केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआइआरबी) के वैज्ञानिको ने एक और बड़ी खोज की है। वैज्ञानिको ने तीन साल में तैयार की पशु में प्रेग्नेंसी जाँच किट, जिससे मात्र 10 रुपये में हो सकेगी पशुओं में गर्भ की जांच। मात्र 30 मिनट के समय में इस किट से पशुओं की प्रेग्नेंसी जांच की जा सकेगी। जिस तरह इंसानों की प्रेग्नेंसी जाँच किट होती है, उस तरह से वर्तमान तक पशुओं में प्रेग्नेंसी जांचने की कोई भी कारगर एवं सस्ती किट उपलब्ध नहीं थी। इस किट को केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तौमर ने एक वर्चुअल कार्यक्रम में लॉच किया।
केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तौमर ने सीआइआरबी के निदेशक, टेस्ट किट की खोज करने वाले डॉ. अशोक बल्हारा और उनकी टीम की सराहना की है। किट तैयार करने वाली टीम के सदस्य डॉ. अशोक बल्हारा, डॉ. सुशील फुलिया, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. सुमन व डॉ. अशोक मोहंती हैं।
पहले 3-4 माह में हाेती थी जांच पर अब 20 दिन बाद प्रेग्नेंसी जांच संभव
पशु पालक पशुओं की प्रेग्नेंसी को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं, क्योंकि गांव में प्रेग्नेंसी चैक लगभग 3-4 महीने पर की जाती है और पशुचिकित्सक से प्रेग्नेंसी जांच कराने में खर्च भी अधिक आता है। अगर यही प्रेग्नेंसी 20 दिन पर चेक हो जाए तो इसका उन्हें बहुत लाभ मिल सकता है क्योंकि अगर पशु गर्भित नहीं है तो समय पर उपचार करवाया जा सकता है। यह टेस्ट किट पशुपालकों को यही मौका देगी और अब इस किट से पशुओं के गर्भ को 20 दिन में ही मात्र 10 रुपये में चेक किया जा सकेगा।
13-14 महीने पर भैंस का दोबारा गर्भवती होना फायदेमंद
भैंस पालन से पशु पालकों को तभी लाभ मिल सकता है भैंस हर साल बच्चा दे। अगर भैंस ने हर साल बच्चा नहीं दिया तो भैंस पर आने वाला रोजाना का खर्चा नुकसान में गिना जायेगा। इसके साथ 2 से 2.5 साल मैं भैंस का वजन 350 किग्रा हो जाना चाहिए और वो नए दूध हो जानी चाहिए। अगर बच्चा नहीं दे रही है तो उसको पशुचिकित्सक को जरुर दिखा लेना चाहिए। अगर भैंस के बच्चे देने का अंतराल अधिक होता है तो पशु पालकों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गर्भ जांच किट बनाने का निर्णय लिया। तीन साल की मेहनत के बाद वैज्ञानिको को सफलता मिली जो कि किसानों के लिए बहुत ही लाभदायी होने वाली है।
क्या है यह गर्भ जांच किट
टीम के लीडर डॉ. अशोक बल्हारा ने बताया कि मूत्र से गर्भजांच की किट एक जैवरासायनिक प्रक्रिया पर आधारित टेस्ट है जिसमें मूत्र का रंग कुछ रासायनिक पदार्थ डालने और गर्म करने पर बदल जाता है जिसे एक आम आदमी आसानी से घर पर कर सकता है। इस टेस्ट में किसी उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती है और रिजल्ट को आंखों द्वारा आसानी से देखा जा सकता है। मूत्र द्वारा टेस्ट करने की यह विशिष्ट एकमात्र, सस्ती (प्रति टेस्ट मात्र 10 रूपये लगभग) व वैकल्पिक विधि है जिससे गर्भजांच आसानी से की जा सकती है।
गर्भ जांच में मात्र 10 रुपये का आता है खर्चा
इस किट के प्रयोग से 20 दिन की गर्भ का आसानी से पता चल जाता है। इसमें पशु के थोडे़ से मूत्र की जरूरत होती है जोकि पशु पालक घर पर ही आसानी से ले सकता है और गर्भ जांच कर सकता है। इस किट से सिर्फ मात्र 10 रुपये में पशुपालन प्रेग्नेंसी का पता लगा सकते हैं।
संस्थान के लिए गर्व का विषय
केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के निदेशक डाॅ. टी.के. दत्ता ने कहा कि “संस्थान पशुपालकाें की सहायता के लिए हर समय तैयार रहता है। किट का रिलीज हाेना संस्थान के लिए गर्व की बात है। पशुपालकाें के लिए अन्य भी कई तरह की रिसर्च की जा रही हैं।”
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