जून/ जेठ माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

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  1. पशुओं को लू से बचाएं।
  2. पर्याप्त मात्रा में हरा चारा दें।
  3. अंत: परजीवी से बचाव हेतु औषधि पान कराएं।
  4. खरीफ के चारे मक्का लोबिया की खेत की तैयारी करें। सूखे खेत की चरी न खिलाएं अन्यथा एचसीएन जहर फैलने की संभावना भी हो सकती है।
  5. 3 माह पूर्व कृत्रिम गर्भाधान कराए गए पशुओं का गर्भ परीक्षण कराए। जो पशु गर्भित नहीं है उनकी समुचित जांच के उपरांत समुचित उपचार कराएं।
  6. चारागाह मैं चरने वाले पशुओं को, सुबह शाम या रात्रि में चराई कराएं तथा आवश्यकतानुसार जल भी पिलाएं।
  7. पशुओं को यदि हरा चारा नहीं मिल पा रहा हो तो विटामिन “ए” के इंजेक्शन लगवाएं।
  8. पशुओं को विटामिन एवं खनिज लवण मिश्रित आहार दें। वयस्क पशु को 50 ग्राम खनिज लवण मिश्रण प्रतिदिन खिलाएं।
  9. अप्रैल में बुवाई की गई ज्वार के खिलाने से पूर्व दो से तीन बार सिंचाई अवश्य करें अन्यथा एचसीएन विषाक्तता हो सकती है और तुरंत उपचार न मिलने की स्थिति में पशु की मृत्यु भी हो सकती है।
  10. दूध दोहन से पहले एवं बाद में 1:1000 पोटेशियम परमैंगनेट के घोल से थनों की धुलाई सफाई करें। इस प्रकार स्वच्छ दुग्ध उत्पादन करें एवं पशुओं को थनैला रोग से बचाएं।
  11. अपने सभी पशुओं को गला घोटू एवं लकड़िया रोग का टीकाकरण कराएं।
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