुओं के संक्रामक रोग लक्षण एवं रोकथाम

4.8
(28)

प्रिय पशुपालक भाइयों जैसा कि आप जानते हैं कि प्रतिवर्ष वर्षा काल में  एवं उसके बाद अनेकों पशु संक्रामक रोगों से मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। पशुपालन विभाग की सतर्कता एवं आपके सहयोग से इन पशुओं की मृत्यु से होने वाली आर्थिक हानि को रोका जा सकता है यह संक्रामक रोग सभी पशु और पक्षियों में फैलते हैं और इसका प्रभाव यह होता है की पशुपालक अपनी आर्थिक छति से उबर नहीं पाता है अतः बचाव ही मात्र एक समाधान है। कहा जाता है की बीमारी की रोकथाम उपचार से बेहतर है।

गलाघोंटू/ एच.एस.

प्रभावित पशु प्रजाति: गोवंशीय एवं महिष वंशी पशु।

लक्षण

तेज बुखार 104 से 27 फारेनहाइट गर्दन गले जबड़े में सूजन सांस लेने में कठिनाई जीभ, मुंह, नाक की झिल्लियों में सूजन, घुर घुर की आवाज आंखें लाल खाना पीना छोड़ देता है लार टपकती रहती है।

रोकथाम/ बचाव

  • बरसात से पूर्व टीकाकरण।
  • बीमार पशु को अलग रखें।
  • मृत्यु दर अधिक होती है।
  • मृत पशु को गहरा गड्ढा खोदकर दफन करें।

खुरपका मुंहपका/ एफ.एम.डी.

प्रभावित पशु प्रजाति: गाय भैंस भेड़ बकरी ऊंट सूकर मैं अधिक प्रभावी।

लक्षण

अचानक तेज बुखार, बेचैनी, खाना पीना बंद करना,मसूड़े जीभ, खुरों में छाले फिर उन में घाव झाग दार लार बहती है पशु लंगड़ाने लगता है। मृत्यु दर बहुत कम होती है परंतु दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होने के कारण पशुओं को अन्य लोग जल्दी पकड़ते हैं।

रोकथाम

  • बीमार पशुओं को साफ सूखे हवादार स्थान पर अलग रखें एवं बीमार पशु का चारा दाना पानी स्वस्थ पशु को ना दें।
  • वर्ष में दो बार प्रत्येक छह पश्चात एफएमडी का टीकाकरण कराएं ।
और देखें :  पशुओं में होनें वाले अपच/ बदहजमी रोग एवं उससे बचाव

लंग़ड़िया बुखार/ बीक्यू

प्रभावित पशु प्रजाति: गोवंशीय पशु अधिक होते हैं भैंसों में कम प्रभाव दिखता है। 6 माह से 3 वर्ष तक के पशु अधिक प्रभावित होते हैं।

लक्षण

अचानक तेज बुखार 107 से 108 फारेनहाइट, खाना पीना बंद, पिछले पुटठों पर सूजन, गरम, दर्द, लंगड़ापन फिर सूजन ठंडी होने लगती है गैस भर जाती है छूने पर चर चर की आवाज आती है ।24 से 48 घंटे में पशु की मृत्यु हो जाती है।

रोकथाम

बीमार पशुओं को अलग स्थान पर बांधे जो सूखा हवादार हो तथा स्वास्थ्य पशुओं से बीमार पशु को अलग कर दें। मृत पशुओं को गहरा गड्ढा खोदकर दफन कराएं। बीक्यू का टीकाकरण कराएं।

एंथ्रेक्स

प्रभावित पशु: समस्त प्रजाति

लक्षण

तेज बुखार के साथ मुंह नाक मलाशय से रक्त का निकलना एवं मृत्यु।

रोकथाम

  • प्रभावित क्षेत्र में प्रतिवर्ष टीकाकरण कराएं।
  • ऐसे पशु का शव परीक्षण नहीं करना है और नहीं छूना है। मृत पशु को खुले में ना छोड़े बल्कि गहरा गड्ढा जमीन में खोदकर दफन करें।

रेबीज/ जलांतक/ पागलपन/ हाइड्रोफोबिया

प्रभावित पशु प्रजाति: कुत्ता,  बंदर, नेवला, सियार आदि रिजरवायर होते हैं इनके काटने पर मनुष्य और अन्य पशुओं में यह रोग फैलता है।

लक्षण

इसरो की दो अवस्थाएं होती हैं:

  1. उग्र अवस्था वे पशु भयानक हो जाता है मुंह से लार गिरती है। पशु झपटने लगता है। प्यास और लगती है पर पानी नहीं पीता।
  2. दूसरी अवस्था में पशु शांत और गूंगा हो जाता है उसका शरीर लकवा ग्रस्त सा हो जाता है। लक्षण प्रकट होने के 3 से10 दिन में पशु मर जाता है।
और देखें :  रोमन्थी पशुओं में कृमिजनित बीमारियाँ

रोकथाम

इस रोग का कोई पूरे विश्व में कोई उपचार नहीं है केवल टीकाकरण ही एक उपाय है।

पशु टीकाकरण

पशुओं को खुरपका मुंहपका गला घोटू लंगड़ा बुखार और संक्रामक गर्भपात अर्थात ब्रूसेलोसिस जैसी संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए आवश्यक है कि पशुओं को नियमित रूप से टीके लगवाए जाएं। पशुओं को समय पर टीका लगवाएं और अपने को आर्थिक हानि से बचाएं।

  • खुर पका मुंह पका केटीके की पहली खुराक 4 माह की उम्र में लगवाएं और दूसरा टीका 9 माह पश्चात लगाएं तत्पश्चात प्रत्येक 6 महीने पर टीकाकरण कराएं।
  • गला घोटू /एचएस, का, पहला टीका 6 माह की उम्र पर लगवाएं तत्पश्चात प्रत्येक वर्ष लगवाएं।
  • बीक्यू /लंगड़ा बुखार का पहला टीका 6 माह की उम्र पर लगवाएं तत्पश्चात प्रत्येक वर्ष लगवाएं।

एक से अधिक बीमारियों के संयुक्त टीके

  • एच.एस./ गला घोटू + बी.क्यू./ लंगड़ा बुखार:  पहला टीका 6 माह की उम्र में तत्पश्चात प्रत्येक वर्ष
  • खुरपका मुंहपका एवं गला घोटू का संयुक्त टीका: प्रथम डोज 4 माह की उम्र में तत्पश्चात प्रत्येक 6 महीने पश्चात
  • खुरपका मुंहपका गला घोंटू एवं लंगड़ा बुखार का टीका: प्रथम डोज 4 माह की उम्र में तत्पश्चात प्रत्येक वर्ष
  • संक्रामक गर्भपात /ब्रूसेलोसिस: 4 से 8 माह की उम्र की बछियों एवं पड़ियों में जीवन में एक बार लगवाएं।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।
और देखें :  मादा पशुओं में प्रसव के पहले होने वाला गर्भपात रोग

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.8 ⭐ (28 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Authors

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*